रांची(ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव से पहले युवाओं के मुद्दे क्या होंगे, इस विषय पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से राजनी-टी परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को लेकर रांची के युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। रांची के युवा रोजगार और शिक्षा के साथ ही एजुकेशन के लेवल को ऊपर उठाने और करप्शन को खत्म या कम करने के मुद्दों को अहमियत देते ही हैैं, साथ ही राजनीतिक दलों में भी जिम्मेवारी के भाव के हिमायती हैैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम कोकर पहुंची, जहां युवा छात्रों ने खुलकर अपनी बात रखी। युवाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके मुद्दे काफी अलग-अलग हैैं, लेकिन मूल यही है कि सभी देश का विकास चाहते हैैं। यहां प्रस्तुत है कोकर में आयोजित परिचर्चा में शामिल युवाओं की बात।
बर्बाद न हो युवा शक्ति
इंडिया में बड़ी संख्या में युवाओं को नशे में धुत्त पाया जाता है। यूथ इसके खिलाफ हैैं। वे चाहते हैैं कि नशे की लत का जड़ से खात्मा हो और इसके लिए सरकार बाकायदा एक पॉलिसी बनाए। कड़े कानून बनाकर नशे के किसी भी किस्म का व्यापार करने वालों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए। यूथ चाहते हैैं कि ऐसी किसी सामग्री के कारोबार की इजाजत सरकार न दे, तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। इसके साथ ही सभी पार्टियों को नशे के खिलाफ पॉलिसी बनानी चाहिए, ताकि युवा उन्हें चुन सकें, जो उनके उज्जवल भविष्य के लिए लाभदायक हो।

क्या कहा रांची के युवाओं ने
एजुकेशन पॉलिसी बदल रही है। सरकार इसके लिए प्रयासरत है। हालांकि, अभी पॉलिसी पूरी तरह से लागू नहीं की जा सकी है। मेरा मानना है कि पॉलिसी के साथ ही नजरिया भी बदलना चाहिए। आज ग्रामीण इलाकों में बच्चों के स्कूल जाने का एक ही अर्थ होता है। बच्चे स्कूल केवल इसलिए जाते हैैं, ताकि उन्हें मिड डे मील मिल सके। कुल मिलाकर पेट भरने के लिए ही बच्चे स्कूल के कैंपस पहुंचते हैैं। जबकि होना यह चाहिए कि उन्हें भोजन के साथ ही क्वालिटी एजुकेशन भी मिले। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। ग्रामीण इलाकों की बात छोडि़ए, शहरों में भी बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर्स की अच्छी क्वालिटी नहीं है। स्टूडेंट्स को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मेरा मानना है कि किसी भी राजनीतिक दल को युवाओं को फोकस रखकर एजुकेशन पर बात करनी चाहिए, तभी उन्हें हमारा साथ मिलेगा।
ऋषि सिंह

गरीबी और पिछड़ापन सभी के लिए अभिशाप है। यह किसी जाति विशेष से ही नहीं आती, बल्कि सदियों की दुर्दशा झेलने वाले पूरे वर्ग को ही अपनी चपेट में लेती है। मेरा मानना है कि इस बार का अहम मुद्दा जेनरल कास्ट के लिए रिजर्वेशन होना चाहिए। अभी तक आरक्षण देकर जिन लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाया जा चुका है, उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध मान लेना चाहिए। वहीं जो लोग अगड़ी जाति में रहते हुए भी आर्थिक रूप से कमजोर हैैं, उनके लिए आरक्षण की सीमा बढ़ानी चाहिए। समय आ गया है कि राजनीतिक दल यह तय करें कि उन्हें किनके साथ खड़ा रहना है। कमजोर वर्ग के साथ या धनाढ्य वर्ग के साथ।
आदित्य प्रताप सिंह

बिजनेस सेक्टर के लिए भी नेताओं और पार्टियों को सोचना चाहिए। अभी तक बड़ा-छोटा हर तरह का सरकारी काम कराने के लिए विदेशी कंपनियों का मुंह देखा जाता था। हाल के वर्षों में यह परिपाटी समाप्त हुई है। बड़़ी संख्या में सरकारी ठेके अब इंडियन कंपनियों को मिल रहे हैैं। छोटे स्तर के काम भी युवाओं की टोलियों को मिलने चाहिए। साथ ही ऐसी पॉलिसी बनानी चाहिए, जिससे रोजगार के लिए युवाओं को आराम से लोन मिल सके। कई तरह की योजनाओं की घोषणा होती है, लेकिन उन्हें पाने की राह भी आसान होनी चाहिए। आज भारत तेजी से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में पचान बना रहा है। यही मुद्दा सबसे बड़ा है।
सुमन सिंह

भारत में भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा है। करप्शन के कारण हर सेक्टर प्रभावित होता है। चाहे बिजनेस सेक्टर हो या फिर ब्यूरोक्रेसी हर स्तर पर करप्शन खत्म होना चाहिए। जिस पार्टी में यह माद्दा हो कि वह पहले अपने अंदर के भ्रष्टाचार को खत्म करेगी, उसे युवा जरूर अपनी पहली पसंद बनाएंगे। अभी हर दल में दागदार लोग मौजूद हैैं। राजनीतिक दलों में पारदर्शिता का भी अभाव है। ज्यादातर युवा यही चाहते हैैं कि उनके आसपास किसी दफ्तर में भ्रष्टाचार न हो। वे किसी काम के लिए सरकारी ऑफिस में जाएं, तो उन्हें पेशगी न देनी पड़े। ऐसी व्यवस्था करने में जो भी पार्टी सक्षम होगी, युवाओं का सथ उस पार्टी को जरूर मिलेगा।
मो साकिब

मेरा मुद्दा एजुकेशन तो है ही, साथ ही साथ देश की तरक्की भी है। हमें उस दल या राजनेता को चुनना चाहिए, जो युवाओं के एजुकेशन के लेवल को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का वादा किया हो। भारत में फिलहाल कई तरह के सुधारवादी काम चल रहे हैैं। इन्हें आगे बढ़ाने के लिए मजबूत नेता और साफ नीयत चाहिए। जिन राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में युवा होंगे, उन्हें युवाओं का साथ जरूर मिलेगा।
हर्षवद्र्धन सिंह

युवाओं के लिए आज केवल दो-चार मुद्दे ही सीमित नहीं हैैं, बल्कि युवा पूरे राष्ट्र का विकास चाहता है। मैैं एक यूथ होने के नाते यह कहना चाहूंगा कि देश में हर तबके के विकास के लिए पार्टियों में प्रतिबद्धता होनी चाहिए। कोई भी पार्टी अगर योजनाओं की घोषणा करे, तो उसे धरातल पर उतारने का रोडमैप भी जरूर तैयार रखे। देश में ऐसी कई योजनाएं चल रही हैैं, जिनका लाभ आम लोगों को मिला है। यह जारी रहे।
अंकित कुमार

युवा पीढ़ी के लिए आज सबसे अहम है जॉब। अगर जॉब नहीं होगा तो हम कहां जाएंगे। वैसे पिछले दस सालों में जॉब देने के लिए जिस स्तर पर हर स्टेट और केंद्र की सरकारों ने काम किया है, उसमें और भी प्रगति होनी चाहिए। युवाओं को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनकी पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्हें बेरोजगार नहीं छोड़ा जाएगा। ऐसा करने वाली पार्टियों और उम्मीदवारों को युवाओं का साथ जरूर मिलना चाहिए।
आकाश कुमार


फस्र्ट टाइम वोटर
आम तौर पर एजुकेशन और रोजगार तो मुद्दा है ही, लेकिन मैैं चाहता हूं कि सड़कों पर रोज होने वाली दुर्घटनाओं के विषय में भी बातचीत हो। सत्ता में आज जो दल हैैं या फिर जिन्हें सत्ता में आना है, उन सभी को गंभीरता के साथ यह तय करना चाहिए कि युवाओं का खून यूं ही सड़कों पर न बहे। युवा हादसे के शिकार हो रहे हैैं। इसके लिए जिम्मेवार कौन है। यह समझना होगा कि एक्सीडेंट केवल रफ्तार के कारण नहीं होते। कई बार खराब सड़कें भी लोगों की जान ले लेती हैैं। मैैं सभी राजनीति दलों से मांग करता हूं कि वे अपने मेनिफेस्टो में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग बनाने की घोषणा करें।
लक्ष्य वर्मा