रांची(ब्यूरो)। रांची में लोगों को अपनी कार से निकलने पर अब जाम में नहीं फंसना पड़ेगा। क्योंकि रांची में चल रहे हजारों ऑटो को बाहर करने की तैयारी हो गई है। शहर में जाम से निजात दिलाने के लिए परिवहन विभाग ने पहल की है। शहरी क्षेत्र के अंदर अब एक भी ऑटो को परमिट जारी नहीं किया जाएगा। क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार (आरटीए) अब केवल शहरी दायरे से बाहर ही डीजल और पेट्रोल ऑटो को परमिट जारी करेगा। इस स्थिति में नगर-निगम क्षेत्र में चल रहे 14 से 15 हजार डीजल, सीएनजी और पेट्रोल ऑटो को शहर से बाहर जाने के अलवा दूसरा कोई विकल्प नहीं होगा।

ऑटो को नहीं मिलेगा परमिट

आरटीए द्वारा यह तैयारी की जा रही है कि शहरी क्षेत्र के अंदर जो रांची नगर निगम एरिया के अंदर आता है कोई भी नया परमिट जारी नहीं किया जाएगा। रांची नगर निगम के बाहर आरआरडीए वाले क्षेत्र में जो 16 किमी के दायरे से बाहर होता है, वहां के लिए नया परमिट दिया जाएगा। जबकि जितने लोग नया ऑटो खरीदते हैं वो गाड़ी खरीदने के साथ ही शहर में चलना शुरू कर देते हैं और परमिट लेने के लिए आवेदन भी डाल देते हैं।

चाहते हैं कि शहर में मिले परमिट

नगर निगम के अंदर 16 किमी के दायरे तक का क्षेत्र शहरी क्षेत्र में आता है। इसके बाहर रांची ग्रामीण क्षेत्र है। शहर में चलने वाले च्यादातर ऑटो चालक इसके अंदर ही परमिट चाहते हैं। चालकों का संगठन झारखंड प्रदेश डीजल ऑटो चालक संघ लगातार शहर के अंदर ही परमिट बढ़ाने की मांग कर रहा है, लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश की वजह से आरटीए उनकी मांग नहीं मान रहा है।

ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट पर हुआ फैसला

रांची के ट्रैफि क एसपी ने एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उषा देवी बनाम भारत संघ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया गया है। लिखा है कि यदि गैर बीमाकृत ऑटो में सवारी बैठाई जाती है और सवारी घायल होता है या उसकी मौत हो जाती है तो उस स्थिति में उक्त वाहन को नीलाम कर नीलामी की राशि मोटरयान दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के माध्यम से पीडि़त पक्ष को मुआवजे के रूप में दिया जाएगा। वहीं, राष्ट्रीय बीमा कंपनी बनाम प्रणय सेठी में संवैधानिक न्यायिक पीठ की ओर से पारित आदेश के अनुसार, दुर्घटना के शिकार की भविष्य की आर्थिक संभावनाओं को देखते हुए मुआवजा राशि का निर्धारण करना है।

इंश्योरेंस भी नहीं कराते

ट्रैफि क एसपी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बगैर परमिट के चलनेवाले ऑटो रिक्शा या वाहन किसी भी परिस्थिति में बीमा अनुबंध के तहत पंजीकृत नहीं हो सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में यदि कोई गैर परमिट धारी अपने ऑटो या वाहन में सवारी बैठाता है और दुर्घटना में यात्री घायल होते हैं या मौत होती है, तब कानूनी रूप से ऑटो का चालक जिम्मेवार नहीं होगा। क्योंकि ऑटो बीमाकृत नहीं है। वहीं घायल, मृत यात्री या उसके परिवार को मुआवजा का भुगतान नहीं किया जा सकता है।

14 हजार ऑटो बिना परमिट

राजधानी में चल रहे लगभग 14 हजार ऑटो चालकों के पास परमिट नहीं है। यदि बगैर परमिट के ऑटो पर यात्री सफर करते हैं और दुर्घटना में वह घायल होते हैं या उनकी मौत हो जाती है तो पीडि़त पक्ष को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार संपूर्ण मुआवजा का लाभ नहीं मिल पाएगा। राजधानी में 14 हजार से अधिक ऑटो का परिचालन हो रहा है। इनमें मात्र 2335 ऑटो के पास ही परमिट है। इनमें डीजल और पेट्रोल ऑटो शामिल हैं। बगैर परमिट के ऑटो में बैठने के बाद दुर्घटना में घायल या मौत होने पर ऑटो को जब्त कर उसकी नीलामी से प्राप्त राशि ही पीडि़त पक्ष को दी जाएगी।