- लॉकडाउन पीरिएड की फीस माफ कराने में नहीं मिली शिक्षा मंत्री को सफलता

- एनुअल चार्ज भी वसूलने के मुद्दे पर राहत नहीं

- पेरेंट्स को देनी होगी फीस, अन्य चार्ज अभी नहीं वसूलेंगे स्कूल

- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होगा अंतिम निर्णय

मंत्री ने क्या-क्या कहा

1. स्कूल वाले फीस नहीं देने पर बच्चे का नाम नहीं काटेंगे।

2. किसी बच्चे को एग्जाम से बाहर नहीं किया जाएगा।

3. दो माह की राशि काटकर स्कूल वाले एनुअल चार्ज लेंगे।

4. तीन माह तक बस भाड़ा व अन्य शुल्क नहीं लिया जाएगा।

राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो प्राइवेट स्कूलों से ट्यूशन फीस माफ कराने में सफल नहीं हो पाए। मंगलवार को प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ प्रोजेक्ट भवन में हुई बैठक में सभी स्कूल वालों ने ट्यूशन फीस माफ करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही यह फैसला हुआ कि बस का किराया स्कूल प्रबंधन नहीं लेंगे, लेकिन जिन स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है, वे लॉक डाउन की पूरी अवधि का ट्यूशन फीस लेंगे।

प्राइवेट स्कूलों ने रखा अपना पक्ष

बैठक में प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस लेने को लेकर अड़े रहे। उनका कहना था कि इस शुल्क से ही वे टीचर्स और अन्य स्टाफ का वेतन भुगतान करते हैं। स्कूलों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। अंत में तय हुआ कि स्कूल फिलहाल टयूशन फीस लेंगे। बस भाड़ा तथा अन्य कोई शुल्क अभी नहीं वसूलेंगे। इसे लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग शीघ्र ही एक आदेश जारी करेगा। बैठक में मंत्री एनुअल चार्जेज भी माफ नहीं करा सके। बकौल मंत्री, स्कूलों ने इसपर सहमति दी है कि वे दो माह की राशि काटकर वार्षिक शुल्क लेंगे। उनके अनुसार, स्कूलों ने तीन माह तक बस भाड़ा व अन्य शुल्क नहीं लेने की बात स्वीकार की है। निजी स्कूल फीस वृद्धि भी नहीं करेंगे। फीस नहीं देने पर किसी बच्चे का नाम नहीं काटा जाएगा, परीक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा।

रियायतों पर कोई चर्चा नहीं

मंत्री के अनुसार, फीस माफी को लेकर अन्य राज्यों का मामला सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में भी लंबित है। न्यायालय का फैसला आने के बाद इसपर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इधर, सीबीएसई स्कूलों के संगठन सहोदया के अध्यक्ष सह डीपीएस स्कूल के प्राचार्य डॉ राम सिंह ने कहा कि अभी स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की छूट मिली है। अन्य शुल्क स्कूल अभी नहीं लेंगे। इसपर बाद में निर्णय लिया जाएगा। पिछली बैठक में निजी स्कूलों द्वारा बस शुल्क सहित अन्य रियायतें देने पर बनी सहमति के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज की बैठक में उसपर कोई चर्चा नहीं हुई है। गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूल्स बस भाड़ा माफ करने तथा शुल्क नहीं बढ़ाने को पहले से ही तैयार थे।

दो से पांच सौ की ही बचत

अभिभावकों की सबसे बड़ी उम्मीद थी कि सरकार लॉकडाउन अवधि का ट्यूशन फीस माफ करा देगी, क्योंकि यही बड़ी राशि होती है। निजी स्कूल एक माह का बस भाड़ा तो वैसे भी गर्मी की छुट्टी होने के कारण नहीं लेते हैं। वहीं स्कूल बंद होने के कारण भी निजी स्कूल बस भाड़ा नहीं ले सकते। अन्य शुल्क माफ होने से अभिभावकों को दो सौ से पांच सौ रुपये प्रतिमाह तक की ही बचत होगी। अन्य शुल्क में स्कूल वाले लाइब्रेरी शुल्क, स्मार्ट क्लास, मेंटेनेंस स्कूल आदि वसूलते हैं।

अभिभावक संघ के साथ नहीं हुई बैठक

मंत्री ने प्राचार्यो से पहले ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन तथा झारखंड अभिभावक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। हालांकि, इन्हें प्रिंसिपल्स के साथ बैठक में शामिल नहीं किया गया। इसका ये विरोध भी कर रहे थे। अभिभावक संघ से जुड़े लोग तीन माह तक सभी प्रकार के शुल्क माफ करने की मांग कर रहे थे।

केवल आग्रह किया था

बैठक के बाद जब मीडिया ने मंत्री जगरनाथ महतो से पूछा कि आखिर उन्होंने पहले जो घोषणा की थी कि स्कूल ट्यूशन फीस नहीं लेंगे, उसका क्या हुआ? इस पर मंत्री श्री महतो ने कहा कि उन्होंने घोषणा नहीं की थी, बल्कि प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट से आग्रह किया था कि लॉकडाउन में पेरेंट्स की आर्थिक स्थिति को देखते हुए फीस न लिया जाए। वैसे, इस पूरे मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है, इसलिए फिलहाल जो फैसला अभी हुआ है, उसे लागू किया जाएगा।