-बड़ा खुलासा: श्रीकृष्णापुरी, कंकड़बाग, राजेंद्रनगर में अवैध तरीके से खड़ी है 90 प्रतिशत बिल्डिंग

-अगर जांच में गड़बड़ी मिली तो निरस्त हो जाएगा लीज

PATNA: नियम से चले तो पटना नगर निगम को 5700 करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है। श्रीकृष्णापुरी, कंकड़बाग और राजेंद्रनगर में पीआरडीए की लीज पर दी गई जमीन में बड़ा खुलासा हुआ है। लीज धारकों को नगर निगम से नक्शा पास करवाने के बाद ही बिल्डिंग बनानी थी। नगर निगम भी अधिकतम 2.5 मंजिल तक की परमीशन दे सकता था। अगर कोई बिना नक्शे के मकान बनाएगा तो उसकी लीज कैंसिल करने का प्रावधान है। 90 प्रतिशत मकानों ने बिना नक्शा पास करवाए अपने मनमर्जी के हिसाब बिल्डिंगें तान दी है। ऐसे में अगर नगर निगम चाहे तो सभी की लीज निरस्त कर 250 एकड़ जमीन को अपने कब्जे में ले सकता है।

एक नजर में मामला

58 साल पहले पीआरडीए ने कृष्णापुरी, राजेंद्रनगर और कंकड़बाग 400 एकड़ में आवासीय योजना लाई थी। इस योजना के तहत 250 एकड़ जमीन को डेवलप कर लोगों को प्लॉट और फ्लैट दिए गए थे। मौजूदा स्थिति में इस जमीन की कीमत 6200 करोड़ रुपए है। लेकिन लीज धारकों ने अपने रसूख के दम पर नगर विकास विभाग से महज 10 प्रतिशत देकर ही लीज को फ्री होल्ड करने की मांग की है। ऐसे में नगर निगम को 5700 करोड़ का नुकसान होगा और सिर्फ 500 करोड़ रुपए ही मिलेंगे।

पहले रूक चुका है निर्माण

श्रीकृष्णापुरी में बनाए जा रहे बहुमंजिला पर कुछ महीने पहले निगम ने रोक लगा दी थी। अधिकारियों ने बिल्डिंग को सील करते हुए निर्माण कार्य रोकने के आदेश दिए थे। लेकिन इसी बिल्डिंग के करीब आधे दर्जन बहुमंजिला अपार्टमेंट और कॉमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है।

ऐसे करना था निर्माण

श्रीकृष्णापुरी, राजेंद्रनगर और कंकड़बाग इलाके में दी गई लीज पर एक फैमिली के रहने लायक ही फ्लैट या मकान का निर्माण करना था। अगर बड़ी फैमिली हुई तो लीजधारक निगम से अनुमति लेकर ढाई मंजिल तक बिल्डिंग का निर्माण कर सकता था। बिल्डिंग में किरायेदार या दुकानदार के लिए कोई जगह नहीं थी। लीजधारकों में अधिकांश ने नियम तोड़ते हुए एक तरफ कई मंजिला बिल्डिंग का निर्माण करवा लिया वहीं कमाई के लिए दुकानें और फ्लैट भी आवंटित कर दिए।

नियमों से खेल रहे लीज धारक

नियम- लीज पर जमीन या फ्लैट का इस्तेमाल आवास के रूप में होगा।

खेल- चल रही है दुकानें।

नियम-लीज बढ़ाने के लिए समाप्ति से 6 माह पहले आवेदन करना होगा।

खेल-फ्री होल्ड की मांग।

नियम-लीज देने के एक साल के भीतर निर्माण शुरू करना होगा।

खेल- कुछ निर्माण 60 साल बाद यानी आज भी हो रहे हैं।

नियम-पीआरडीए के बताने के अनुसार ही फ्लैट का निर्माण किया जाएगा।

खेल- 90 प्रतिशत ने अपने मनमाने तरीके से कर लिया निर्माण।

नियम-निर्माण में लीज धारक की मर्जी नहीं चलेगी। निगम के इंजीनियर ही ले-आउट तय करेंगे।

खेल- किसी ने निगम से ले आउट की नहीं ली परमीशन।

नियम-लीज धारक हर माह 10 रुपए वार्षिक शुल्क पीआरडीए को देगा।

खेल- 40 प्रतिशत लोग 10 रुपए भी नहीं जमा कर रहे।

नियम-फ्लैट में टूट-फूट पर जितना नुकसान होगा उसकी भरपाई 1 रुपए हर माह देकर करनी होगी।

खेल- कभी किसी लीज धारक ने नहीं जमा किया ऐसा कोई शुल्क।

नियम-पीआरडीए के अनुमति से लीज की जमीन पर कोई स्ट्रक्चर बनेगा।

खेल- अनुमति लेने की जहमत किसी ने नहीं उठाई।

निगम लीज धारकों के फ्लैट और जमीन की जांच करवाएगा। अगर नियम विरुद्ध निर्माण पाया जाता है तो निगम लीज निरस्त करने की भी कार्रवाई कर सकती है।

-देवेंद्र तिवारी,

अपर नगर आयुक्त नगर निगम पटना