बिना स्कूल गए 14 साल के बच्चे ने IIT-JEE किया क्रैक
प्रतिभा को मिला सहारा तो हुआ कमाल धरमपुरा गांव के रहने वाले शिवानंद का कहना है2010 तक मेरा पढ़ाई की ओर बिल्कुल भी झुकाव नहीं था,मैं बस गणित के सवाल हल किया करता था.इसके बाद मुझे किसी ने कहा कि तुम IIT के लिए तैयारी करो,फिर मुझे दिल्ली की एक एकेडमी से मदद मिली.एकेडमी ने शिवानंद की प्रतिभा देख उसकी पढ़ाई का सारा इंतजाम किया.एकेडमी ने शिवानंद का स्कूल में दाखिला कराया और 10वीं-12वीं की तैयारी कराई.सात साल की उम्र में ही वह दसवीं के गणित के सवाल हल कर लेता था. कोर्ट से लेनी पड़ी थी अनुमतिआमतौर पर 10वीं परीक्षा के लिए निर्धारित उम्र 14 से 16 साल के बीच होनी चाहिए,लेकिन शिवानंद ने कोर्ट की अनुमति लेकर 12 साल की उम्र में ही यह परीक्षा पास कर ली. धार्मिक ग्रंथों का है शौक
शिवानंद के अनुसार उसे बचपन से ही धर्म-अध्यात्म पसंद था जिसके चलते मैंने रामायण, महाभारत,भगवदगीता और कई पुराण पढ़ डाले.जब पिता ने मेरी रुचि गणित और विज्ञान की ओर देखी,तो उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अनुमति दे दी.आज शिवानंद अपने गांव और आसपास के कई आयोजनों में इन धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातें सुनाता भी है. फिजिक्स है फेवरेट सब्जेक्ट
आईआईटी-जेईई की तैयारी के दौरान शिवानंद ने स्वामी विवेकानंद को भी पढ़ा.उसका कहना है कि वह आध्यात्मिकता और विज्ञान को एक साथ जोड़ना चाहता है और वैज्ञानिक बनकर देश-सेवा करना चाहता है.शिवानंद की भौतिकी (फिजिक्स) में बड़ी दिलचस्पी थी.वह आईआईटी कानपुर से इस विषय से जुड़ी रिसर्च करना चाहते थे. कंप्यूटर जैसा है दिमाग शिवानंद ने सीबीएसई की 12वीं परीक्षा 93.4% से इसी साल पास की.शिवानंद के मेंटर और पढ़ाई के शुरुआती दिनों में उसे कोचिंग देने वाले दीपक कुमार बताते हैं,उसे याद करने के लिए कुछ भी दो बार पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती. '' वीकली और मंथली टेस्ट पर ध्यान दें छात्र-आईआईटी क्लीयर करने वाले छात्र-छात्राओं को मैं कही कहना चाहूंगा कि पहले कॉन्सेप्ट क्लीयर करें और फिर कई तरह से प्रैक्टिस टेस्ट लें, इस तरह एक्जाम पास करना आसान हो जाएगा.शिवानंद कहते हैं कि वीकली या मंथली टेस्ट से मजबूती मिलती है और कमियां भी दूर हो जाती हैं.