-आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बीमा कंपनियों ने किया हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल

-रंग लाई बीएचयू की मुहिम

VARANASI

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने वालों के लिए अच्छी खबर है। अब मॉडर्न मेडिसिन की तरह आयुर्वेद के जरिये भी इलाज कराने पर हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ मिलेगा। मूल स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में दस प्रतिशत अधिक भुगतान कर आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी इंश्योरेंस कवर मिल सकेगा। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की पहल पर देश के सभी बीमा कंपनियों ने इसे लागू किया है। आयुर्वेद पर भरोसा करने वालों को मिलने वाले इस फायदे के पीछे बीएचयू के रसशास्त्र डिपार्टमेंट की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हुई है। यहीं के प्रो। आनंद चौधरी के प्रयासों से बीमा कंपनियों ने आयुर्वेद को भी हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल किया है।

बीएचयू में तय हुई गाइडलाइन

प्रो। आनंद चौधरी बताते हैं कि जनता के सभी वर्गो में यह मांग की जा रही थी कि स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों को शामिल किया जाए। बीमा कंपनियां इसे लेकर शंका में थीं। उनका कहना था कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से विभिन्न रोगों के इलाज में होने वाले खर्च को स्पष्ट कर पाना कठिन है। कंपनियों की इस चिन्ता को दूर करने के लिए ख्0क्फ् में डब्ल्यूएचओ के सहयोग से बीएचयू में 'स्टैण्डर्ड ट्रीटमेंट गाइडलाइन' तैयार करने को एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसकी रिर्पोट के आधार पर आयुष मन्त्रालय की पहल पर अब बीमा कंपनियां आयुर्वेद को स्वास्थ्य बीमा में शामिल करने लगी हैं। इसमें जीर्ण व्याधियों की पंचकर्म पद्धति से चिकित्सा भी शामिल है।

ले सकते हैं अतिरिक्त प्रीमियम

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने स्वास्थ्य बीमा कम्पनियों को निर्देशित किया है कि वे आयुष चिकित्सा पद्धतियों से चिकित्सा को भी बीमित करें। इसके लिए वे बीमित व्यक्ति से मूल स्वास्थ्य बीमा पर अतिरिक्त प्रभार ले सकते हैं।

प्रो। चौधरी ने बताया कि बेसिक स्वास्थ्य बीमा में क्0 प्रतिशत अधिक प्रीमियम पर मॉडर्न मेडिसिन के साथ आयुर्वेद चिकित्सा को भी बीमित कराया जा सकता है।