रांची (ब्यूरो)। झारखण्ड विधानसभा से पारित झारखण्ड रा'यज्कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक 2022 को माननीय रा'यजल द्वारा सहमति दिये जाने के उपरांत से रा'यज्के सभी जिलों के खाद्यान्न व्यापारियों, कृषकों एवं राइस मिलर्स के बीच बन रही असमंजसता की स्थिति को देखते हुए शनिवार को झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स के नेतृत्व में पंडरा के व्यापारियों की संयुक्त बैठक चैंबर भवन में हुई। विधेयक का विरोध करते हुए व्यापारियों ने एकमत से कहा कि झारखण्ड में भ्रष्टाचार को बढावा देनेवाला कृषि शुल्क किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जायेगा। बातें बहुत हो चुकी हैं, अब झारखंड चैंबर आंदोलन की घोषणा करे, रा'यज्के व्यापारी झारखण्ड चैंबर के साथ हैं।

आठ को बनेगी रणनीति

व्यापारियों की भावना को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि 8 फरवरी को चैंबर भवन, रांची में एक रा'यज्तरीय बैठक का आयोजन कर, इस विधेयक के विरोध में आगे की रणनीति पर सामूहिक निर्णय लिये जायेंगे। रा'यज्तरीय बैठक में रा'यज्के सभी जिलों के खाद्यान्न व्यापारी, कृषि मंडी के व्यापारी, राइस मिलर्स, फ्लॉवर मिलर्स, कृषक, सभी जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के अलावा कई व्यापारिक संगठन के पदाधिकारी शामिल होंगे।

चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विधानसभा से इस विधेयक के पारित होने के बाद हमने इस विधेयक को वापस लेने के लिए स्थानीय स्तर से लेकर, नई दिल्ली में पार्टी के शीर्ष स्तर तक के नेताओं से वार्ता की। रा'यजल और कृषि मंत्री से भी हमें साकारात्मक आश्वासन मिला किंतु दुखद है कि झारखंड में अनियमितताओं को बढावा देने के लिए इस विधेयक को प्रभावी करने की दिशा में पहल आरंभ की जा चुकी है, जिसका हम विरोध करते हैं।

विरोध करने के लिए विवश

हम नहीं चाहते थे कि व्यापारी अपना काम छोडकर, विरोध के लिए सड़कों पर आयें, किंतु हमें विवश होकर यह रास्ता अख्यितार करना पड रहा है। रांची चैंबर, पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि इस विधेयक के प्रभावी होने के बाद खाद्यान्न व्यापारियों के अलावा मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, बागवानी करनेवाले सभी लोग दायरे में आयेंगे, जिसका प्रभाव शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर पडेगा। रा'यज्सरकार द्वारा केंद्र सरकार के नियमों का हवाला देते हुए इस शुल्क को प्रभावी किया जा रहा है, किंतु केंद्र सरकार के एक्ट में रा'यज्की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इसे लागू करने की बात कही गई है।

गर्वनर को भ्रमित किया

ऐसे में जब झारखंड पठारी क्षेत्र है और यहां अधिकांश वस्तुएं अन्य रा'यज्ं से आयातित होती हैं, तब किस आधार पर इस शुल्क को प्रभावी किया जा रहा है? झारखण्ड का एक भी कृषक ई-नाम योजना से लाभान्वित नहीं हो रहा है किंतु रा'यजल को भी वरीय अधिकारी इस योजना के नाम पर भ्रमित कर रहे हैं। स्पष्ट है कि यह शुल्क कुछ गिने-चुने अधिकारियों के हित के लिए लाया जा रहा है जिससे रा'यज्में उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होंगी। क्योंकि सरकार को यह समझना होगा कि व्यापारी इस शुल्क की उगाही उपभोक्ता से ही वसूलकर जमा करेंगे, ऐसे में इस बढे हुए महंगाई के दौर में उपभोक्ता अतिरिक्त महंगाई से कैसे निपटेंगे।

ये शामिल हुए

बैठक में उपस्थित चैंबर के पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी, पवन शर्मा ने भी इस विधेयक की विसंगतियों पर चिंता जताते हुए फेडरेशन को आंदोलन की दिशा में अग्रसर होने की सलाह दी। मौके पर चैंबर के उपाध्यक्ष अमित शर्मा, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेष अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य विकास विजयवर्गीय, सदस्य विवेक अग्रवाल, पंडरा के व्यापारी रोहित कुमार, अभिषेक अग्रवाल, अशोक मंगल, अनिल शर्मा, संजीव चौधरी, मनोज छापडिया, महेंद्र जैन, संजीव सर्राफ, शंभू साहू, राजेश सोमानी, समीर गुप्ता, अभय अग्रवाल, विक्रम गुप्ता, कौषिक बदानी, संदीप खेतान, विजय परसुरमपुरिया, अभय भदानी, राम साहू, राजीव कुमार, रोबिन गुप्ता, बिजेंद्र प्रसाद, रितेश जैन के अलावा कई खाद्यान्न व्यापारी और राइस मिलर्स उपस्थित थे।