- अगस्त में लार्वा मिलने के भी नहींजागा था हेल्थ डिपार्टमेंट

- केवल कागज पर चला डेंगू से बचाव का जागरूकता अभियान

- आनन-फानन में तैयार किया गया 6 बेड का डेंगू वार्ड

GORAKHPUR: मंडे को डेंगू मरीज मिलते ही हेल्थ डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। डेंगू से निपटने के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में डेंगू वार्ड भी बन गया। साथ ही साफ सफाई का अभियान भी छेड़ दिया गया। जबकि अगस्त में ही गोरखपुर में डेंगू के मच्छर के लार्वा मिले थे, लेकिन इसके लिए न तो कोई अभियान चलाया गया और न ही स्पेशल वार्ड की स्थापना की गई। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि जब अगस्त में डेंगू के लार्वा मिल गए थे तो हेल्थ डिपार्टमेंट हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठा रहा? क्या वह इंतजार कर रहा था कि कोई मरीज मिले तो ही वह कार्रवाई करेगा? यह भी कहा जा रहा है कि हेल्थ डिपार्टमेंट डेंगू से निपटने के लिए कागज पर पूरी तरह से तैयार था, हकीकत में नहीं।

सूचना पर भी फेल रहा हेल्थ डिपार्टमेंट

गोरखपुर में डेंगू के मरीजों को खोजने में भी हेल्थ डिपार्टमेंट नाकाम साबित हुआ। सिटी में अगस्त से लेकर अब तक कुल ब्0 मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिग होम और ट्रस्ट के हॉस्पिटल में भर्ती हो चुके हैं, उनका इलाज भी हुआ। दूसरी तरफ हेल्थ डिपार्टमेंट को इसकी भनक तक नहींलगी। जब मंडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्टिपल में डेंगू का मरीज भर्ती हुआ तो हेल्थ डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। हेल्थ डिपार्टमेंट ने इलाज तो शुरू कर दिया, लेकिन अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है उसे डेंगू है कि नहीं। इसके लिए मरीज का दोबारा टेस्ट किया जा रहा है।

फागिंग के नाम पर सालाना महज क्ख्000 रुपए

जानकर अचरज होगा कि डेंगू जैसी गंभीर बीमारी के लिए शासन की तरफ को कोई बजट नहींआता है। अलबत्ता मच्छरों से बचाव के लिए फॉगिंग के नाम पर शासन से गोरखपुर हेल्थ डिपार्टमेंट के पास क्ख् हजार रुपए आये थे, यह रकम पूरे साल के लिए पूरी सिटी के लिए थी। जबकि शासन की इस सौगात को फॉगिंग के लिए भी पर्याप्त नहींथी। इसके चलते हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस रकम को वापस कर दिया।

जारी किया गया था निर्देश

डेंगू को लेकर चीफ मेडिकल अफसर (सीएमओ) ने सभी हॉस्पिटल, नर्सिग होम, प्राइवेट डॉक्टरों को दो महीने पहले निर्देश जारी किया था कि जांच के बाद डेंगू की पुष्टि होने पर इसकी सूचना हेल्थ डिपार्टमेंट को दी जाए। इसके लिए एक फॉर्म भी तैयार कराया गया था। इसमें मरीज का की सारी डिटेल देनी थी, लेकिन आज की तारीख में हेल्थ डिपार्टमेंट के पास एक भी मरीज की डिटेल नहीं है।

सिटी में कई जगह मिले थे डेंगू के लार्वा

हेल्थ डिपार्टमेंट ने डेंगू से बचाव के लिए सिटी के कई एरिया में जांच कराई थी। जांच में गुलरिहा के कई गांव और टीपी नगर समेत कई हिस्से में डेंगू के लार्वा भी मिले थे। लार्वा मिलने के बाद भी हेल्थ डिपार्टमेंट ने कोई एक्शन नहीं लिया, केवल जांच रिपोर्ट की खानापूर्ति करके वह शांत हो गया।

केवल कागज पर चला अभियान

हेल्थ डिपार्टमेंट ने डेंगू समेत कई संक्रमण रोगों से निपटने के लिए केवल एक सप्ताह का जागरूकता अभियान चलाया था। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के कर्मचारियों को अपने-अपने एरिया में कोलोरिन की गोलियां बांट साफ सफाई रखने की जानकारी दी गई। यह अभियान केवल कागजों में चला। न ही डिपार्टमेंट ने संक्रमण रोग से बचने के लिए न पैंफलेट बांटे और न ही उसके उपाय के बारे में सार्वजनिक रूप से लोगों में जागरूकता अभियान चलाया। यह बात दीगर है कि डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने के लिए शासन की तरफ से कोई विशेष बजट जारी नहींहोता है।

ये करना होता है जारुकता अभियान में

-पैंफलेट बांटना

-नुक्कड़ नाटक करना

-स्वास्थ्य कर्मचारियों को घर घर जाकर लोगों को जागरूक करना होता है।

वर्जन-

हेल्थ डिपार्टमेंट सिटी में जांच कर लार्वा मिलने की रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज के एसपीएम डिपार्टमेंट को देता है। इसके बाद डिपार्टमेंट लार्वा नष्ट करने का काम करता हैं। समय-समय पर संक्रमण रोग से लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाता है।

डॉ। आर.पी गुप्ता, चीफ मेडिकल अफसर