रांची(ब्यूरो)। सड़क दुर्घटना में हादसों को रोकने के लिए सरकार हर तरह का प्रयास कर रही है लेकिन इसके बाद भी सड़क हादसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कभी तेज गति तो कभी लापरवाही के कारण हादसे हो रहे हैं। राची जिले में तो यहां हर साल सैकड़ों की संख्या में लोग सड़क हादसे के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए हादसों को रोकने के लिए आईआईटी मद्रास की मदद लेने का निर्णय लिया है। आईआईटी इंजीनियर विशेष साफ्टवेयर के माध्यम से एक्सीडेंट प्वाइंट चिह्नित करने के साथ हादसे के कारणों का पता लगाएंगे। इसके बाद विशेष उपाय कर हादसों में कमी लाने का प्रयास किया जाएगा।
मददगार बनेगा आईआईटी मद्रास
सड़क हादसे को कम करने के लिए प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन गंभीर हो गया है। इन हादसों को रोकने के लिए अब सरकार और पुलिस विभाग की तरफ से आईआईटी मद्रास की मदद ली जा रही है। आईआईटी मद्रास अब रांची में हो रहे सड़क हादसों को रोकने और इसके कारणों का पता लगाएगा, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी। जल्द ही आईआईटी मद्रास की तरफ से इस पर काम शुरू भी कर दिया जाएगा।
कई इलाके बने एक्सीडेंट जोन
सिटी के कुछ इलाके और मार्ग तो एक्सीडेंट जोन बन चुके हैं। बढ़ते सड़क हादसों को देखते हुए पुलिस और सरकार की तरफ से आईआईटी मद्रास को हादसे रोकने के लिए उपाय पर कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए रिसर्च करके आईआईटी मद्रास के इंजीनियर जिले में ऐसी जगहों को चिन्हित करेंगे, जहां पर हादसे ज्यादा होते हैं। इसके अलावा हादसे होने के कारणों का भी पता लगाया जाएगा। उन ब्लैक स्पॉट पर पुलिस, परिवहन विभाग और प्रशासन की तरफ से काम किया जाएगा, ताकि हादसों में कमी लाई जा सके।
इंजीनियर करेंगे रिसर्च
पुलिस के आला अधिकारियों ने बताया कि आईआईटी मद्रास के इंजीनियर रांची में रिसर्च करेंगे। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से हादसे के कारणों का पता लगाया जाएगा और जिन जगहों पर हादसे ज्यादा होते हैं।
क्या होगा लाभ
आईआईटी मद्रास की रिसर्च के बाद रांची में होने वाले सड़क हादसों में कमी आएगी। सड़क हादसों में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है। आईआईटी रिसर्च के इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकालेगी, जिससे हादसे कम होंगे और लोगों की जान बच सकेगी।
क्या होगा काम
आईआईटी की रिसर्च के बाद जिन जगहों को चिन्हित किया जाएगा, उन स्थानों पर पुलिस की तरफ से हादसे रोकने के लिए टी पॉइंट बनाए जाएंगे। ब्रेकर बनाए जाएंगे, पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। डायवर्जन बनाए जाएंगे। इसके साथ ही जरूरत होने पर ट्रैफिक नियमों के अनुसार कुछ बदलाव भी किए जाएंगे।
हर साल बढ़ रहे हादसे
राजधानी में सड़क हादसों को रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। नियमित रूप से वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। रोड सेफ्टी की टीम एक्सीडेंट स्थल को चिह्नित कर साइन बोर्ड, रिम्बल स्ट्रीप आदि भी लगवा रही है। इन सभी कवायदों के बावजूद सड़क हादसों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। बीते वर्ष 2020 से भी अधिक सड़क हादसे महज 11 महीने में हो गए। वर्ष 2020 में 552 सड़क हादसे हुए। जिसमें हर माह औसतन 46 लोगों की मौत हुई। जबकि, वर्ष 2021 में 575 सड़क हादसे हुए। साथ ही औसतन हर महीने 51 लोग काल के गाल में समा रहे हैं।
ऐसे काम करेगा नया ऐप
फोटोग्राफ-वीडियो और लोकेशन के जरिए दुर्घटना की वजह का पता किया जाएगा। खामियों को दूर करवाकर हादसों को रोका जाएगा।

नेविगेशन ऐप सर्विस ड्राइवरों को अपकमिंग एक्सीडेंट प्रोन एरिया, स्पीड ब्रेकर, शार्प कव्र्स और गड्ढों सहित दूसरे खतरों के बारे में वॉयस और विजुअल अलर्ट देता है।

इस ऐप का इस्तेमाल नागरिकों और अथॉरिटी द्वारा एक्सीडेंट, असुरक्षित एरिया, सड़क और ट्रैफिक के मुद्दों को मैप पर रिपोर्ट और ब्रॉडकास्ट और दूसरे यूजर्स की मदद करने के लिए किया जा सकता है।

ऐप को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में लागू किया गया है। ऐप को लागू कराने की जिम्मेदारी पुलिस-आरटीओ और एनआईसी पर रहेगी।

किसी भी सड़क पर दुर्घटना के बाद मोबाइल अप्लीकेशन में पूरी डिटेल फीड करनी होगी। दुर्घटना का समय, तारीख, लोकेशन, एक्सीडेंट वाली गाडिय़ों की डिटेल और नुकसान समेत कई जानकारियां देनी होंगी।

ऐप पर दुर्घटना के फोटो और वीडियो भी भेजने होंगे। ऐप के जरिए डाटा लोकल पुलिस के साथ आईआईटी मद्रास पहुंचेगा। इसके बाद दुर्घटना वाली सड़क और जगह का विश्लेषण किया जाएगा। सड़क पर यदि कोई खामियां पाई गईं तो उसे सुधारने के सुझाव दिए जाएंगे।