सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे भले ही महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण नहीं हो सकते लेकिन बुधवार को उन्होंने सरकार को यह जरूर एहसास करा दिया होगा कि वह आखिरकार किस माटी के बने हैं. देश के अन्य हिस्सों को तो छोड़िए उनके समर्थन में एक तरफ सिर्फ इंडिया गेट पर लाखों की संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा वहीं दूसरी तरफ मंगलवार रात से ही उन्हें मनाने की कोशिशों में जुटी दिल्ली पुलिस व सरकार को सूझ नहीं रहा है कि वह आखिर करे तो क्या करे.


बहरहाल, अन्ना हजारे अभी भी तिहाड़ जेल परिसर में ही हैं और अपनी शर्तो पर वहां से निकलने की मांग पर अड़े हुए हैं. उनका अगला पड़ाव रामलीला मैदान होगा. अन्ना हजारे कम से कम 30 दिनों की अनुमति देने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि दिल्ली पुलिस 15 दिनों तक अनशन की अनुमति देने पर अड़ी है. अन्ना हजारे ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वह तब तक परिसर से बाहर नहीं निकलेंगे जब तक कि उन्हें बगैर प्रतिबंधों के अनशन की अनुमति नहीं दे दी जाती.


अन्ना हजारे की सहयोगी व पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किरण बेदी ने तिहाड़ के बाहर जुटे समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कहा, "जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय उद्यान में अन्ना हजारे के अनशन से सामान्य जनजीवन पर असर पड़ सकता है इसलिए हम चाहते थे कि किसी ऐसे स्थान पर अनशन हो जिससे आम आदमी को किसी प्रकार की परेशानी न हो. खुद दिल्ली पुलिस ने हमारे सामने रामलीला मैदान का प्रस्ताव रखा."

इस बीच, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर और योग गुरु बाबा रामदेव ने तिहाड़ में अन्ना हजारे से मुलाकात की. बाबा रामदेव ने इस मसले पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि वह जन लोकपाल विधेयक के समर्थन में अन्ना हजारे को अनशन करने की अनुमति देने के सम्बंध में दिल्ली पुलिस को निर्देश दें. उन्होंने अन्ना हजारे की लड़ाई के समर्थन में उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.इस बीच, अन्ना हजारे की गिरफ्तारी पर संसद के दोनों सदनों में जोरदार बहस हुई और उससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दोनों सदनों में अपना बयान दिया. उनके बयान से साफ दिखा कि अन्ना हजारे के समर्थन में देश भर में उमड़े जनसैलाब को उनकी सरकार किस नजरिये से देख रही है. उन्होंने अन्ना हजारे के खिलाफ की गई कार्रवाई को उचित ठहराया और उनके द्वारा अपनाई गई राह को गलत करार दिया. विपक्षी दलों ने हालांकि प्रधानमंत्री के इस बयान को खारिज करते हुए आंदोलनकारियों को रिहा किए जाने की मांग की. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) इंडिया अगेंस्ट करप्शन के एक कार्यकर्ता ने बताया, "अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई के प्रति अपना समर्थन देने के लिए करीब 1.5 लाख लोग इंडिया गेट पर जुटे और यहां से जंतर-मंतर की ओर रैली निकाली." इसके अलावा दिल्ली और देश भर में अन्ना हजारे के समर्थन में लोग सड़कों पर उतरे अपने-अपने तरीके से उनका समर्थन किया.

Posted By: Kushal Mishra