क्‍या आप ऐसी जगह रहना चाहेंगे जहां सिवाए बर्फ के और कुछ भी ना हो? आपका जवाब ना ही होगा। पर क्‍या आपको पता है हमारे भारतीय जवान ऐसी ही बर्फिली जगह पर तैनात है। यह जगह है दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र 'सियाचिन'। यहां जवानों की दुश्‍मन की गोली से ज्‍यादा मौत यहां के बेरहम मौसम की वजह से होती है। 30 साल से भारतीय सैनिक इस जगह की दुश्‍मनों से रक्षा कर रहें है। आइए जानते हैं सियाचिन के कुछ फैक्‍ट्स के बारे में।


सियाचिन के कुछ फैक्ट्स1 एक रिपोर्ट के अनुसार सियाचिन की रक्षा करते हुए 1984 से अब तक 869 जवानों की मौत हो चुकि है।3 दिन में यहां का तापमान 0 से 40 डिग्री तक होता है जो रात में -40 डिग्री तक चला जाता है।5 सियाचिन के लिए फौजियों की ट्रेनिंग कश्मार के खिल्लनमर्ग के गुज्जर हट में बने हाई एल्टीट्यूड वासफेयर स्कूल में होती है। यहां पर उन्हें बर्फ पर रहना और पहाड़ काट कर ऊंचाई पर चढ़ने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद फौजियों को सियाचिन ग्लेशियर से पहले बने बेस कैंप के सियाचिन बैटल स्कूल तक लाया जाता है।


7 तैनाती के तीन महीने के दौरान फौजियों को नहाना और दाढ़ी बनाना मना होता है। सोने से पहले हर रात उन्हें चोकि के सामने से बर्फ हटानी पड़ती है, क्योंकि ऐसा ना करने पर बर्फ के दबाव से जमीन फटने का खतरा होता है।9 भारतीय सैनिकों ने यहां पर इतनी कड़ी सुरक्षा कर रखी है कि दुश्मन चाह कर भी यहां सेंध नहीं लगा सकता।

10 यहां पर भारत और पाकिस्तान के फौजी 30 साल से आमने-सामने डटे हुए हैं।12 80 के दशक से ही पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी कर रहा था। इसको देखते हुए बर्फीले जीवन के तजुर्बे के लिए 1982 में भारत ने भी अपने जवानों को अंटार्कटिका भेज दिया। 1984 में पाकिस्तान ने लंदन की कंपनी को बर्फ में काम आने वाले साजो-सामान की सप्लाई का ठेका दिया, तो भारत ने 13 अप्रैल 1984 को ही  सियाचिन पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन 'मेघदूत' शुरू कर दिया। पाकिस्तान 17 अप्रैल से सियाचिन पर कब्जे का ऑपरेशन शुरू करने वाला था, लेकिन भारत ने तीन दिन पहले ही कार्रवाई कर उसे हैरान कर दिया। ये ऑपरेशन भारत के लिए आसान नहीं था।13 कराकोरम रेंज में स्थित सियाचिन दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यह इंद्र नाम की पहाड़ी से शुरू होता है और चीन को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करता है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh