RANCHI : मेरे बाबा कहते थे कि तुम्हें डॉक्टर बनाना है, चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। लेकिन, अब मुझे कौन डॉक्टर बनाएगा? मेरे तीन छोटे भाई-बहन हैं। हमलोग अब कैसे पढ़ेंगे? अपना दर्द बयां करते हुए शुक्रवार को ये सवाल कर रही थी सिलागाई के दशरथ भगत (अब मृत) की बड़ी बेटी सुमिता कुमारी। 14 साल की सुमिता कुमारी लोहरदगा के शीला अग्रवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में 9वीं क्लास की स्टूडेंट है। ईद के दिन सिलागाई में दो समुदायों के बीच हुई मारपीट की घटना में दशरथ भगत की मौत हो गई थी। अपने बच्चों के लिए बड़े-बड़े सपने पालने वाला दशरथ अब इस दुनिया में नहीं है। अब दशरथ की पत्‍‌नी चरिया को अपने चार बच्चों को खाना खिलाने की चिंता और उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाने का डर सता रहा है।

बच्चों की पढ़ाई के लिए जमीन गिरवी रखी

आई नेक्स्ट की टीम शुक्रवार को दशरथ भगत की पत्नी चरिया के पास पहुंची। वह कहने लगी- अब मैं क्या करूं? मेरे बच्चे कभी डॉक्टर नहीं बन पाएंगे। मेरे पति ने बच्चों की पढ़ाई के लिए गांव की अपनी जमीन गिरवी रख दी थी। इससे मिले पैसों से बच्चों को पढ़ाने के लिए लोहरदगा में डेरा ले रखा था। हमारी दो बेटियां सुमिता कुमारी व मुक्ति और बेटा ज्ञानदेव उरांव वहां रहकर पढ़ाई कर रहे थे। मेरे पति हर महीने जो कमाते थे, उसे लोहरदगा में बच्चों को पहुंचा आते थे। हमलोग अपने छोटे बेटे के साथ गांव में रहकर गुजर-बसर कर रहे थे कि बच्चों को पढ़ाकर अच्छा इंसान बनाएंगे। लेकिन, अब हमारा सपना अधूरा रह जाएगा।

दशरथ की थी चाहत, नेतरहाट स्कूल में पढ़ें बच्चे

0वीं तक पढ़े दशरथ के सपने बड़े थे। वह अपने बच्चों को नेतरहाट स्कूल में भी पढ़ाना चाहता था। दशरथ का 11 साल का बेटा ज्ञानदेव उरांव ने कहा- पापा ने मुझे पिछले साल नेतरहाट स्कूल में एडमिशन के लिए परीक्षा दिलाई थी, लेकिन मेरा एडमिशन नहीं हो पाया था। इस साल फिर से परीक्षा की तैयारी मैं लोहरदगा में रहकर कर रहा था, लेकिन अब पता नहीं क्या होगा।

मुझे बच्चों को पढ़ाना है

दशरथ की पत्नी चरिया ने कहा- मेरे पति हमेशा बच्चों की पढ़ाई के लिए परेशान रहे। अब वह इस दुनिया में नहीं हैं। हमलोगों की आय का साधन भी बंद हो गया है। मैं अपने बच्चों को लोहरदगा में ही रखना चाहती हूं और उनकी पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं, लेकिन अब मेरे पास पैसे नहीं हैं। बच्चों को हर महीने पैसे देने होंगे। सरकार के लोगों ने अश्वासन तो दिया है, लेकिन वह कब पूरा होगा पता नहीं।

चेक मिला, लेकिन अकाउंट नहीं खुला

दशरथ की मौत के बाद रांची जिला प्रशासन ने दशरथ की पत्‍‌नी चरिया को बतौर मुआवजा पांच लाख रुपए का चेक दिया है। प्रशासन ने चेक तो दे दिया है, लेकिन चरिया को पैसे अभी तक नहीं मिले हैं। इसकी वजह यह है कि चरिया का किसी भी बैंक में अकाउंट नहीं है। प्रशासन ने उसके बैंक अकाउंट खोलने की बात तो कही है, लेकिन वह अभी तक नहीं खुल पाया है।