रांची (ब्यूरो)। रांची के तुपुदाना एरिया में पहाड़ पर अवैध कब्जे और माइनिंग के खिलाफ पिछले साल जुलाई में छापेमारी हुई थी। तब क्षेत्र के बेरमाद, बालसिरिंग, हजाम इलाकों में पत्थर के खनिज उत्खनन एवं भंडारण का काला खेल सामने आया था। तब यह पाया गया था कि बेरमाद इलाके में जिस पहाड़ को खोखला किया जा रहा था, उसके लिए किसी ने लाइसेंस ही नहीं ली थी। वर्षों से अवैध क्रशर चल रहे थे। इसी प्रकार टॉरियन वल्र्ड स्कूल के पास भी हरदाग पहाड़ में चल रहे क्रशर को बंद कराया गया था। यहां करीब 12 पहाडिय़ों से खनन रोक दिया गया था। तब तुपुदाना ओपी में मामला भी दर्ज हुआ था। धीरे-धीरे यह अवैध कारोबार फिर से शुरू हो चुका है। इस बार भी वही लोग माइनिंग कर रहे हैैं, जिनके खिलाफ पिछले साल मामला दर्ज हुआ था।

किसी का खौफ नहीं

पहाड़ों पर कब्जा कर अवैध खनन करने वालों को किसी का खौफ नहीं है। इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि बेरमाद पहाड़ में बिना परमिट के जो खनन चल रहा है, उसमें जेसीबी, डंपर और ट्रैक्टर का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है। बेरमाद में मंगलू, मनोज कच्छप और संजय तिर्की के खिलाफ मामला दर्ज है। वहीं बालसिरिंग पहाड़ में चंद्रेश्वरी देवी, नीलम किस्पोट्टा, कमला देवी, कृष्ण मोहन प्रजापति के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है। दूसरी ओर, हजाम में घनश्याम प्रसाद, शिव नारायण सिंह, अरविंद कुमार पर पत्थर उत्खनन से संबंधित विभिन्न धाराओं पर मामला दर्ज किया गया है।

डंपिंग करने वाले भी पहचाने गए

इस एरिया में जो स्टोन क्रशर चलते हैैं, उन्हें 'खाद-पानीÓ मुहैया कराने वालों की भी कमी नहीं है। खनन विभाग ने अपने गोपनीय दस्तावेज में ऐसे लोगों के नाम दर्ज किए हैैं, जो वहां इस काले खेल में शामिल हैैं। खनन विभाग के अनुसार तुपुदाना में केशव कुमार, अनिल वर्मा, रिकी साहू, अर्जुन सिंह, सोनू सिंह, राधेश्याम केसरी, सागर, गणेश, सुरेश, शंभू सिंह, प्रकाश चौधरी और मुन्ना सिंह अवैध डंपिंग में साथ देते हैैं। इस अवैध धंधे के खिलाफ खान एवं खनिज विकास एवं विनियम अधिनियम 1957 की धारा 4 एवं 21, झारखंड लघु खनिज समानुदान नियमावली 2004 के नियम 54, झारखंड मिनिरल्स (प्रिवेंशन ऑफ इलीगल माइनिग ट्रांसपोर्टेशन एंड स्टोरेज) रूल 2017 के नियम 7, 9 एवं 13 साथ ही आइपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत तुपुदाना ओपी मे कुल 23 व्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज है।

धीरे-धीरे गायब हो जाते हैैं पहाड़

रांची और आसपास के इलाकों में स्टोन क्रशर चलाने वाले लोग बड़ी चालाकी के साथ अवैध धंधा करते हैैं। दरअसल, वे किसी एक एरिया में माइनिंग की परमिट हासिल कर लेते हैैं। उसी परमिट की आड़ में आसपास की छोटी-छोटी पहाडिय़ों पर कब्जा कर लेते हैैं। पुलिस वाले इसमें तब तक दखलंदाजी नहीं करते, जब तक खनन विभाग को आपत्ति न हो। इसी का फायदा उठाकर रांची में करीब 12 छोटी पहाडिय़ों को गायब कर दिया गया है। पहले जिन इलाकों में पहाडिय़ां नजर आती थीं, वहां अब समतल मैदान हैैं।