रांची(ब्यूरो)। सिटी के सिर्फ मार्केट ही नहीं, बल्कि ऊंचे ऊंचे भवन भी सेफ नहीं हैं। आग से बचाव की कोई व्यवस्था बड़े-बड़े भवनों में भी नहीं है। राजधानी में करीब 2500 भवन और मॉल के पास फायर डिपार्टमेंट का एनओसी तो है, लेकिन यहां फायर फाइटिंग की कोई सुविधा नहीं है। रांची नगर निगम ने एनओसी तो दे दिया लेकिन किसी भवन में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा भी है या नहीं, इसकी जांच तक नहीं की। जबकि राजधानी में सैकड़ों बिल्डिंग्स ऐसी हैं जहां फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं है। न तो इन भवनों की कभी जांच होती है, और न ही किसी पर कोई कार्रवाई। ऐसे में अगलगी जैसा हादसा होने पर लोगों को बचाना और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना मुश्किल साबित होगा।

दो दशक में गगनचुंबी इमारतें

राजधानी रांची में बीते बीस सालों में तेज रफ्तार से बहुमंजिली इमारतों का निर्माण किया गया है। लेकिन अगलगी की कई घटनाओं के बाद भी आग से बचाव को लेकर समुचित इंतजाम नहीं किए गए हैं। अग्निशमन विभाग को भी कर्मियों के अभाव में तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर अगलगी की बड़ी घटनाएं हुई हैं। राजधानी की कुछ बड़ी हाउसिंग सोसायटी आग से बचाव को लेकर पूरी तरह लापरवाह नजर आती हैं। खेलगांव हाउसिंग सोसायटी हो या कलेक्टेरिएट बिल्डिंग हर जगह घोर लापरवाही है।

एक नजर में खेलगांव हाउसिंग सोसायटी

खेलगांव स्थित हाउसिंग सोसायटी में एक से लेकर पांच सेक्टर हैं। इसमें सेक्टर-1 के नौ मंजिला टॉवर में कुल 768 फ्लैट्स हैं। सेक्टर 2 में तीन, सेक्टर तीन में पांच और इसी तरह से सेक्टर चार और पांच में बने नए भवन शामिल हैं। इनमें नए भवनों को छोड़कर अधिकतर में आग से निपटने का कोई साधन मौजूद नहीं है। यहां न तो अग्निशमन प्रणालियों का पर्याप्त रखरखाव है और न ही रिपोर्ट ही की जाती है। डेढ़ दशक पहले नेशनल गेम्स के वक्त खेलगांव में बहुमंजिली इमारतों का निर्माण हुआ, तो इसमें अग्निशमन प्रणाली में अग्नि, अलार्म, स्पिं्रकलर, पानी की नली लाइनें और अग्निशमन यंत्र शामिल थे। अधिकतर इमारतों में ये पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुके हैं। हाउसिंग सोसायटी में से अधिकतर प्रतिनिधियों और कर्मियों को अग्नि सुरक्षा नियमों की जानकारी तक नहीं है। उन्होंने अपनी स्थिति की जांच के लिए कोई एजेंसी भी नियुक्त नहीं की है।

सैकड़ों ऊंची इमारतें

राजधानी रांची में सैकड़ों ऊंची-ऊंची इमारते हैं। बीते पांच साल में शहर में सैकड़ों बिल्डिंग और मॉल का निर्माण हुआ है। सिटी में बहुमंजिली इमारतों का भी दनादन निर्माण हुआ है। इन इमारतों में भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। राजधानी में निर्मित करीब 15 बिल्डिंग्स ऐसी हैं, जो 12 मंजिल से ऊपर बनाने का परमिशन दिया गया है। इसमें कांके में सात, लालपुर में दो, और अरगोड़ा चौक व कटहल मोड़ में छह बिल्डिंग्स हैं। इन भवनों में सबसे अधिक ऊंचाई वाला भवन लालपुर बाजार के समीप स्थित है। इसकी ऊंचाई 22 मंजिला है। हालांकि यहां फायर फाइटिंग सिस्टम लगा हुआ है। लेकिन इसकी नियमित जांच नहीं होती है।

क्या है गाइडलाइंस

बहुमंजिली इमारतों में फायर फाइटिंग सिस्टम की अनिवार्यता है। इसके लिए फायर डिपार्टमेंट की ओर से गाइडलाइन भी जारी किया गया है। लेकिन इसके बाद भी कहीं भी इन गाइडलाइन का पालन नहीं होता है। जबकि फायर डिपार्टमेंट की इस गाइडलाइन के पालन के आधार पर ही नगर निगम से नक्शा पास होने का नियम है। लेकिन बिना जांच-पड़ताल के ही नगर निगम नक्शा पास कर देता है। इसमें पैसों का भी खेल होता है। निगम के अधिकारी-पदाधिकारी बिना जांच-पड़ताल किए भवनों का नक्शा पास कर देते हैं। कई बार इसमें लेन-देन का खुलासा हो चुका है, लेकिन फिर भी कभी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

क्या कहती है पब्लिक

अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग होना बेहद जरूरी है। एक अपार्टमेंट में कम से कम बीस परिवार रहते हैं, ऐसे में सुरक्षा बहुत जरूरी है।

- रौशन कुमार

आग लगने की घटना कहीं भी घट सकती है। इससे बचाव बहुत जरूरी है। सोसायटी में, फ्लैट में समेत अन्य सभी स्थानों पर फायर फाइटिंग होना ही चाहिए।

- अजय कुमार