मिस्र में चार महीने पहले गिरफ़्तार किए गए ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार पीटर ग्रेस्ट और अल-जज़ीरा के उनके दो अन्य सहयोगी पत्रकार शनिवार को क़ाहिरा की एक अदालत में पेश हुए.


अदालत ने उनकी ज़मानत फिर से ख़ारिज कर दी है और मामले की सुनवाई कुछ हफ्तों तक के लिए स्थगित कर दी.इन पत्रकारों पर झूठी ख़बरें प्रसारित करने और प्रतिबंधित संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड की मदद करने का आरोप है. पत्रकार इन आरोपों को नकारते रहे हैं.विश्व प्रेस आज़ादी दिवस पर जेल से अपने परिजनों को भेजे गए संदेश में पीटर ग्रेस्ट ने कहा कि लोगों से मिले जनसमर्थन ने उन्हें मज़बूती दी है और वे इससे अभिभूत हैं.बीबीसी के पूर्व पत्रकार पीटर ग्रेस्ट के इस संदेश को ऑस्ट्रेलिया में रह रहे उनके माता-पिता ने भी पढ़ा है.अपने संदेश में पीटर ने कहा है कि उनकी गिरफ़्तारी विश्वभर में प्रेस की आज़ादी का ताक़तवर प्रतीक बन गई है.चिंताब्रितानी विदेश मंत्री विलियम हेग का कहना है कि मिस्र में पत्रकारों की हिरासत को लेकर वह चिंतित हैं.


विश्व प्रेस आज़ादी दिवस पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने संदेश में कहा है, "पाकिस्तान सरकार प्रेस की आज़ादी में यकीन रखती है और पत्रकारों को काम करने का सुरक्षित माहौल देने के लिए सभी आवश्यक क़दम उठा रही है."उन्होंने कहा, "प्रेस लोकतंत्र, पारदर्शिता, अच्छे शासन और जवाबदेही के लिए अनिवार्य रूप से ज़रूरी है."

ग़ौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर पर चरमपंथियों ने जानलेवा हमला किया था. उसके बाद मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान सरकार पत्रकारों की सुरक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh