खुले में नहीं रखा जाए कचरा

पर्यावरण और वन मंत्रालय की संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया के लिए जारी अधिसूचना में कहा गया है कि देश की सभी नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायत और नगर परिषदों को इन्हें अपनाना पड़ेगा. मसौदे में सभी नगर निकायों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कचरे को कहीं खुले में नहीं रखा जाए. ऐसी सभी मौजूदा सुविधाओं को तुरंत ढकने की व्यवस्था करनी होगी. इसी तरह अलग-अलग तरह के कचरे को अलग रखने के लिए सभी शहरों में तीन तरह के कूड़ेदान लगाने होंगे. जैविक (बायो डिग्रेडेबल) कचरे के लिए हरे रंग का कूड़ेदान होगा, रिसाइकिल की जा सकने वाली चीजें सफेद रंग के कूड़ेदान में डाली जाएंगी और बाकी कचरा काले रंग के कूड़ेदान में जगह पाएगा.

बाहरी एजेंसी की सेवा लेने को कहा

नगर निकायों को इस काम के लिए अपने इंतजाम करने या बाहरी एजेंसी की सेवा लेने को कहा गया है. केंद्र सरकार ने इसमें शहरी निकायों की मदद के लिए अलग से कोई रकम नहीं तय की है. यह जरूर कह दिया है कि निकाय इस काम के लिए अपने नागरिकों से जरूरी शुल्क वसूलने के लिए स्वतंत्र होंगे. इन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि बागवानी और डेयरी के कचरे व निर्माण कार्य के मलबे को दूसरे कचरे में नहीं मिलाया जाए.

छोटे बच्चे कचरे में प्लास्टिक चुनते दिख जाएं

भले ही अभी देश की राजधानी दिल्ली तक में छोटे-छोटे बच्चे दिन-रात कचरे से प्लास्टिक चुनते दिख जाएं, लेकिन इन महत्वाकांक्षी नियमों के मुताबिक देश भर में कचरा जमा करने से लेकर इसके निपटारे तक में लगे सभी मजदूरों की सुरक्षा के लिए रबड़ के दस्ताने, खास तरह के ऊंचे जूते, चश्मे और मास्क उपलब्ध करवाने होंगे. इसी तरह कचरे को खुले में जलाने पर प्रतिबंध होगा. यहां तक कि देश में कोई ऐसा कचरा डलाव चलने नहीं दिया जाएगा, जिसे आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीक से लैंडफिल साइट के तौर पर विकसित नहीं किया गया हो.

Report by: Mukesh Kejriwal (Dainik Jagran)

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