RANCHI : जेपीएससी द्वारा छठी सिविल सेवा के लिए जारी विज्ञापन में कई त्रुटियां हैं। आयोग ने जहां अवसर की गणना करने की तारीख पांच साल आगे कर दी है, वहीं पहली व दूसरी सिविल सेवा परीक्षा को अवसर की गणना में नहीं शामिल किए जाने के सरकार के फैसले को भी दरकिनार कर दिया है। इस बार पहली दो सिविल सर्विस परीक्षा में शामिल हुए उम्मीदवारों को अवसर में किसी तरह की छूट नहीं दी जा रही है, जबकि पांचवी सिविल सेवा परीक्षा के लिए दो साल पहले जारी विज्ञापन में पहली व दूसरी सिविल सेवा को अवसर की गिनती से अलग कर दिया गया था। अवसरों की गिनती तीसरी सिविल सेवा परीक्षा से होनी थी, पर आयोग पहली सिविल सेवा से अवसर की गिनती कर रही है। ऐसे में हजारों उम्मीदवार अवसर में मिली छूट वापस लिए जाने से आवेदन करने से चूक रहे हैं।

पिछली बार मिली थी छूट

पांचवी सिविल सेवा परीक्षा से अवसर की संख्या को पांच से कम कर चार कर दिया गया था। आयोग के इस फैसले पर उम्मीदवारों ने जमकर हंगामा किया था। मामला जब सरकार के पास पहुंचा तो उसने पहली व दूसरी सिविल सेवा को अवसर की गिनती में शामिल नहीं करने का फैसला लिया। हालांकि, अवसर में छूट का लाभ लाभ वैसे उम्मीदवारों को दिया गया, जो पहली व दूसरी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए थे। उम्मीदवारों को अवसर में छूट देने की वजहग इन दोनों परीक्षाओं हुई व्यापक धांधली की चल रही सीबीआई जांच थी।

आयोग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह

जेपीएससी की पिछली छह सिविल सेवाओं के लिए निकले विज्ञापन में उम्मीदवारों की अहर्ता व परीक्षा प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता रहा है। चौथी सिविल सेवा से ही कट ऑफ डेट को लेकर आयोग की पॉलिसी पर विवाद होता आ रहा है। अब छठी सिविल सेवा के विज्ञापन में कट ऑफ डेट के साथ अवसर की गिनती भी सवालों के घेरे में आ गई है। पांचवी सिविल सेवा में अवसर की गिनती से पहली व दूसरी सिविल सेवा परीक्षा को अलग कर दिया गया था, पर इस बार अवसरों की गिनती फिर पहली सिविल सेवा परीक्षा से की जा रही है। आयोग की इस कार्यशैली से हजारों कैंडिडेट्स इसबार सिविल सेवा की परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे।

उम्र भी खा गई, अटेंप्ट भी

जेपीएससी के मनमानी रवैए का खामियाजा सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवार भुगत रहे हैं। छठी सिविल सेवा में तो आयोग ने एक ओर कट ऑफ डेट बढ़ाकर हजारों उम्मीदवारों के सपने तोड़ दिए तो दूसरी तरफ अवसर की मिली छूट को वापस लेकर वैसे उम्मीदवारों की उम्मीदें तोड़ दी, जिनकी उम्र बची थी, पर अवसर नहीं। आयोग की इस दोहरी मार से आहत उम्मीदवार अब सड़क पर उतरकर आयोग के खिलाफ आंदोलन करने की रणनीति बना रहे हैं।

सीबीआई जांच का हवाला देकर अवसर में दी गई थी छूट

पहली व दूसरी सिविल सेवा परीक्षा में जमकर धांधली व गड़बड़ी हुई थी। पैसा, पैरवी और भाई-भतीजावाद पर कई पदों पर बहाली हुई थी। इसे लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। पूरे एग्जाम की निगरानी जांच कराने का भी सरकार ने फैसला लिया। हाईकोर्ट के निर्देश पर दोनों सिविल सेवा परीक्षा की जांच सीबीआई के हवाले कर दिया गया। सीबीआई जांच में गड़बड़ी की बात सामने आई। चूंकि यह मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में सरकार ने उन उम्मीदवारों को अवसर में छूट देने का फैसला लिया था था, जिन्होंने पहली व दूसरी सिविल सेवा परीक्षा दी थी। पिछली बार तो उम्मीदवारों को यह मौका मिला, पर इस साल आयोग ने यह मौका छीन लिया है।

Posted By: Inextlive