RANCHI : जेपीएससी की पांचवी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा से रिजेक्ट किए गए अभ्यर्थियों का गवर्नर हाउस के पास अनशन तीसरे दिन भी जारी रहा। शुक्रवार की रात भूख हड़ताल पर बैठे एक अभ्यर्थी की तबीयत बिगड़ गई, जिसका सदर डॉक्टर्स ने चेकअप किया। धरना दे रहे अभ्यर्थियों ने न्याय मिलने तक किसी भी कीमत पर अनशन नहीं तोड़ने का एलान कर दिया है। इसके बाद भी जेपीएससी के किसी सदस्य अथवा अधिकारी ने आंदोलनरत अभ्यर्थियों ने मुलाकात करना तक मुनासिब नहीं समझा। आयोग एक दिसंबर से इंटरव्यू लेने पर अड़ा हुआ है, जबकि अभ्यर्थी जांच रिपोर्ट आने तक इंटरव्यू कैंसिल करने की मांग कर रहे हैं।

यहां से नहीं हटेंगे

शनिवार को अनशन के तीसरे दिन अभ्यर्थियों ने कहा कि वे हर हाल में हक लेकर रहेंगे। ठंड के मौसम में भी ये रातभर अनशन स्थल पर डटे हुए हैं। 19 नवंबर को इन्होंने जेपीएससी ऑफिस के पास महाधरना आयोजित किया था। यहीं से अभ्यर्थियों ने मांगे माने तक आमरण अनशन शुरू करने का ऐलान कर दिया था। हालांकि, इसी दिन देर शाम कोतवाली पुलिस ने निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला देकर अभ्यर्थियों को हिरासत में ले लिया था, पर कुछ घंटे बाद इन्हें रिहा कर दिया। इसके बात अभ्यर्थियों का अनशन स्थल आयोग के पास से गवर्नर हाउस के पास शिफ्ट कर गया। दो दिनों तक तो यहां वे बिना टेंट के ही अनशन पर बैठे रहे, लेकिन शनिवार को टेंट की यहां व्यवस्था कर दी गई।

जेवीएम का मिला साथ

अनशन कर रहे जेपीएससी अभ्यर्थियों को झारखंड विकास मोर्चा का साथ मिल गया है। शनिवार को दोपहर दो बजे के करीब पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और विधायक प्रदीप यादव ने अनशन स्थल पर आकर अभ्यर्थियों से मुलाकात की। इन्होंने कहा कि सरकार और आयोग अभ्यर्थियों के साथ अन्याय कर रही है। आपकी लड़ाई में पार्टी आपके साथ है। विधायक प्रदीप यादव ने आश्वासन दिया कि मेन्स एग्जाम में 618 कैंडिडेट्स को रिजेक्ट किए जाने के पीछे कहीं न कहीं गड़बड़ी है। इसकी जांच होनी चाहिए। एक छात्र संगठन के सदस्यों ने भी अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों से मुलाकात की।

हर हाल में चाहिए न्याय

रिजेक्ट किए गए अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें हर हाल में इंसाफ चाहिए। मांगे माने जाने तक अनशन जारी रहेगी, भले ही जान क्यों नहीं चली जाए। हमारी लड़ाई जेपीएससी के खिलाफ है। आयोग को यह बताना होगा कि किस आधार पर 618 कैंडिडेट्स को मेन्स एग्जाम से रिजेक्ट कर दिया गया। इस अनशन से हमें फायदा हो या नहीं हो, लेकिन आगे आयोग की ओर से इस तरह गड़बड़ी का खामियाजा अभ्यर्थियों को तो नहीं भुगतना पड़ेगा।