-जीवन बचाने में लगे चिकित्सक मानते हैं इसे पुण्य का कार्य

-मरीजों के इलाज के लिए कई बार खुद दे कर चुके हैं रक्तदान

आगरा. मकर संक्रांति के पर्व पर कोई कपड़े तो कोई भोजन के अलावा नगदी का दान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. वहीं सिटी में एक ऐसे भी व्यक्ति हैं जो हर मकर संक्रांति पर रक्तदान करके लोगों की जान बचाने का काम करते हैं.

स्टूडेंट लाइफ में जुड़े कैम्प से

डॉ. अरविन्द यादव स्टूडेंट लाइफ से ब्लड डोनेट कैंप से जुड़े रहे हैं. मूल रूप से जसवंत नगर इटावा निवासी डॉ. यादव ने 1990 में लखनऊ के केजीएमसी में एमबीबीएस में दाखिला लिया. स्टूडेंट लाइफ में जब इलाज के दौरान लोगों को जिंदगी और मौत से जूझते देखा तो उनका मन दृवित हो गया. केजीएमसी में उन्होंने देखा कि लोगों को सबसे ज्यादा रक्त की जरूरत होती है. अगर सही वक्त पर किसी को रक्त मिल जाए तो उसकी जिंदगी बच भी सकती है. इसी विचार नेडॉ. अरविन्द को रक्तदान के लिए लगने वाले कैम्प से जोड़ दिया.

एसएन से किया एमडी पास

लखनऊ के केजीएमसी से एमबीबीएस पास करने के बाद डॉ. अरविन्द ने आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में पीजी के लिए एडमिशन लिया. यहां 1996 से 1999 तक एमडी की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान भी रक्तदान के लिए लगने वाले कैम्प से भी जुड़े रहे. पीजी कंप्लीट करने के बाद उन्होंने ट्रांस यमुना कॉलोनी फेस फ‌र्स्ट में हॉस्पिटल शुरू किया.

चिकित्सा के साथ रक्तदान भी

डॉ. यादव का कहना है कि चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस के दौरान कई मौके ऐसे आए जब इमरजेंसी मरीज के लिए खून की जरूरत हुई. कहीं से कोई व्यवस्था न होने पर इमरजेंसी में कई बार उन्होंने रक्त दान किया. उनके साथ उनकी पत्‍‌नी ने भी कई बार रक्तदान किया. मां-बाप के रक्तदान के जज्बे पर उनकी बारहवीं क्लास की स्टूडेंट बेटी नंदनी और सातवीं क्लास के स्टडूेंट अविरल फर्क महसूस करते हैं. दोनों बच्चों का कहना है कि बड़े होकर वे भी लोगों के जीवन की बेहतरी के लिए कार्य करेंगे.