अवैध धन का इस्तेमाल

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह फिर से चर्चा में आ गए हैं। उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन का एक मामला दर्ज किया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर में सीबीआई द्वारा धनशोधन के संदर्भ में शिकायत के बाद मामला दर्ज किया है। जो कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज हुआ है। सूत्रों की मानें प्रवर्तन निदेशालय के जांचकर्ताओं ने वीरभद्र के खिलाफ जांच के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज एकत्र कर लिए हैं। जिसमें इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके सहयोगियों द्वारा तथाकथित अवैध धन का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही उनके द्वारा किए गए अपराधों के भी साक्ष्य मिले हैं। ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय मुख्यमंत्री के अलावा उनके कुछ खास करीबियों को भी पूछतांछ के लिए बुलाने की तैयारी में है।

भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम

गौरतलब है कि अभी बीते सितंबर महीने में सीबीआई ने इनके खिलाफ शिकायत कराई थी। जिसमें वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईसी एजेंट आनंद चौहान और चौहान के भाई सीएल चौहान पर आरोप लगे थे। इन लोगों पर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए थे। सीबीआई की शिकायत के मुताबिक वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय इस्पात मंत्री रहने के दौरान वर्ष 2009-11 के बीच 6.1 करोड़ रूपए की अकूत संपत्ति बनाई है। सीबीआई का यह भी कहना है कि वर्ष 2012 में संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल करके इन्होंने इस आय को खेती से होने वाली आय के रूप में वैध शक्ल देने का प्रयास किया। वहीं कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले को विरोधी दल की साजिश बता रही है।

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