पटना ब्‍यूरो। लेकिन इसके साथ लोग यह भी सोचते हैं कि जमा पैसा पर अगर उन्हें कुछ ठीक ठाक ब्याज मिल जाए और यह सुरक्षित माध्यम भी हो तब यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है। फर्जी चीट फंड कंपनियां लोगों की इसी भावना को भुनाने के लिए उनके जमा पर पैसा पर उन्हें अच्छा ब्याज और तमाम लाभ का भरोसा दिला कर अपनी योजनाओं में निवेश करवा लेते हैं। फिर जब यह निवेश की राशि ठीक ठाक हो जाती है तब इन पैसों को लेकर वे चंपत हो जाते हैं।

क्या है चीट फंड

चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह आपस में वित्तीय लेन देन के लिए एक समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाती है और परिपक्वता अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित लौटा दी जाती है।
भारत में चिट फंड का रेगुलेशन चिट फंड अधिनियम, 1982 के द्वारा होता है। इस कानून के तहत चिट फंड कारोबार का पंजीयन व नियमन संबद्ध राज्य सरकारें ही कर सकती हैं। चिट फंड एक्ट 1982 के सेक्शन 61 के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है। चिट फंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और सम्बंधित राज्य सरकार का ही होता है।


ठगी का क्या है मॉड्स ऑपरेंडिस

चीट फंड कंपनियों के नाम पर अक्सर आपने सैंकड़ों लोगों को ठगे जाते सुना या देखा होगा। कुछ लोग एक समूह बनाकर यह प्रचारित करते हैं कि उनकी संस्था चीट फंड कंपनी के तौर पर सूचीबद्ध है। इसके बाद वे अपने सिंडिकेट के जरिये एजेंट का नेटवर्क तैयार करते हैं। एजेंटों को भी सुनहरे भविष्य का सपना दिखाया जाता है। चूंकि इसमें जो भी एजेंट होते हैं वो स्थानीय लोग ही होते हैं। इसलिए स्थानीय एजेंट होने के चलते लोग इस पर भरोसा करके पैसा निवेश करते हैं। चूंकि इसमें की जाने वाली निवेश की राशि थोड़ी-थोड़ी होती है इसलिए कंपनियों के भाग जाने की स्थिति में लोग सोचते हैं कि चलो उनका दस हजार या पांच हजार रुपये ही न लेकर गया। लेकिन इस निवेश की राशि को अगर ओवर ऑल जोड़े तो यह एक बड़ी राशि हो जाती है। जिसमें सैकड़ों और हजारों लोगों के पैसे शामिल होते हैं।

तीन सौ फर्जी चीट फंड कंपनियां है एक्टिव

पटना सहित बिहार में तीन सौ फर्जी चीट फंड कंपनियां फिलहाल एक्टिव है। यह कंपनियां वित्तिया नियामक संस्थाओं से निबंधित नहीं है। दो चार माह पूर्व ही सरकार ने चीट फंड कंपनियों में निवेश को लेकर लोगों को सर्तक किया था। ऐसी कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई का अधिकार भी स्थानीय पुलिस को दिया गया था। पिछले साल ऐसी 37 कंपनियों के खिलाफ एक्शन लिया गया था। पिछले साल बिहार में ठगी करने वाले कंपनियो के खिलाफ 288 मामले दर्ज हुए थे। दिसंबर 2023 के डेटा के अनुसार 173 मामलों में अनुसंधान जारी है। जबकि 106 का अनुसंधान पूरा करते हुए उससे जुड़े लोगों के साथ कंपनी के विरुद्ध एक्शन लिया जा चुका है।

केस नंबर 1

बिहार के कटिहार में चीट फंड के नाम पर 15 सौ लोगो से हाल ही में ठगी का मामला सामने आया है। इस मामले में आरोप यह लगा था कि चीट फंड के नाम पर लोगों से पहले 70 लाख की उगाही की गई। इसके बाद कंपनी फरार हो गई।

केस नंबर 2

दिसबंर 2023 में चीट फंड के नाम पर फुलबारी में महिलाओं से ठगी का मामला सामने आया था। इसमें महिलाओं का पहले सेल्फ हेल्प ग्रुप बनावाया गया था। फिर उनसे पैसे जमा कराए गए थे। आरोप है कि सात सौ लोगों के लाखों रुपये कंपनी लेकर फरार हो गई थी।

केस नंबर 3

गया के खिजरसराय एरिया से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जिसमें सैंकड़ों लोगों से चीट फंड के नाम पर करोड़ों रुपये जमा कराए गए। फिर कंपनी यह पैसा लेकर चंपत हो गई।

चीट फंड कंपनी के ठग से कैसे बचें

पटना हाई कोर्ट में वकील पंकज कुमार के अनुसार -
1 चीट फंड कंपनियों में निवेश करने से हर हाल में बचें क्यों कि यह कभी भी भरोसेमंद माध्यम नहीं रहा है।
2 अगर आप चीट फंड कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं तब वह कंपनी वित्तिय नियामक संस्था और राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त हैं कि नहीं इसकी जांच कर लें।
3 कंपनी का पूरा वित्तिय रिकॉर्ड खंगाल लें , जैसे कंपनी कब से काम कर रही है, इसका पिछले पांच साल का क्या रिकार्ड है आदि
4 चीट फंड कंपनियों के जालसाजी के शिकार होने पर तुरंत इस मामले की शिकायत स्थानीय पुलिस या फिर आर्थिक अपराध इंकाई भी दर्ज कराएं।