जो भी होगा देखा जाएगा
मजनुओं की फितरत तो कुछ ऐसी हो गई है कि न तो उनमें किसी का डर रहा और न ही कोई लोक-लाज। आते-जाते वे किसी भी महिला या लडक़ी को छेडऩे का कोई मौका नहीं चूकते। फ्राइडे को सिटी में दो जगहों पर महिला कास्टेबल्स के साथ ईव-टीजिंग की वारदातें हुईं।

लड़कियों में बढ़ रहा डर
मजनुओं की रोकथाम के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से सख्त कदम नहीं उठाए जाने का ही है असर है कि मजनू और शोहदे दिनों-दिन और भी मनचले होते जा रहे हैं। इसका असर यह है कि लड़कियों और महिलाओं में डर बढ़ता जा रहा है। ईव-टीजिंग सेल और महिला कोषांग की इंचार्ज कुमारी तिलोत्मा बताती हैं कि उनके पास हर महीने 20 से 22 ईव-टीजिंग के केसेज आते हैं, जिनमें से 25 परसेंट (करीब 4 से 5) केस रोड या पब्लिक प्लेस पर छेड़खानी के होते हैं। बाकी केसेज मोबाइल द्वारा की जा रही छेड़खानी के होते हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर केसेज में लड़कियां या तो केस ही नहीं दर्ज करातीं या फिर कराती हैं, तो बाद में डर के मारे केस वापस ले लेती हैं। कई बार तो ईव-टीजिंग के चलते विक्टिम सुसाइड तक कर लेती हैं।

Police का नहीं है खौफ
जिस तेजी से इन दिनों सिटी में मजनुओं और शोहदों की एक्टिविटी बढ़ी है उससे एक बात तो साफ है कि कहीं न कहीं उनके दिलो-दिमाग से पुलिस का डर गायब हो चुका है। महिला कल्याण समिति की प्रेसिडेंट अंजली बोस का कहना है कि आजकल पुलिस का डर केवल आम आदमी में ही रह गया है। उन्होंने बताया कि कई मर्तबा तो ईव-टीजिंग की वारदातें ऐसी जगहों पर होती है जहां पर पास में ही पुलिस की चौकसी होती है। साकची थाना स्थित ईव-टीजिंग सेल की इंचार्ज कुमारी तिलोत्मा ने बताया कि कई मर्तबा तो पकड़े जाने पर ऐसे शोहदे उनसे भी बदतमिजी करने लगते हैं।

Political interference दे रहा बढ़ावा
इन मजनुओं और शोहदों की हिम्मत बढऩे का एक रिजन यह भी है कि उन्हें कई पॉलिटिशयंस या किसी अन्य बड़े आदमी की शह मिली होती है। कुमारी तिलोत्मा के मुताबिक जब वे किसी मजनू को पकड़ती हैं तो उसे बचाने के लिए कई बार पॉलिटिकल सपोर्ट आड़े आ जाता है। कई मर्तबा तो ऊपर से ही उन्हें ज्यादा सख्ती नहीं बरतने के ऑर्डर दिए जाते हैं। ऐसे में अच्छे रिजल्ट्स की उम्मीद नहीं की जा सकती। उधर, सिटी एसपी कार्तिक एस भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस के चलते मजनुओं पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा पा रही है।

नहीं होती कार्रवाई
दिसंबर 2012 को भालूबासा में रहने वाली एक 15 साल की लडक़ी ने पड़ोस में रहने वाले एक लडक़े की छेड़खानी से तंग आकर सुसाइड करने का प्रयास किया था। मामला प्रकाश में तो आया पर कई दिनों तक डर के चलते विक्टिम के फैमिली वालों ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई और एक्यूस्ड निडर होकर घूमता रहा। करीब 2-2.5 साल पहले भुइयांडीह, ग्वालाबस्ती में रहने वाली 20-22 साल की लडक़ी दीपिका ने आए दिन की छेड़छाड़ से तंग आकर सुसाइड कर लिया था। इस मामले को लेकर भी कई दिनों तक केस नहीं दर्ज कराया गया था। हालांकि आईपीसी के सेक्शन 306 (एबेटमेंट ऑफ सुसाइड) के अकॉर्डिंग किसी को सुसाइड के लिए बाध्य करने पर इम्प्रिजनमेंट का प्रोविजन है पर इसके बाद भी सिटी में आज तक इस संबंध में किसी को जेल नहीं भेजा गया।

'मजनू तो निडर हो गए हैं, पर लड़कियों में डर आ गया है। रोड पर चलने वाली 75 परसेंट लड़कियों को किसी न किसी तरह से टीजिंग फेस करनी पड़ती है। पर वे केस दर्ज नहीं कराती हैं.'
-अंजली बोस, प्रेसिडेंट, महिला कल्याण समिति

'हमारे यहां महीने में कम से कम 20 से 22 ईव-टीजिंग के केसेज आते हैं। ज्यादातर केस में लड़कियां डर या सामाजिक प्रतिष्ठा के डर से केस वापस ले लेती हैं। इसके अलावा जो बचे-खुचे होते हैं उन्हें कोई न कोई पॉलिटिकल सोर्स बचा लेता है.'
-कुमारी तिलोत्मा, इंचार्ज, ईव-टीजिंग सेल एंड महिला कोषांग

'पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस के चलते मजनुओं पर लगाम नहीं लगाई जा पा रही है। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद उन्हें छुडऩे की कोशिशें तेज हो जाती हैं.'
-कार्तिक एस, सिटी एसपी, जमशेदपुर

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