रांची (ब्यूरो)। दिवाली की रात मदन और इब्राहिम के परिवार पर आफत बन कर बरसी। जब पूरा देश अपने घर को रोशन कर ईश्वर की भक्ति में रमा था, शहर में आतिशबाजी हो रही थी। उसी समय दो लोग जिंदा जल गए। जी हां, स्टेट के सबसे बड़े बस डिपो बिरसा मुंडा बस टर्मिनल खादगढ़ा में खड़ी मूनलाइट यात्री बस में रात के 11 से 12 बजे के बीच आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि कुछ ही पल में सबकुछ जल कर राख हो गया। इसी बस के अंदर बस ड्राइवर व कंडक्टर मदन व इब्राहिम सो रहे थे, जिनकी जलकर मौत हो गई। बड़ा सवाल है कि जब दिवाली की रात आग से निपटने की तैयारी पहले से थी तो फायर ब्रिगेड को पहुंचने में 40 मिनट कैसे लग गया। आसपास के लोगों के अनुसार, दमकल गाड़ी का पानी ही खत्म हो चुका था। पानी लाने में भी थोड़ा विलंब हुआ। हालांकि, स्टैंड और बस्ती के लोग बाल्टी से पानी मारते रहे, लेकिन आग पर काबू पाने में नाकाफी रहा। जब तक आग पर काबू पाया गया तब बस में कुछ भी नहीं बचा था।

सबसे बड़ा बस स्टैंड

खादगढ़ा स्थित बिरसा मुंडा बस टर्मिनल राज्य का सबसे बड़ा बस स्टैंड माना जाता है। राजधानी में होने के नाते यहां से हर जगह के लिए बस खुलती है। हर दिन स्टैंड में बीस हजार से अधिक लोगों का आना-जाना लगा रहता है। स्टैंड से करीब पांच सौ बसें खुलती हैं। लेकिन यहां सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। बस चालक कल्याण संघ के सचिव राणा बजरंगी सिंह ने कहा कि राजधानी का एकमात्र बड़ा बस स्टैंड है। बस ड्राइवर, खलासी, स्टैंड कर्मी, छोटे-मोटे दुकानदारों के अलावा हर दिन हजारों पैसेंजर का आना-जाना लगा रहता है। यहां 24 घंटे फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस तैनात होना चाहिए, ताकि आपातस्थिति से निपटा जा सके। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि सुरक्षा के नाम पर यहां सिक्योरिटी गार्ड तक नहीं है।

सालाना 4 करोड़ वसूली

खादगढ़ा बस स्टैंड का संचालन रांची नगर निगम करता है। हर साल बंदोबस्ती कर इसकी जिम्मेवारी टेंडर लेने वाले को दी जाती है। जानकारी के मुताबिक, बस स्टैंड से हर साल नगर निगम करीब चार करोड़ रुपए की वसूली करता है। लेकिन पैसेंजर या ड्राइवर, खलासी की सुविधा के लिए यहां कोई इंतजाम नहीं है। यहां तक कि स्टैंड में विश्राम गृह भी नहीं है। इस कारण बस ड्राइवर और खलासी को पैसे खर्च कर इधर-उधर रहना पड़ता है। ऐसे में पैसे बचाने के लिए ड्राइवर और खलासी बस में ही सो जाते हैं। मदन और इब्राहिम भी दिवाली की रात बस में ही सोए थे, लेकिन अफसोस वो फिर उठ नहीं सके।

विभाग के दावे फेल

दीपावली के मद्देनजर अग्निशमन विभाग हेड क्वार्टर की ओर से सुरक्षा के दावे किए गए थे। राजधानी के 24 इलाकों में फायर फाइटर्स के साथ दमकल गाडिय़ां और हाइड्रोलिक प्लेटफार्म तैयार रखे जाने की सूचना दी गई थी। लेकिन खादगढ़ा बस स्टैंड की घटना ने अग्निशमन विभाग के दावों की पोल खोल कर रख दी। दीवाली की रात आतिशबाजी के कारण हर साल आग लगने की अप्रिय घटना घटती है। जिसे देखते हुए पूर्व से तैयारी की जाती है। इस बार तैयारी की गई थी। कुछ इलाकों में समय रहते आग पर काबू पाया गया, लेकिन बस स्टैंड की अनहोनी से नहीं रोक सका फायर डिपार्टमेंट।

दिवाली की रात 8 स्थानों पर आग

राजधानी रांची में दिवाली की रात सिर्फ बस स्टैंड में खड़ी बस में ही नहीं लगी। बल्कि सिटी के आठ अलग अलग इलाकों में आग लगने की खबर है। फायर फाइटर्स का कहना है कि किसी एक इलाके में आग पर काबू पाया ही जा रहा था कि दूसरे इलाके से फोन आने लगा। जिस वक्त बस में आग लगने की सूचना मिली उस समय दमकल गाड़ी अपर बाजार में लगी आग बुझा रही थी। उसी दौरान दो गाड़ी खादगढ़ा बस स्टैंड भेजी गई। एक दमकल में पानी खत्म हुआ तो दूसरे से आग बुझाई गई। दिवाली की रात बस स्टैंड के अलावा सिटी के अपर बाजार, विष्णु गली, हिनू, लालपुर, अरगोड़ा, मोरहाबादी और अशोक नगर में भी आग लग गई। कहीं पूजन सामग्री की गोदाम में आग लगी तो कहीं फोर व्हीलर जलकर खत्म हो गया।

क्या कहती है पब्लिक

कैसे आग लगी, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। लेकिन काफी बड़ा हादसा हो गया। सबसे बड़ा बस स्टैंड होने के नाते यहां भी दमकल और एंबुलेंस हर वक्त तैनात होना चाहिए।

-राणा बजरंगी सिंह

यहां से हर दिन हजारों लोगों का आना-जाना रहता है। यह राजधानी रांची का सबसे बड़ा बस स्टैंड है। करोड़ो रुपए यहां से टैक्स जाता है। फिर भी लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

मो। वसीम

आग लगने के समय मैं वहीं पर मौजूद था। हमलोग बाल्टी भर-भर कर पानी मार रहे थे। लेकिन कुछ ही मिनट में सबकुछ जल कर राख हो गया।

- अशोक कुमार

सूचना मिलते ही फौरन दमकल गाड़ी भेजी गई। आग की लपटें काफी ज्यादा उठ चुकी थीं। आग पर काबू पाने में काफी मशक्कत करना पड़ा।

-जितेंद्र तिवारी, हेड फायर फाइटर, डोरंडा