जेब में रखते हैं रूई
हॉलीवुड फिल्मों में अक्सर क्राइम सीन पर पुलिस ऑफिसर बेहद सॉफिस्टिकेटेड तरीके से आस-पास मौजूद चीजों का मुआयना करते दिखते हैं। तरह-तरह के इक्वीपमेंट्स और केमिकल्स से लैस उनकी फॉरेंसिक किट हर सबूत को ढूंढ़ निकालती है। पर लगता है स्टेट पुलिस को क्राइम इंवेस्टीगेशन के लिए इनकी जरूरत नहीं पड़ती। घटना की सूचना मिली और जेब में ही सारी फॉरेसिंक किट लेकर निकल पड़े। साकची थाने में पोस्टेड एक ऑफिसर ने बताया कि जब भी इस तरह की जरूरत पड़ती है, वे जेब में ही रूई व अन्य रिलेटेड सामान लेकर जांच के लिए निकल पड़ते हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है पुलिस के क्राइम इंवेस्टीगेशन के तरीके का।

Forensic investigation की नही है पर्याप्त व्यवस्था
फॉरेंसिक साइंस किसी भी क्राइम के इंवेस्टीगेशन में काफी इंपोर्टेंट रोल अदा करता है। क्राइम की जगह से जमा किए गए इवीडेंस जुर्म को साबित करने और अपराधी को सजा दिलवाने के लिए बेहद इंपोर्टेंट होते हैं। पर डिस्ट्रिक्ट पुलिस के पास इस एक्सपरटाइज में काफी कमी नजर आती है। सिटी एसपी कार्तिक एस ने बताया कि पुलिस का काम इवीडेंस के कलेक्शन और पैकिंग का होता है। इसके लिए दारोगा स्तर के सभी अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई है। हालांकि उन्होंने खुद भी माना कि फिंगर प्रिंट कलेक्शन जैसे मामलों में अभी इंप्रूवमेंट की जरूरत है। उन्होंने कहा कि थानों में फॉरेंसिक किट मुहैया कराया जा रहा है पर अभी तक सभी थानों को फॉरेंसिक किट अवेलेवल नहीं हुआ है।

लोगों में नही है awareness
सिटी एसपी ने फॉरेंसिक इंवेस्टीगेशन में और सुधार की जरूरत बताते हुए कुछ और प्रॉब्लम्स भी बताए। उन्होंने कहा कि कई बार किसी घटना के बाद क्राइम सीन पर मौजूद लोगों की लापरवाही की वजह से कई इवीडेंस खत्म हो जाते हैं। कई बार लोग आसपास की चीजों को छूकर फिंगर प्रिंट जैसी इवीडेंस को खत्म कर देते हैं।

'फॉरेंसिक साइंस का इंवेस्टीगेशन में काफी अहम रोल है। इसके लिए समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है। पर फॉरेंसिंक इंवेस्टीगेशन में अभी और सुधार की जरूरत है.'
-कार्तिक एस, सिटी एसपी, जमशेदपुर

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in