लॉकडाउन में घर बैठे लोगों को वजन बढ़ने की सता रही चिंता

GORAKHPUR: लॉकडाउन में टाइम पास करने के लिए लोग तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं। कोई अपने क्रिएटिविटी पर फोकस कर रहा है तो कोई स्वादिष्ट व्यंजन खाने और पकाने में बिजी है। वहीं, बहुत से लोग अपने ज्यादा खाने की आदत से परेशान हैं। उन्हें डर है कि कहीं वजन न बढ़ जाए। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि अकेलापन या किसी डर से बचने के लिए लोग लजवाब डिश में अपनी खुशी ढूंढने में लग जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स भी उन्हें खाने पीने पर नियंत्रण के साथ-साथ घर में व्यायाम और प्राणायाम करने जैसे टिप्स दे रहे हैं।

डायट चार्ट जरूर बनाएं

फिजिशयन डॉ। सुधांशु शंकर बताते हैं कि जो लोग उनके मोबाइल या व्हाट्सअप पर जुड़े हैं। उनमें ज्यादातर गैस, बीपी, शुगर और हैवी वेट होने की शिकायत कर रहे हैं। उन्हें व्यायाम की सलाह दी जा रही है। डॉ। राजेश गुप्ता बताते हैं कि अक्सर परिवारवाले अपने बच्चों को स्नेह में खाने-पीने से टोकते नहीं हैं, ऐसे में अगर आप वयस्क हैं तो अपनी खाने-पीने की आदतों पर खुद नजर रखें। अगर आप अभिभावक हैं तो अपने बच्चों के खाने के तरीकों पर ध्यान दें और उन्हें समझाएं। हमारे पास जो भी मरीज के कॉल आते हैं उन्हें उनके बीमारी के हिसाब से दवा दी जाती है। सलाह दी जाती है कि वे अपने और बच्चों के खाने का एक डायट चार्ट बनाएं।

खाने के महत्व को बताएं

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गाइनो डिपाटमर्ेंट की हेड प्रो। वाणी आदित्य बताती हैं कि लॉकडाउन में देश और दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें जीने की जरूरी चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अपने बच्चों को ऐसे लोगों के बारे में बताएं ताकि वे भोजन का महत्व समझ सके। उन्हें बताएं कि जब पूरी दुनिया को एक-दूसरे के साथ की जरूरत है तो हम ऐसे वक्त में कम से कम संसाधन में जिएंगे। हम खाने के लिए जीने की जगह जीने के लिए खाएंगे। आप जब घर में इस बात का पालन करेंगे तो आपके बच्चे भी खुद को जिम्मेदार महसूस करेंगे।

खेल-खेल में कसरत कराएं

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। नरेश अग्रवाल बताते हैं कि उनके पास जो कॉल्स मरीजों के आ रहे हैं उसमें पैरेंट्स अपने बच्चों को शारीरिक रूप से बीमार होने की बात कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें इस सलाह दी जा रही है कि घर में सक्रिय रखने के लिए जरूरी है कि वे हर दिन उतना ही खेले जितने स्कूल और पार्क में खेलने जाते थे। इसके लिए अपने घर के सभी सदस्यों का सहयोग लें। सभी साथ में बैठकर ऐसे खेल खेले, जिसमें सभी की कसरत भी हो जाए। इस तरह आपका भी समय कटेगा और बच्चे जो भी खाएंगे वो पचता रहेगा। बच्चों के खिलौनों को जरूर संक्रमण रहित करते रहे, जिसके लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें।

बच्चों के व्यवहार पर नजर जरूरी

- बच्चों और अपने व्यवहार पर नजर रखें ताकि चिंता के लक्षण नजरअंदाज न होने पाएं

- साथ ही ऐसा न हो कि बच्चा टीवी देखते-देखते घंटों खाना खाता रहे या फिर खेल में खाना भूल जाए।

- उनके मीडिया टाइम पर भी नजर रखें।

- बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हों या कम नींद लें तो सतर्क हो जाएं।

- बच्चों को बताएं कि स्कूल खुलने पर उनके ऊपर पढ़ाई का कोई बोझ नहीं बढ़ेगा।

-उन्हें यह समय अलग न लगे इसलिए उन्हें एक तय रूटीन में रखें और रुटीन पालन कराने में उनका रोल मॉडल बनें।

चिंता से बढ़ता है वजन

डॉ। संदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि उनके पास जिन मरीजों के कॉल आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर मरीज वजन बढ़ने की बात कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें व्यायाम और प्राणायाम की सलाह दी जा रही है। वे बताते हैं कि जब हम चिंता करते हैं तो शरीर में स्टेरॉयड हार्मोन 'कॉर्टिसॉल' की मात्रा बढ़ जाती है जो पेट में बसा को बढ़ा देती है। इस तरह शरीर का वजन अनियंत्रित ढंग से बढ़ने लगता है। ऐसे समय में अगर शरीर से ज्यादा काम न लिया जाए तो शरीर की कैलोरी भी बर्न नहीं होती जिससे वजन बढ़ता चला जाता है।

Posted By: Inextlive