- आरटीओ में डीएल बनवाने के नाम पर हो रही अवैध वसूली, अधिकारियों को है सब पता

- मेन गेट से लेकर काउंटर तक एजेंट्स बैठे हैं कंप्यूटर सिस्टम लगाकर

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300-लर्निग डीएल करीब बनते हैं डेली

250- डीएल बनते हैं परमानेट डेली

330-रुपए है लर्निग डीएल की फीस

1000-रुपए है परमानेंट डीएल बनवाने की फीस

1100-रुपए एजेंट वसूलते हैं लर्निग डीएल बनवाने के नाम पर

1900-रुपए वसूल रहे हैं परमानेंट डीएल बनवाने के लिए

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बरेली: आरटीओ में करप्शन को मिटाने के लिए ज्यादातर काम ऑनलाइन कर दिए गए हैं, लेकिन करप्शन करने वालों ने ऑनलाइन सिस्टम में सेंध लगा दी है। आरटीओ में लर्निग और परमानेंट डीएल तय फीस से लगभग चार गुना ज्यादा पैसे लेकर बनवाए जा रहे हैं। यह सब अवैध काम अधिकारियों की नाक के नीचे एजेंट कर रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने फ्राइडे को आरटीओ ऑफिस के बाहर हकीकत जानने के लिए स्टिंग किया तो हकीकत चौंकाने वाली सामने आई। ऑफिस के बाहर एजेंट्स लोगों को ऑनलाइन के चक्कर ने पड़ने की बात कहते हुए सीधे डीएल बनवाने का दावा कर रहे थे।

बस पैसा दीजिए, कोई टेस्ट नहीं होगा

नकटिया स्थित आरटीओ ऑफिस जब आप जाएंगे तो आपको जमावड़ा सा दिखाई देगा। दरअसल, यह सब एजेंट्स ही हैं। यह हर दिन मिलेंगे। सबसे पहले आपका इन्हीं से वास्ता पड़ेगा। डीएल बनवाने के लिए अगर आपको लंबी प्रक्रिया से बचना है तो इनके पास सारे जुगाड़ हैं। बस आप पैसा फेंकने के लिए तैयार हों। एजेंट आपको पूरा शॉर्टकट समझाएंगे। लर्निग में कितना पैसा लगना है और परमानेंट में कितना। सरकारी से यह लगभग चार से पांच गुना ज्यादा है। इनकी इतनी पैठ है कि आप घर बैठे डीएल बनवा सकते हैं। जी हां। न कंप्यूटर टेस्ट का कोई चक्कर और नहीं गाड़ी चलाने का टेस्ट ही देना होगा।

के बाहर इतनी बड़ी संख्या में एजेंट्स का जमावाड़ा रहता है कि देखकर लगता है कि जैसे कोई मेला लगा हो। लेकिन यह सभी एजेंट आरटीओ आफिस आने वाले आवेदकों को रास्ते में ही रोकने लगते हैं और पूछते हैं क्या डीएल बनवाना है। क्या आरसी निकलवानी या फिर कोई काम हो तो बताओ। वह सभी काम कम पैसों में करा देंगे। यहां तक कि बात नहीं करने पर बोलते हैं कि जाओ आफिस बाद में लौट कर आओगे। ऐसा नहीं कि आरटीओ आफिस के बाहर बड़ी संख्या में जमावाड़ा लगाए इन एजेंटों के बारे में अफसरों को जानकारी नहीं है। अफसरों को भी जानकारी है लेकिन अफसर उनके खिलाफ एक्शन लेने से बचते हैं। इससे लगता है कि कहीं न कहीं अफसरों को भी इन एजेंटो स लगाव तो है।

आखिर अफसरों की मजबूरी क्या है

आरटीओ ऑफिस के बाहर एजेंट्स का एक बड़ा गुट काम कर रहा है। शिकायत पर कभी-कभी इन्हें खदेड़ा भी जाता है, पर यह फिर आकर बैठ जाते हैं। मजाल है कि कोई शिकायत की बात कह भी दे, सब एकजुट होकर झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। ऐसा कई बार हुआ है। इन सब पर अधिकारियों का चुप रहना समझ से परे हैं।

बकायदा सिस्टम लेकर बैठते हैं

आरटीओ ऑफिस के बाहर जमे एजेंट बकायदा कंप्यूटर सिस्टम का सेटअप लेकर बैठते हैं। पूरा सिस्टम अवैध रूप से लगा रखा है। यहां तक कि आरटीओ ऑफिस के गेट तक अतिक्रमण कर रखा है। इस बारे में अफसरों के पास कई बार शिकायत भी पहुंची कि एजेंट तो जल्दी लर्निग डीएल टेस्ट की डेट दिला रहा है तो आप क्यों अधिक दिन लगा रहे। जिस पर अफसर आवेदक को ऑनलाइन का पाठ पढ़ाते हैं।

बातचीत में सच आया सामने

रिपोर्टर : मुझे डीएल बनवाना है क्या करना होगा।

एजेंट : डीएल चाहिए कब, डेट डेढ़ से दो माह बाद इंटरव्यू के लिए मिलेगी।

रिपोर्टर: जल्दी करा दो इंटरव्यू ताकि जल्दी डीएल मिल जाए।

एजेंट : ठीक है डीएल की डेट 15 दिन के अंदर दिला दूंगा, और टेस्ट में भी पास करवा दूंगा। रुपए 11 सौ लगेंगे। बाइक और कार का लर्निग डीएल आपको मिल जाएगा। इसमें टेस्ट न भी दो तो भी कुछ नहीं।

रिपोर्टर: अपने आप टेस्ट दूं। फेल हो गया तो क्या दोबारा टेस्ट पास करना होगा।

एजेंट: हां, एक बार फेल होने पर आपको दोबारा टेस्ट देने के लिए डेट लेनी होगी। उसके अलग से रुपए लगेंगे। इससे अच्छा है 1100 रुपए खर्च करो डीएल मिल जाएगा।

रिपोर्टर: डीएल परमानेंट कराने के लिए क्या करना होगा।

एजेंट: परमानेंट डीएल बनवाने के लिए 19 सौ रुपए लगेंगे, डीएल मिल जाएगा।

रिपोर्टर: ठीक है। अपना मोबाइल नम्बर दे दो।

एजेंट: नम्बर ले लो और जब आओ तो कॉल कर लेना।

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ध्वस्त हो गई ऑनलाइन प्रक्रिया

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- आरटीओ ऑफिस में अपने आप किसी काम को लेकर जाओ तो इतने रूल्स बता दिए जाते हैं कि फॉलो करना ही मुश्किल हो जाता है। डीएल बनवाना हो या फिर कोई भी काम आरटीओ ऑफिस का कराना है तो बगैर एजेंट मुश्किल है।

- अनिल

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-डीएल बनवाने के लिए बगैर एजेंट के काम कराना बहुत ही मुश्किल होता है। अपने आप रजिस्ट्रेशन कराओ तो एक से डेढ़ माह बाद इंटरव्यू के लिए टेस्ट की डेट मिल रही है। लेकिन एजेंट से कराओ तो जल्दी डेट भी मिल जाती है।

कौशल

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- आरटीओ ऑफिस में अब डीएल बनवाने के लिए जैसे ही भीड़ बढ़ी है, वैसे ही एजेंट भी अधिक सक्रिय हो गए हैं। जो डीएल 350 रुपए फीस जमा कर लर्निग बनता है, उसके 1100-1500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं, तो ऑनलाइन प्रक्रिया किस काम की।

- राम बाजपेयी

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- ऑनलाइन डीएल की प्रक्रिया शुरू हुई तो लगा कि अब एजेंट्स से लोगों को मुक्त मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एजेंट्स ने तो ऑनलाइन पक्रिया में भी सेंध लगा दी। ऑनलाइन को एजेंट्स ने ऑफलाइन जैसा बना दिया है।

- रवि ठाकुर

Posted By: Inextlive