-रांची में फूड वैन वाले अपनी मर्जी से लगा रहे दुकान

-नगर निगम ने लाइसेंस लेकर फूड वैन लगाने का दिया है निर्देश

-एक साल में नगर निगम को 60 हजार रुपए देना है

24

दिसंबर तक लेना है लाइसेंस

400

से अधिक फूड वैन लगते हैं रांची में

रांची नगर निगम ने सभी फूड वैन ओनर 24 दिसंबर तक अपनी वैन का लाइसेंस लेने का निर्देश दिया है। ऐसा नहीं करने पर नगर निगम की टीम फूड वैन जब्त करेगी। शहर में हर चौक-चौराहे पर फूड वैन में खाने-पीने का सामान बिक रहा है, गिनती के फूड वैन ओनर्स ने इसका लाइसेंस लिया है।

फूड वैन के पास कोई कागज नहीं

राजधानी में धड़ल्ले से फूड वैन खुलते जा रह हैं। मेन रोड, लालपुर, जेल मोड़ समेत अन्य कई स्थानों पर फूड वैन सजते हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत मोरहाबादी मैदान की हो चुकी है। यहां 40 से 50 फूड वैन और दर्जनों छोटे-छोटे झोपड़ीनुमा काउंटर सजने लगे हैं। खास बात यह है कि इनमें से किसी के पास न तो एफएसएसएआई का रजिस्ट्रेशन और न ही ट्रेड लाइसेंस है। न तो फूड कंट्रोल का कोई परमिट है और न ही हेल्थ डिपार्टमेंट से मिला कोई सर्टिफिकेट। नियमानुसार नगर निगम से दुकान लगाने के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना जरूरी होता है, लेकिन न तो नगर निगम को कोई मतलब है और न ही एफएसएसएआई या फूड लैब से कोई यहां बिकने वाले खानों की जांच करने आता है।

नगर निगम क्षेत्र में 400 से भी अधिक मोबाइल फूड वैन अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। मोरहाबादी मैदान व आसपास के क्षेत्रों में लगभग 40-50 की संख्या में मोबाइल फूड वैन शुरू हो चुके हैं। सांसद शिबू सोरेन के आवास के सामने ही दर्जनों फूड वैन और छोटे-छोटे काउंटर स्थापित हो चुके हैं, जहां यंगस्टर्स की भीड़ लग रहती है। पूरे दिन चाय और सिगरेट के धुएं उड़ते हैं। मोरहाबादी में पीसीआर की ड्यूटी तो लगी है, लेकिन पुलिस के सामने ही लोग मजे से चाय सिगरेट पीते हैं। मोरहाबादी के अलावा कांके रोड, ईस्ट जेल रोड, न्यूक्लियस मॉल के सामने, रातू रोड स्थित आकाशवाणी के सामने, सहजानंद चौक से कडरू जाने वाले मार्ग पर, स्टेशन रोड में सरकारी बस स्टैंड के समीप, हरमू बाइपास रोड में दि काव रेस्टोरेंट के सामने, वसुंधरा मार्ट के समीप, अरगोड़ा से डिबडीह जाने वाले रास्ते में, ओवरब्रिज, हिनू समेत अन्य कई इलाकों में मोबाइल फूड वैन सजने लगे हैं। फूड वैनों से फास्ट फूड बेचकर संबंधित संचालक प्रतिदिन हजारों रुपये का कारोबार कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम को कोई रेवेन्यू प्राप्त नहीं हो रहा है।

नहीं कोई कंट्रोल

इन फूड वैन में मानकों की कोई जांच नहीं होती है। खाने की क्वालिटी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। फूड वैन में बन रहे जायकेदार खानों के पीछे डुप्लीकेट मसाले और मिलावट वाली ऑयल का तड़का है, जो लोगों की सेहत बिगाड़ सकता है। सबसे खतरनाक यहां इस्तेमाल होने वाला अजिनोमोटो है, उसमें भी नकली अजिनोमोटो का इस्तेमाल तो खतरे से खाली नहीं है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह खाना खाने के बाद पेट की कई शिकायतें हो सकती हैं, जो आगे चलकर गंभीर बीमारी का भी रूप ले सकती है। ऐसे में पैसे खर्च कर बीमारी खरीदना अच्छी बात नहीं है। ये फूड संचालक खुलेआम सभी नियम कायदों को ताक पर रख कर लोगों को अनहाइजेनिक खाना परोस रहे हैं। सड़क किनारे वैन लगने की वजह से रोड पर उड़ने वाला डस्ट भी खानों पर पड़ता है। नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर इस दिशा में न तो कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही किसी प्रकार की जांच ही होती है।

हर महीने देने हैं पांच हजार

फूड वैन संचालकों को लाइसेंस लेने के बाद रांची नगर निगम को हर महीने पांच हजार रुपए देने होंगे। इस पैसे को बचाने और नगर निगम को राजस्व नहीं देने के लिए वैन वाले लाइसेंस नहीं लेते।