रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची के नगर निगम क्षेत्र में निजी या सरकारी भवनों पर यदि बिना निगम की अनुमति हॉर्डिंग्स-पोस्टर लगाई तो जुर्माना देने के लिए तैयार रहें। जल्द ही मकानों पर लगी हॉर्डिंग्स की जांच शुरू होगी। इसके बाद झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के आलोक में भवन मालिकों व हॉर्र्डिग्स एजेंसी पर कार्रवाई होगी। निजी भवन का व्यावसायिक उपयोग करने के लिए मकान मालिकों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा अवैध हॉर्डिंग लगाने वाली एजेंसी का निबंधन रद किया जाएगा। हॉर्डिंग बनाने वाले फैब्रिकेटर भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे। नगर विकास विभाग द्वारा रांची नगर निगम सहित राज्य के सभी नगर निगमों और निकायो को इससे संबंधित पत्र भेजा गया है।

आरएमसी की परमिशन है जरूरी

विज्ञापन के हॉर्डिंग से रांची नगर निगम को हर साल लगभग चार करोड़ रुपये की आमदनी होती है। आमतौर पर लगभग सभी घरों ने अनुमति लेने के बाद ही हॉर्डिंग लगवाए थे, लेकिन उनमें से ज्यादातर लोगों का नवीकरण नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में वे भी अपना नवीकरण करा लें। बता दें कि वर्तमान में करीब 250 घरों को हॉर्डिंग लगाने की अनुमति है।

देना होगा कॉमर्शियल होल्डिंग टैक्स

जारी निर्देश के अनुसार, जिन घरों पर अवैध हॉर्डिंग लगे हैं, उन्हें कॉमर्शियल होल्डिंग टैक्स देना होगा। राजस्व शाखा के प्रभारी व निगम की एजेंसी स्पैरो सॉफ्टेक को निर्देश दिया गया है कि जुर्माना लेने के बाद इन मकानों के होल्डिंग का निर्धारण कॉमर्शियल टैक्स के तहत करें और उनसे उसी के अनुरूप वसूली करें। मकान मालिकों को सूचित किया गया है कि जब भी कोई एजेंसी उनके घर पर हॉर्डिंग लगाने के लिए आती हैं तो उनसे निगम के आदेश की कॉपी मांगें। साथ ही नगर निगम के बाजार शाखा को इसकी जानकारी दें।

15 दिनों के भीतर ले लें अनुमति

नगर निगम की अनुमति के बिना यदि निगम क्षेत्र में पोस्टर, बैनर, हॉर्डिंग्स, फ्रेम, कियोस्क, वाहन पर विज्ञापन, नियोन साइन बोर्ड या स्काई साइन बोर्ड लगाते हैं तो 25 हजार रुपए का जुर्माना देना पड़ सकता है। इसके बाद प्रतिदिन 100 रुपए अर्थदंड भी लगेगा। इसके लिए नगरपालिका एक्ट का हवाला दिया गया है। नगर निगम क्षेत्र में लगे अवैध हॉर्डिंग्स, बैनर हटाए जाएंगे। निजी भवन पर भी अगर बिना निगम की अनुमति के हॉर्डिंग लगाया गया है तो 15 दिनों के अंदर इसकी अनुमति निगम से लेनी होगी। इसके बाद झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा-602 के तहत और अधिनियम की धारा 172 में निधारित दर से पांच गुना अधिक जुर्माना वसूला जाएगा। इसके साथ ही माल, व्यावसायिक और निजी भवन पर लगाए गए विज्ञापन के लिए पूरे एक वित्तीय वर्ष का जुर्माना लिया जाएगा। इसी तरह भवन, स्मारक, चहारदीवारी, वृक्ष व सार्वजनिक स्थल पर इश्तेहार चिपकाने पर भी पांच हजार रुपए का जुर्माना तय है।

पोस्टर चिपकाना भी पड़ेगा महंगा

शहर में जहां-तहां दीवारों पर पोस्टर चिपकाना भी अब महंगा पड़ेगा। पोस्टर चिपकाने वाले ऐसे लोगों के विरुद्ध नगर निगम कार्रवाई शुरू करेगा। बिना अनुमति के सरकारी कार्यालयों की दीवारों पर पोस्टर चिपकाने या कुछ लिखने वाले संस्थान के संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी। यदि नोटिस के बाद भी पोस्टर को नहीं हटाया तो नगर निगम अधिनियम के तहत उनसे जुर्माना वसूला जाएगा।

अधिकतर जगहों पर कोचिंग के पोस्टर

शहर में प्रमुख कार्यालयों और चौक-चाराहों पर देखा जाए तो सबसे ज्यादा कोचिंग संचालकों व गुप्त रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के पोस्टर का कब्जा रहता है। संस्थान के संचालको द्वारा कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया जाता है कि कहां पोस्टर लगाना है और कहां पोस्टर नहीं लगाना है। नतीजन कर्मी सरकारी कार्यालयों की दीवारों के साथ-साथ निगम द्वारा बनवाए गए यूरिनल और शौचालयों की दीवारों, स्टैंड में भी पोस्टर चिपकाकर उसकी पहचान खत्म कर देते हैं।

आम लोग भी हैं परेशान

घर की दीवारों पर पोस्टर चिपकाने और दीवार लेखन करने से आम लोग भी काफी परेशान हैं। पोस्टर चिपकाने या दीवार लेखन करने से कोई रोके नहीं, इसके लिए रात को घर की दीवारों पर पोस्टर चिपका दिया जाता है या कुछ लिख दिया जाता है। सुबह जब गृहस्वामी अपने घर की दीवार की बिगड़ी हुई सूरत देखते हैं तो माथा पीट लेते हैं। लोग निजी दीवारों को भी गंदा करने वालों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।