रांची (ब्यूरो)। रांची यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर्स के साथ ही प्रोमोशन भी रिटायर होगा। यह स्थिति रांची यूनिवर्सिटी के सैकड़ों असिस्टेंट प्रोफेसर्स के साथ है। यूनिवर्सिटी के सैकड़ों असिस्टेंट प्रोफेसर्स प्रोमोशन के इंतजार में रिटायर होनेवाले हैं। यह स्थिति रांची यूनिवर्सिटी के वर्ष 2010 का रेग्युलेशन पास नहीं होने के कारण बनी है। हालांकि यह भी सच है कि यूनिवर्सिटी का 2018 का रेग्युलेशन पास भी हो गया। 2010 के पहले 2018 का रेग्युलेशन पास होने पर कई प्रोफेसर्स रांची यूनिवर्सिटी पर भेदभाव का भी आरोप लगाते हैं। ऐसे दर्जनों प्रोफे सर्स हैं जिनका निधन भी हो गया।

कुलाधिपति का निर्देश

रांची यूनिवर्सिटी समेत राज्य की अन्य यूनिवर्सिटीज के शिक्षकों के प्रोमोशन और खाली सीटों पर नियुक्ति को लेकर कु लाधिपति सह राज्यपाल रमेश बैस ने कई बार निर्देश दिया है। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाकर प्रोमोशन देने को कहा है। बावजूद इसके प्रोफेसर्स का प्रोमोशन अटका हुआ है।

यूनिवर्सिटी को अधिकार नहीं

प्रोफेसर्स के प्रोमोशन के लिए यूनिवर्सिटी को अधिकार प्राप्त नहीं है। प्रोफेसर्स के प्रोमोशन का अधिकार झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को है, लेकिन जेपीएससी के पास भी असिस्टेंट प्रोफेसर्स के प्रोमोशन को लेकर राज्य सरकार की ओर से कोई मार्गदर्शन नहीं दिया गया है। वहीं यूनिवर्सिटी के 2010 के रेग्युलेशन की हरी झंडी उच्च शिक्षा विभाग से नहीं मिल रही है।

एचओडी को भी प्रोमोशन नहीं

रांची यूनिवर्सिटी में ऐसे कई असिस्टेंट प्रोफेसर हैं जो एचओडी बना दिए गए, लेकिन उन्हें प्रोमोशन नहीं मिला है। इन प्रोफेसर्स में रांची यूनिवर्सिटी के केमेस्ट्री के एचओडी डॉ हरिओम पांडेय, बंग्ला विभाग के पूर्व एचओडी डॉ प्रियरंजन लाहा, आरएलएसवाई, कोकर के पॉलिटिकल साइंस के एचओडी डॉ श्रवण सिंह का नाम शामिल है।

एक ही विभाग के 30 का प्रोमोशन नहीं

रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा के अध्यक्ष डॉ हरि उरांव, डॉ रामकिशोर भगत, डॉ गीता सिंह, प्रोफेसर शशि कुमारी, डॉ एस मेरी सोरेन, आरएलएसवाई कॉलेज नागपुरी भाषा विभाग के डॉ खालिक अहमद समेत 51 प्रोफेसर्स में से 30 प्रोमोशन के इंतजार में हैं। इन प्रोफेसर्स की सेवा एक-दो साल ही बची है। 51 में से कुछ प्रोफेसर्स रिटायर हो गए, जबकि कुछ प्रोफेसर्स का निधन हो गया।

क्या कहता है फुटाज

असिस्टेंट प्रोफेसर्स के प्रोमोशन को लेकर हमलोग कई बार कुलाधिपति को पत्र लिख चुके हैं। इसे लेकर फुटाज जल्द ही कुलाधिपति से मिलनेवाला है। उच्च शिक्षा विभाग में भी यह मामला अटका हुआ है।

डॉ नवीन कुमार सिंह, अध्यक्ष, फुटाज

आरयू का पक्ष

यूनिवर्सिटी के वर्ष 2010 का रेग्युलेशन पास नहीं हुआ है। रेग्युलेशन से संबंधित फाइल अभी कार्मिक विभाग में ही है। कार्मिक के बाद फाइल वित्त्त विभाग में जाएगी, जहां प्रोमोशन को लेकर सरकार पर पडऩे वाले आर्थिक भार पर विचार किया जाएगा। वर्ष 2018 का रेग्युलेशन 2010 के रेग्युलेशन के नेचर से अलग था। इसलिए उसे पहले पास कर दिया गया।

डॉ एमसी मेहता, रजिस्ट्रार, रांची यूनिवर्सिटी

विभाग का पक्ष

यूनिवर्सिटी के वर्ष 2010 का रेग्युलेशन को लेकर कुछ क्वेरी थी, जिसपर मंथन चल रहा है। जल्द ही इसपर निर्णय ले लिया जाएगा। विभाग के मुख्य सचिव केके खंडेलवाल के अवकाश से लौटते ही इसपर निर्णय होगा।

केपी सिंह, स्पेशल सेक्रे टरी, उच्च शिक्षा विभाग