रांची (ब्यूरो) । एचआरडीसी सभागार में यूजीसी द्वारा प्रायोजित रांची विश्वविद्यालय के संकाय संवर्धन कार्यक्रम का सोमवार को समापन हुआ। 3 जनवरी से शुरू हुए 15वें गुरु दक्षता कार्यक्रम में विदाई समारोह को संबोधित करते हुए एचआरडीसी के निर्देशक प्रोफेसर डॉ सुदेश कुमार साहू ने सभी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि शैक्षिक नेतृत्व के लिये जन्मजात विशेषताओं को आजकल स्वीकार नहीं किया जाता है, बल्कि व्यक्तित्व सम्बन्धी अनेक गुणों तथा अर्जित योग्यताओं को ही शैक्षिक नेतृत्व का आधार स्वीकार किया जाता है।

समाज की भलाई में उपयोगी

उन्होंने कहा कि देश की रचनात्मक तथा विकासात्मक अवस्था के मूल में शिक्षा ही होती है। उत्तम शिक्षा तथा समाजोपयोगी शिक्षा की व्यवस्था शैक्षिक नेतृत्व के अभाव में कदापि नहीं हो सकती। शिक्षा विभाग के अन्तर्गत असंख्य शिक्षण-संस्थाएं समाज-कल्याण में सहायक होती हैं। इन संस्थाओं में पढऩे वाले छात्र दिन-रात अध्ययन की प्रक्रिया में तल्लीन रहते हैं परन्तु छात्रों की कार्य क्षमता को उचित दिशा दिखाने के लिये शैक्षिक नेतृत्व की परमावश्यकता होती है।

वैल्यूज में बदलाव

15वें गुरु दक्षता कार्यक्रम की समन्वयक डॉ कुमारी उर्वशी ने कहा कि समाज सदैव एक-सी स्थिति में नहीं रहा करता। समाज की मान्यताओं, मूल्यों तथा धारणाओं में परिवर्तन होता रहता है। शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सामान माना जाता है, साथ ही शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का अनुगमन भी करना पड़ता है। समाज के अनुरूप किस प्रकार की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए तथा शिक्षा के उद्धेश्य, पाठ्यक्रम, व्यवस्था, शिक्षण विधि आदि में किस प्रकार का परिवर्तन होना आवश्यक है, इन सभी बातों का ज्ञान शिक्षकों को होना चाहिए । संकाय संवर्धन कार्यक्रम से आप लोग इस तरह की कई नई जानकारियों से संपूर्ण होकर अपने महाविद्यालय में वापस जा रहे हैं। वहां अवश्य इसका लाभ उठाएं।