खतरे में cyber security
अरे यार, मेरा म्यूजिक प्लेयर ठीक से काम नहीं कर रहा। आपने फ्रेंड को ये प्रॉब्लम बताई और आपका फ्रेंड इसके सॉल्यूशन के रूप में किसी दूसरे म्यूजिक प्लेयर की कॉपी पेन ड्राइव के थ्रू आपके हवाले कर दिया। कुछ ऐसा ही दूसरे सॉफ्टवेयर्स के साथ भी है। आपके कंप्यूटर में इंस्टॉल होने वाले ऐसे कई सॉफ्टवेयर पायरेटेड होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ये पायरेटेड सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर और आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज के लिए कितना बड़ा थ्रेट हैं? इन सॉफ्टवेयर्स के जरिए आने वाले मालवेयर इंफेक्शन और वायरस साइबर क्राइम की बड़ी वजह बनते हैं।

नहीं है कोई फिक्र
पायरेटेड सॉप्टवेयर्स की वजह से पैदा होने वाले रिस्क के बावजूद इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल जारी है। स्टेट की साइबर डिफेंस रिसर्च सेंटर के चीफ टेक्निकल ऑफिसर विनीत कुमार ने बताया की स्टेट में मौजूद ज्यादातर साइबर कैफेज में पायरेटेड सॉफ्टवेयर्स का यूज किया जाता है। ये बात सीडीआरसी की टीम द्वारा स्टेट के डिफरेंट पार्ट में की गई लंबी जांच के बाद सामने आई। इसके अलावा बड़ी संख्या में होम यूजर्स भी पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। विनीत कुमार ने कहा कि ये साइबर सेफ्टी से जुड़ा एक मेजर इश्यू है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कई गाइडलाइन भी इश्यू किए गए हैं।

क्या है risk
कई पायरेटेड सॉफ्टवेयर के जरिए कंप्यूटर में मालवेयर इंफेक्शन और वायरस पहुंचते हैं। ये वायरस हैकिंग, स्पैमिंग सहित कई तरह के रिस्क पैदा करते हैं। विनीत कुमार ने बताया कि ऐसे  सॉफ्टवेयर्स में कुछ ऐसे प्रोग्र्राम होते हैं जो हैकर्स को यूजर के पर्सनल इंफॉर्मेशन तक रिमोट एक्सेस प्रोवाइड करते हंै। इनके इस्तेमाल से हैकर बैैंकिंग, क्रेडिट कार्ड इंफॉर्मेशन को चुरा सकते हैं। इसके अलावा ई-मेल या सोशल मीडिया की स्पैमिंग भी इसके जरिए भी ऐसा किया जा सकता है।

बढ़ रहे हैं मामले
कंप्यूटर और इंटरनेट के बढ़ते यूज के साथ पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। बात स्टेट की करे तो यहां भी साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं। विनीत कुमार ने बताया कि हर रोज पूरे स्टेट से साइबर क्राइम से जुड़े करीब पांच से छह मामले आते हैं। उन्होंने कहा कि  जमशेदपुर से भी कई केसेज आते हैं जिनमें फाइनेंश से रीलेटेड क्राइम के मामले भी रहते हैं। उन्होंने कहा कि हाल में हैकिंग से जुड़े मामले भी आए हैं। विनीत ने इनकी एक बड़ी वजह पायरेटेड साफ्टवेयर का इस्तेमाल भी बताया।

Anti virus भी pirated
एंटी वायरस कंप्यूटर को प्रोटेक्ट करने में मेजर रोल अदा करता है। खासकर जब कंप्यूटर से इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाए तो एंटी वायरस का इंपोर्टेंस और भी बढ़ जाता है। ऐसे में इनका जेनुईन होना बेहद जरूरी है पर शायद लोगों को इसकी परवाह नहीं। बड़ी संख्या में लोग पायरेटेड एंटी वायरस का यूज करते हैं। विनीत कुमार बताते है कि पायरेटेड एंटी वायरस कंप्यूटर को फुल प्रोटेक्शन नहीं देते। इसके अलावा इस तरह के एंटी वायरस में खुद वायरस होने की संभावना के साथ इनका अपडेशन भी एक बड़ी प्रॉब्लम है। उन्होंने बताया कि अगर एंटी वायरस रेग्यूलरली अपडेट ना हो तो उसका कोई फायदा नहीं।

'पायरेटेड सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से कई रिस्क पैदा होते हैं। स्टेट में ज्यादातर साइबर कैफेज में पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है। इससे साइबर क्राइम का खतरा काफी बढ़ता है.'
-विनीत कुमार, सीटीओ, सीडीआरसी

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in