- प्रचार के लिए पार्टियों ने लांच कीं कई इंटरएक्टिव स्मार्टफोन एप्लीकेशंस, मोदी और आप के कई गेम्स पहले की हिट

-यूथ को टारगेट कर बनाए गए कई एप्स को मिल रही हाईएस्ट रेटिंग

-पार्टीज के सपोर्टर्स सोशल एप्स पर ग्रुप्स बनाकर छेड़े हैं स्नोगन और पोस्टर वॉर

-एक दूसरे के खिलाफ वॉट्स एप, एफबी और चैट ऑन पर आंकडे़बाजी

-स्टूडियोज में शूट किए कॉमेडी वीडियोज से उड़ा रहे एक दूसरे का मजाक

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KANPUR : इस बार के आम चुनावों में स्मार्टफोन भी चुनावी जंग का हथियार बन गया है और इस हथियार में पॉलिटिकल पार्टीज यूज कर रही हैं 'एप' रूपी बुलेट्स। कई बड़ी पार्टियां पहले ही अपने कई तरह के एप्स (मोबाइल एप्लीकेशंस)) लांच कर चुकी हैं। वहीं अब छोटी पार्टियां भी स्माटफोन और उसपर इंटरनेट यूज करने वाले लाखों वोटर्स को अट्रैक्ट करने के लिए इंटरएक्टिव एप्स लांच कर रही हैं। जिस संजीदगी से पार्टियां गूगल प्ले स्टोर, आई फोन और नोकिया आदि के एप स्टोर पर नई-नई एप्लीकेशन लांच कर रही हैं उससे इस बार के इलेक्शंस में एक नया 'एप वार' शुरू हो गया है। इतना ही नहीं पाटियों के बड़े नेता खुद इनवॉल्व नहीं होकर वॉट्स एप, चैट ऑन और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर एक दूसरे के लिए जमकर स्लोगन, पिक्चर, पोस्टर वॉर छेडे़ हैं। वहीं एक-दूसरे के खिलाफ जमकर निगेटिव आंकड़ेबाजी भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बाकायदा स्टूडियोज में शूट किए गए शॉर्ट कॉमेडी वीडियोज की भी बाढ़ आई है, जिसमें जमकर पार्टियां एक दूसरे के लीडर्स का मजाक बनाती हैं। यानि कि एक अब एक दूसरे पर कीचड़ भी स्मार्टफोन के माध्यम से उछाला जा रहा है।

हर ऑपरेटिंग सिस्टम पर दर्जनों एप्स

बीजेपी, कांग्रेस, आप यहां तक की समाजवादी पार्टी की ओर से भी कई तरह के स्मार्टफोन एप्लीकेशन लांच किए गए हैं। सबसे ज्यादा एप्स एंड्रायड फोन के लिए हैं। इसके अलावा आईफोन, सिंबियन, विंडोज और ब्लैकबेरी आपरेटिंग सिस्टम्स पर चलने वाले कई एप्स भी कई पार्टियों ने लांच किए हैं। बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर तो उनके लिंक भी शेयर किए गए हैं।

स्टेट लेवल पर आनलाइन एक्टिविज्म

चुनावों के मदद्ेनजर कई नेशनल पार्टियां अपनी स्टेट यूनिट की वेबसाइट्स व पोर्टल्स को डेली बेसिस पर अपडेट कर रही हैं। बीजेपी यूपी की वेबसाइट पर चुनावों को लेकर खासी चहलपहल दिखाई देती है। वहीं समाजवादी पार्टी की वेबसाइट पर भी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया जा रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की वेबसाइट तो खुल ही नहीं रही है।

इन पार्टियों ने लांच की एप्लीकेशंस

मोबाइल एप्लीकेशन के मामले में सबसे ज्यादा एक्टिविटी 'आप' पार्टी ने दिखाई थी। इंडिया अगेंस्ट करप्शन से

शुरु हुई इस एप वार की मुहिम में विधानसभा चुनावों के दौरान नवंबर में बीजेपी भी खूब एक्टिव हो गई। नरेंद्र मोदी और बीजेपी से रिलेटेड कई एप्लीकेशन लांच की गई। इसमें से बीजेपी फार इंडिया, बीजेपी कनेक्ट, 'मिशन ख्7ख् प्लस' खासी लोकप्रिय हुई हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने दो खास मोबाइल एप्लीकेशंस हाल में लांच की हैं।

सुपर नमो और रन मोदी अल्टीमेट हैं

गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद यह दोनों गेम काफी हिट हुए हुए हैं। 'सुपर नमो' जहां सुपर मारियो' से प्रेरित गेम है वहीं इसका लास्ट लेवल भी काफी इंटरेस्टिंग है। वहीं मोदी रन की सफलता के बाद इसके दूसरे वर्जन 'रन मोदी अल्टीमेट' को भ् में से ब्.7 स्टार रेटिंग दी गई हैं। एप स्टोर पर दोनों ही गेम सुपर हिट रहे हैं।

'आम आदमी रनर गेम'

इस गेम के दो पार्ट हैं पहला इवोल्यूशन ऑफ रिवोल्यूशन और दूसरा फाइट फॉर स्वराज। दिल्ली में इलेक्शन के समय लांच किए गए इस एप को खासी लोकप्रियता मिली थी। कांग्रेस ने

एप के जरिए डोनेशन

सियासी पार्टियों की स्मार्टफोन एप्स काफी इंटरऐक्टिव हैं, ज्यादातर यह प्लेस्टोर पर फ्री में डाउनलोड की जा सकती हैं। इन एप्स के जरिए डोनेशन भी दिया जा सकता है। वहीं आईएम नमो नाम के मोबाइल एप में तो एफबी और टिव्टर के जरिए नरेंद्र मोदी से इंटरएक्शन करने का ऑप्शन भी दिया गया है। इन एप्स पर नेताओं के वीडियो, वालपेपर और चुनावी वादों से रिलेटेड जानकारी भी उपलब्ध रहती है। इंडियन इलेक्शन गेम, एंग्री पार्लियामेंट फाइट डीलक्स, 'मोदी'फाइड जैसे गेम्स को लोगों ने खूब डाउनलोड किए हैं।

सोशल मीडिया में तो पहले से ही बना है माहौल

चुनावों को लेकर फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर इलेक्शन कैपेंन तो पांच राज्यों के विधानसभा इलेक्शन के साथ ही शुरु हो गया था। सभी सियासी पार्टियां इसमें बढ़ चढ़ कर काम कर रही हैं। सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए अलग सेल बने हुए हैं। जो पार्टी की उपलब्धियों और चुनावों में उसके एजेंडे को लोगों तक पहुंचा रही हैं।

डायरेक्ट इनवॉल्वमेंट नहीं रखकर बच जाते हैं

आम चुनावों में पार्टियों और उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखने के लिए इलेक्शन कमीशन ने कई योजनाएं बनाई हैं। लेकिन सोशल मीडिया और एप्स के जरिए हो रहे प्रचार किस तरह से उम्मीदवारों के खर्चे में जोड़ा जाएगा इसको लेकर फिलहाल इलेक्शन कमीशन के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं हैं। दरअसल फेसबुक और ट्विटर के जरिए हो रहे इस प्रचार में किसी प्रकार के खर्चा तो होता नहीं हैं। इसके अलावा मोबाइल एप्स बनाने में भी कोई खास खर्चा नहीं आता है। लेकिन इनकी पहुंच काफी व्यापक है।

मिस्डकॉल से सदस्यता, और मैसेज से अपील

चुनावों के दौरान पार्टियों की तरफ से कई ऐसे फोन नंबर जारी किए गए है जिस पर मिस्ड कॉल देकर आप उस पार्टी की सदस्यता हासिल कर सकते हैं। वहीं चुनाव नजदीक आते ही पार्टियों की तरफ से लोगों को फोन कर रिकार्डेड मैसेज सुना कर वोट देने की अपील की जा रही है। वहीं वोटर्स को एसएमएस के जरिए भी उनके उम्मीदवार को वोट करने की अपील की जा रही है।

एप वार पर क्या कहते हैं नेता

स्मार्टफोन के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाना अब काफी आसान हो गया है। स्मार्टफोन के लिए हमारी पार्टी ने भी कई एप्स लांच की हैं और आगे भी इस तरह की एप लांच कर लोगों तक पार्टी की उपलब्धियां बताएगें।

-चंद्रेश सिंह, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष,सपा

मोबाइल और फेसबुक पर हमारी पार्टी की ओर से भी काफी एक्टिविटी की जा रही है। जल्द ही इस पर और ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। जिससे यंग वोटर्स और इंटरनेट यूजर्स तक भी अपनी बात पहुंचाई जा सके।

-सलीम अहमद, लोकसभा प्रत्याशी, बसपा

स्मार्टफोन से सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाना अब काफी आसान है। हमारी पार्टी की ओर से भी इस पर खास ध्यान दिया जा रहा है।

-महेश दीक्षित, अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी

सोशल मीडिया से प्रचार पर पार्टी का खासा ध्यान है। राष्ट्रीय कार्यालय में इसके लिए अलग सेल बनी हुईं हैं। लोकल स्तर पर भी पार्टी का संदेश पहुंचाने के लिए अभियान शुरु किया जा चुका है।

-सुरेंद्र मैथानी, जिला अध्यक्ष, भाजपा

Posted By: Inextlive