RU की 67 एकड़ जमीन हुई गायब!
Ranchi University loses its 67 acre of land
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Ranchi : एक तरफ रांची यूनिवर्सिटी बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए जमीन नहीं होने का मातम मनाती है और दूसरी तरफ उसी की जमीन कोई गायब कर लेता है, फिर भी वह खामोश रहती है। जी हां, रांची यूनिवर्सिटी की जमीन गायब हो गई है। वह भी एक, दो, दस डिसमिल या पांच-दस एकड़ नहीं, बल्कि पूरी 67 एकड़ जमीन। रांची यूनिवर्सिटी की जमीन का इतना बड़ा हिस्सा गायब हो गया और रांची यूनिवर्सिटी को न इसकी फिक्र है और न कोई गम। वह इसे वापस हासिल करने के लिए भी कुछ बड़ा कदम नहीं उठा रही है। आपको हैरानी हो रही है न? यह तो कुछ भी नहीं है, जब आपको पता चलेगा कि इतनी जमीन को आखिर किसने गायब कर दिया, तब आप शायद और भी ज्यादा हैरान हो जाएंगे। जी हां, रांची यूनिवर्सिटी की 67 एकड़ जमीन को किसी और ने नहीं, बल्कि स्टेट को एजूकेशन हब बनाने, बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने और हायर एजूकेशन की फैसिलिटीज प्रोवाइड कराने के वादे और दावे करनेवाली हमारी स्टेट गवर्नमेंट ने ही दबोच लिया है.
Ranchi University की थी total 129 एकड़ जमीन
साल 1960 में जब रांची यूनिवर्सिटी (आरयू) की स्थापना हुई थी, तब इसके पास लगभग 129 एकड़ जमीन थी। इसपर पहले से पीजी डिपार्टमेंट और सेंट्रल लाइब्रेरी बने हुए थे। आरयू हेडक्वार्टर भी इसी में शामिल है। लेकिन, धीरे-धीरे कुछ सालों में इसकी 67 एकड़ जमीन पर स्टेट गवर्नमेंट ने कजा जमा लिया। स्टेट गवर्नमेंट ने इसपर कहीं पार्क बना दिया, तो कहीं हेलीपैड। रांची यूनिवर्सिटी के हाथ में अब सिर्फ 62 एकड़ जमीन ही बची है। इसमें पीजी डिपार्टमेंट और उसके बगल में एक ग्राउंड शामिल है.
बना दिए सिदो-कान्हू पार्क, नगर निगम पार्क और helipad
आरयू की जिस 67 एकड़ जमीन पर कजा जमा लिया गया है, उसपर स्टेट गवर्नमेंट ने कहीं तो पार्क बना दिया है, तो कहीं हेलीपैड। आरयू के एक्स प्रोवीसी डॉ वीपी शरण के मुताबिक, सिटी के सिदो-कान्हू पार्क, नगर निगम पार्क और नगर निगम पार्क के पीछे एक हेलीपैड, ये सभी आरयू की ही जमीन पर बनाए गए हैं। इनके लिए इस्तेमाल की गई जमीन आरयू की उन्हीं 67 एकड़ जमीन में शामिल है.
Helipad में दफन हो गया law college खोलने का सपना
डॉ वीपी शरण ने बताया कि स्टेट गवर्नमेंट ने आरयू की जिस जमीन पर हेलीपैड बना डाला है, आरयू उस जमीन पर लॉ कॉलेज खोलने की तैयारी कर रही थी। आरयू चाहती तो थी कि उस जमीन पर यह लॉ कॉलेज बन जाए, मगर मामला गवर्नमेंट से टकराने का था, इसलिए उस जमीन पर लॉ कॉलेज खोलने के लिए कोई पहल नहीं हो सकी। गौरतलब है कि आरयू की जमीन पर बनाया गया हेलीपैड का अभी कोई यूज नहीं हो रहा है। वहां ताला लगा हुआ है.
क्र के ङ्कष्ट की कोठी में रह रहे हैं झारखंड के ex-minister
आरयू के वीसी की कोठी सिटी के कांके रोड में थी। जिस जमीन पर वीसी की यह कोठी बनी, वह आरयू की उसी 67 एकड़ जमीन में ही शामिल है। झारखंड स्टेट बनने के बाद से इस कोठी पर स्टेट गवर्नमेंट का कजा हो गया है। झारखंड के फस्र्ट चीफ सेक्रेटरी को स्टेट गवर्नमेंट ने इसी कोठी को उनके आवास के रूप में अलॉट किया था। इसके बाद से इस कोठी को गवर्नमेंट ऑफिसर्स को रहने के लिए अलॉट किया जाता रहा है। अभी इस कोठी में झारखंड के एक एक्स-मिनिस्टर रह रहे हैं। इतनी जमीन जाने के बाद भी आरयू की ओर से इसे वापस हासिल करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है.
रातू मराहाजा ने दान में दी थी जमीन
हिस्टोरियन्स के मुताबिक, छोटानागपुर के नागवंशी महाराजा (रातू महाराजा) चिंतामणि शरण नाथ शाहदेव काफी दयालु और दानवीर हैं। उन्होंने व उनकी रॉयल फैमिली ने आम जनता के भले व सहूलियत के लिए कई जगहों पर जमीन दान में दे दी थी। कई कॉलेजेज व यूनिवर्सिटी को इस रॉयल फैमिली ने दान में जमीन दे दी थी। रांची यूनिवर्सिटी को भी रातू महाराजा ने ही दान में जमीन दी थी, ताकि यहां एजूकेशन को बढ़ावा मिले और यहां के लोग आगे बढ़ें, तरक्की करें। यही कारण है कि अनडिवाइडेड बिहार के तत्कालीन गवर्नर ने रातू महाराजा को रांची यूनिवर्सिटी का लाइफटाइम सीनेट मेंबर बनाया था। लेकिन, अब स्टेट गवर्नमेंट ने आरयू की 67 एकड़ जमीन पर अपना कजा जमा लिया है। आरयू के एक्स प्रोवीसी डॉ वीपी शरण बताते हैं कि जब आरयू द्वारा इस जमीन के संबंध में गवर्नमेंट से बात की गई, तो गवर्नमेंट की ओर से कहा गया कि अगर यह जमीन गवर्नमेंट की नहीं है, तो यह जमीन तो आरयू की भी नहीं है। बल्कि, यह तो रातू महाराजा की है। गवर्नमेंट के इस दो टूक जवाब के बाद आरयू ने भी आगे कोई पहल नहीं की.
Ranchi University की थी total 129 एकड़ जमीन
साल 1960 में जब रांची यूनिवर्सिटी (आरयू) की स्थापना हुई थी, तब इसके पास लगभग 129 एकड़ जमीन थी। इसपर पहले से पीजी डिपार्टमेंट और सेंट्रल लाइब्रेरी बने हुए थे। आरयू हेडक्वार्टर भी इसी में शामिल है। लेकिन, धीरे-धीरे कुछ सालों में इसकी 67 एकड़ जमीन पर स्टेट गवर्नमेंट ने कजा जमा लिया। स्टेट गवर्नमेंट ने इसपर कहीं पार्क बना दिया, तो कहीं हेलीपैड। रांची यूनिवर्सिटी के हाथ में अब सिर्फ 62 एकड़ जमीन ही बची है। इसमें पीजी डिपार्टमेंट और उसके बगल में एक ग्राउंड शामिल है।
बना दिए सिदो-कान्हू पार्क, नगर निगम पार्क और helipad
आरयू की जिस 67 एकड़ जमीन पर कजा जमा लिया गया है, उसपर स्टेट गवर्नमेंट ने कहीं तो पार्क बना दिया है, तो कहीं हेलीपैड। आरयू के एक्स प्रोवीसी डॉ वीपी शरण के मुताबिक, सिटी के सिदो-कान्हू पार्क, नगर निगम पार्क और नगर निगम पार्क के पीछे एक हेलीपैड, ये सभी आरयू की ही जमीन पर बनाए गए हैं। इनके लिए इस्तेमाल की गई जमीन आरयू की उन्हीं 67 एकड़ जमीन में शामिल है।
Helipad में दफन हो गया law college खोलने का सपना
डॉ वीपी शरण ने बताया कि स्टेट गवर्नमेंट ने आरयू की जिस जमीन पर हेलीपैड बना डाला है, आरयू उस जमीन पर लॉ कॉलेज खोलने की तैयारी कर रही थी। आरयू चाहती तो थी कि उस जमीन पर यह लॉ कॉलेज बन जाए, मगर मामला गवर्नमेंट से टकराने का था, इसलिए उस जमीन पर लॉ कॉलेज खोलने के लिए कोई पहल नहीं हो सकी। गौरतलब है कि आरयू की जमीन पर बनाया गया हेलीपैड का अभी कोई यूज नहीं हो रहा है। वहां ताला लगा हुआ है।
क्र के ङ्कष्ट की कोठी में रह रहे हैं झारखंड के ex-minister
आरयू के वीसी की कोठी सिटी के कांके रोड में थी। जिस जमीन पर वीसी की यह कोठी बनी, वह आरयू की उसी 67 एकड़ जमीन में ही शामिल है। झारखंड स्टेट बनने के बाद से इस कोठी पर स्टेट गवर्नमेंट का कजा हो गया है। झारखंड के फस्र्ट चीफ सेक्रेटरी को स्टेट गवर्नमेंट ने इसी कोठी को उनके आवास के रूप में अलॉट किया था। इसके बाद से इस कोठी को गवर्नमेंट ऑफिसर्स को रहने के लिए अलॉट किया जाता रहा है। अभी इस कोठी में झारखंड के एक एक्स-मिनिस्टर रह रहे हैं। इतनी जमीन जाने के बाद भी आरयू की ओर से इसे वापस हासिल करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है।
रातू मराहाजा ने दान में दी थी जमीन
हिस्टोरियन्स के मुताबिक, छोटानागपुर के नागवंशी महाराजा (रातू महाराजा) चिंतामणि शरण नाथ शाहदेव काफी दयालु और दानवीर हैं। उन्होंने व उनकी रॉयल फैमिली ने आम जनता के भले व सहूलियत के लिए कई जगहों पर जमीन दान में दे दी थी। कई कॉलेजेज व यूनिवर्सिटी को इस रॉयल फैमिली ने दान में जमीन दे दी थी। रांची यूनिवर्सिटी को भी रातू महाराजा ने ही दान में जमीन दी थी, ताकि यहां एजूकेशन को बढ़ावा मिले और यहां के लोग आगे बढ़ें, तरक्की करें। यही कारण है कि अनडिवाइडेड बिहार के तत्कालीन गवर्नर ने रातू महाराजा को रांची यूनिवर्सिटी का लाइफटाइम सीनेट मेंबर बनाया था। लेकिन, अब स्टेट गवर्नमेंट ने आरयू की 67 एकड़ जमीन पर अपना कजा जमा लिया है। आरयू के एक्स प्रोवीसी डॉ वीपी शरण बताते हैं कि जब आरयू द्वारा इस जमीन के संबंध में गवर्नमेंट से बात की गई, तो गवर्नमेंट की ओर से कहा गया कि अगर यह जमीन गवर्नमेंट की नहीं है, तो यह जमीन तो आरयू की भी नहीं है। बल्कि, यह तो रातू महाराजा की है। गवर्नमेंट के इस दो टूक जवाब के बाद आरयू ने भी आगे कोई पहल नहीं की।