रांची (ब्यूरो)। वीमेंस कॉलेज की नैक रैंकिंग घटाई जा सकती है। कॉलेज का ऑटोनॉमस भी खतरे में है। नैक की टीम रांची यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेज और विभागों का विजिट कर रही है। वीमेंस कॉलेज का विजिट भी नैक की टीम इसी माह करेगी। वीमेंस कॉलेज में स्थायी टीचर्स के 119 पद सृजित हैं, जिसमें से आधे से अधिक पद खाली हैं। कॉलेज में शिक्षण कार्य के लिए अभी कुल 63 टीचर्स हैं, जिसमें स्थायी और घंटी आधारित टीचर्स शामिल हैं।

टीचर्स का हुआ ट्रांसफर

रांची यूनिवर्सिटी ने वीमेंस कॉलेज के दर्जनों टीचर्स का ट्रांसफर कर दिया है। हाल ही में कॉलेज के पांच टीचर्स का ट्रांसफर दूसरे कॉलेजों में कर दिया गया। साथ ही वर्ष 2021 में कॉलेज के 13 टीचर्स का ट्रांसफर किया गया था। इससे वीमेंस कॉलेज में स्थाई टीचर्स की संख्या में घट गई। मालूम हो कि कॉलेज के ऑटोनॉमस की अवधि अगस्त महीने में समाप्त हो रही है।

10 हजार से ज्यादा छात्राएं

वीमेंस कॉलेज में 10 हजार से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं, जबकि पूर्व में यहां 1500 छात्राएं ही पढ़ती थीें। 10 हजार से अधिक छात्राओं को पढ़ाने के लिए कॉलेज में यूनिवर्सिटी की ओर से घंटी आधारित टीचर्स की नियुक्ति की गई है। कॉलेज में 8 से 10 टीचर्स घंटी आधारित हैं। ऑटोनॉमस को फिर से बहाल रखने के लिए यूजीसी की ओर से आधारभूत संरचना समेत स्थायी टीचर्स पर भी बल दिया जाता है। ऑटोनॉमस के एक्टिवेशन के लिए टीचर्स के जो आंकड़े भेजे जाते हैं उसमें स्थायी टीचर्सा होते हैं।

अच्छी रैंकिंग नहीं

रांची यूनिवर्सिटी और इसके विभिन्न कॉलेजों को नैक से अच्छी रैंकिंग नहीं मिल पा रही है। रांची में केवल सेंट जेवियर्स कॉलेज को ही ए ग्रेड की रैंकिंग प्राप्त है। इसके अलावा अब तक अन्य किसी कॉलेज को यह दर्जा नहीं मिल सका है।

क्यों जरूरी है अच्छी रैंकिंग

नैक की रैंकिं ग के आधार पर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को मानव संसाधन विभाग की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है। नैक की रैंकिंग के आधार पर कॉलेजों को हर साल लगभग 2 करोड़ रुपए की मदद दी जाती है। यह मदद कॉलेज की आधारभूत संरचना के विकास के लिए दिया जाता है।

5 वर्षों के आधार पर मूल्यांकन

नैक यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की रैंकिंग के लिए पिछले 5 वर्षो में उनके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करता है। इसमें संबंधित टीचर्स संस्थान के रिसर्च, पब्लिकेशन, कोर्स कैरिकुलम, एग्जामिनेशन समेत अन्य शामिल हैं। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति में शिक्षा के मूल्यांकन पर अधिक बल दिया गया है। इसमें केवल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शिक्षा देना नहीं है, बल्कि कुशल मानव संसाधन के विकास पर भी जोर दिया गया है।

कॉलेज में टीचर्स की काफी कमी है। कॉलेज में स्थायी और घंटी आधारित टीचर्स की संख्या केवल 63 है, जबकि पूर्व में यह संख्या 119 थीं। इसके अलावा कॉलेज में अन्य संसाधनों की भी कमी है।

-डॉ फुलमणि धान, उप प्राचार्य, वीमेंस कॉलेज, रांची