शिवपाल के मुकाबले इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मनीष यादव और कांग्रेस ने अजय यादव को मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से राकेश पाल चुनाव लड़ रहे हैं.
मुलायम ने छोटे भाई को सीट सौंप दी
जसवंत नगर सीट पिछले चार विधानसभा चुनावों में सपा नेता शिवपाल के कब्जे में रही है. इससे पहले इसी सीट पर 1967 में सबसे पहले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) से विधानसभा चुनाव जीते थे. उसके बाद इस सीट पर 1974, 77, 84, 89 और 93 में उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद 1996 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने यह सीट अपने छोटे भाई शिवपाल को सौंप दी. तब से वह लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं.
परम्परागत यादव वोटों में सेंध
पिछले चुनाव में शिवपाल 73,211 वोट पाकर इस सीट से जीते थे. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा प्रत्याशी बाबा हरनारायण को करीब तीस हजार वोटों से हराया था. माना जा रहा है कि इस सीट पर बसपा और कांग्रेस द्वारा यादव जाति के उम्मीदवारों को उतारे जाने से सपा के परम्परागत यादव वोटों में सेंध लग सकती है, जिससे शिवपाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
विकास के मामले में वीआईपी नहीं
स्थानीय निवासी राम प्रवेश शाक्य कहते हैं कि केवल यह नाम का वीआईपी क्षेत्र है लेकिन विकास के मामले में वीआईपी नहीं है. पहले मुलायम सिंह यादव और फिर बाद में उनके परिवार के लोग दशकों से यहां विधायक बनते रहे हैं. इसके बावजूद यह क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. इस चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवार यहां परिवारवाद और विकास को मुद्दा बनाकर शिवपाल को घेर रहे हैं.
कई दशकों से सीट पर सपा का कब्जा
बसपा प्रत्याशी मनीष यादव कहते हैं कि कई दशकों से इस सीट पर सपा का कब्जा है. लेकिन बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के मामले में यह क्षेत्र अब भी काफी पिछड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य मुद्दा क्षेत्र के विकास के साथ यहां परिवारवाद और सपा के लोगों की गुंडागर्दी को खत्म करना है.
विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ
भाजपा उम्मीदवार राकेश पाल कहते हैं कि इस क्षेत्र में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ, जो थोड़ा काम हुआ वह केवल यादव बाहुल्य इलाकों में कराया गया। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास जातिगत भावना से ऊपर उठकर पूरे क्षेत्र का विकास कराना होगा.
जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन लाख, 30 हजार मतदाता हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो सबसे ज्यादा 85,000 यादव, 50,000 शाक्य, 35,000 जाटव, 22,000 ब्रह्माण, 18,000 क्षत्रिय और 8,000 मुसलमान और 30,000 पाल हैं.Agency
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