केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले में कहा है कि आम आदमी पार्टी के नेता पार्ट को मिले फंड के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं.


हाई कोर्ट में गृह मंत्रालय का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल राजीव मेहरा ने कहा, "हमने चार नवंबर 2013 को भेजे अपने एक पत्र के ज़रिए पार्टी से बैंक अकाउंट और कुछ अन्य जानकारियां मांगी थी जो फंडिंग से जुड़ी थीं. इसके बाद हमने एक और पत्र भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला."इस बीच जस्टिस प्रदीप नादरजोग की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा से कहा है कि वो अपनी जनहित याचिका में आम आदमी पार्टी को भी शामिल करें.एमएल शर्मा ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता अरविंद केज़रीवाल और पार्टी के कुछ अन्य संस्थापक सदस्यों के ख़िलाफ़ एक आपराधिक मामला दायर कर के उन पर नियमों की अवहेलना करते हुए विदेशों से फंड लेने का आरोप लगाया है.याचिका


"आम आदमी पार्टी एक रजिस्टर्ड राजनीतिक दल है. क्या आपने उसे इस याचिका का हिस्सा बनाया है. पांच फरवरी को मामले की अगली तारीख से पहले आप नयी याचिका में ये संशोधर कर के पेश करें"खंडपीठ का कहना था, ‘’आम आदमी पार्टी एक रजिस्टर्ड राजनीतिक दल है. क्या आपने उसे इस याचिका का हिस्सा बनाया है. पांच फरवरी को मामले की अगली तारीख से पहले आप नयी याचिका में ये संशोधर कर के पेश करें. ’’

याचिकाकर्ता ने केज़रीवाल के अलावा आप के नेता मनीष सिसौदिया, शांति भूषण और प्रशांत भूषण के नाम अपनी याचिका में शामिल किया था.इससे पहले हाई कोर्ट ने केंद्र से कहा है था कि वो आम आदमी पार्टी के आय के स्रोतों से जुड़े अकाउंटों को एक बार फिर देखे.हाई कोर्ट के इस आदेश से पहले केंद्र ने एक रिपोर्ट फाइल की थी जिसमें बताया गया था कि हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ के समक्ष केंद्र ने पिछले साल टीम अन्ना की सिविल सोसायटी से जुड़े अकाउंटों का ब्योरा सौंपा था. यह ब्योरा भी एमएल शर्मा की एक अन्य याचिका पर था.

Posted By: Subhesh Sharma