नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में बिहार के कई नेताओं को जगह मिली है उनमें से एक हैं भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा.


उपेन्द्र कुशवाहा को राज्य मंत्री बनाया गया है. उनकी पार्टी बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ी और उसने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. तीन सीटों पर ही उनकी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे.लेकिन बिहार को देखें तो हाल ही में वहां राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेज़ी से बदला है. मसलन नया मुख्यमंत्री बनना, एक समय में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे राष्ट्रीय जनता दल और जेदयू का आपस में एक दूसरे का सहयोगी बनना.इस पर बीबीसी से बातचीत में उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, "देखिए जो नीतिश कुमार लोगों को ये कह कर वोट मांगते थे, कि आप मुझे वोट नहीं देंगे तो बड़े भाई आ जाएंगे. जो कल तक लोगों को बड़े भाई का भय दिखाते थे. आज उन्हीं के साथ चले गए हैं. ऐसी परिस्थितीयों में नीतिश कुमार कैसे किसी को जवाब दे पाएंगे."
उन्होंने कहा, "लेकिन उनके मिलने से एनडीए के लिए कोई चुनौती नहीं हैं. शून्य और शून्य मिलाकर हमेशा शून्य ही होता है."शरद यादव और एनडीएउपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, "नीतीश कुमार और लालू यादन दोनों ही रिजेक्टेड लोग हैं. दोनों को जनता ने रिजेक्ट कर दिया है. वैसे लोग मिलकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे."


जब उनसे पूछा गया कि मीडिया में उनके हवाले से ये ख़बर चल रही है कि शरद यादव भाजपा में शामिल हो सकते हैं, इसमें कितनी सच्चाई है?इस सवाल पर उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, "हाल ही में जो कुछ घटनाक्रम हुए हैं उसके आधार पर हमने कहा था कि ये एनडीए की ओर उनका बढ़ता हुआ क़दम है. इसकी चर्चा हमने की थी. "उन्होंने कहा, "हमसे उनका व्यक्तिगत संपर्क नहीं हुआ था. उनके काम करने से जो संकेत मिल रहे हैं उसका सीधा अर्थ है कि वे नीतrश कुमार के साथ अब नहीं रहने वाले हैं."उन्होंने कहा कि शरद यादव एनडीए के बड़े नेताओं से संपर्क में हैं और उनसे उनकी नज़दीकियां हैं.राज्य मंत्री बनने की ख़ुशीउपेन्द्र कुशवाहा को ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है.नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में 23 कैबीनेट मंत्री, 11 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 10 राज्य मंत्री हैं, जो पूर्व की यूपीए सरकार के मुकाबले बहुत छोटी है.

इस बात के क्या मायने हो सकते हैं, इस पर कुशवाहा ने बीबीसी से कहा, "पहले जो भी सरकार गठबंधन की चली है उन सरकारों में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करना और साथ ही किसी व्यक्ति विशेष को कैसे लाभ पहुंचाया जाए ये मकसद होता था."उन्होंने कहा, "लेकिन इस सरकार में ऐसा नहीं है. इस सरकार की प्राथमिकता है कि लोगों का काम कैसे हो. जो विभाग टुकड़े टुकडे में बांट दिए गए थे और जिसकी प्रशासनिक दृष्टि से बहुत ज़रूरत भी नही थी, ऐसे विभागों को कम किया गया है और कम लोगों को मंत्री बनाया गया है. यह अच्छा काम है और मुझे लगता है इस व्यवस्था से काम करने में और आपस में समन्वय बनाने में सुविधा होगी."

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari