हाल ही में हुईं कुछ आपराधिक घटनाओं ने महिलाओं के लिए सोशल साइट्स पर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा किया है।

बेंगलुरु में एक महिला के नाम पर नकली फ़ेसबुक अकाउंट बनाया गया और उसे एस्कॉर्ट सर्विस देने वाली वेबसाइट पर डाल दिया गया। इसके बाद से महिला के पास फ़ोन आने लगे। महिला ने इसकी शिकायत दर्ज कराई। वहीं, कुछ दिन पहले ट्विटर पर 'पाकिस्तान डिफ़ेंस' नाम के एक अकाउंट ने दिल्ली की एक लड़की की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की थी। ऐसी ही मामले अक्सर सामने आते रहते हैं जिनमें लड़कियों की तस्वीरों और निजी जानकारियों का ग़लत इस्तेमाल या उन्हें ट्रोल किया जाता है।

 

क्या करें, क्या न करें
सबसे पहले तो सोशल मीडिया पर अपनी निजी तस्वीरें डालने से बचें। उनका कोई भी इस्तेमाल कर सकता है। अगर फिर भी आप तस्वीरें डालना चाहते हैं तो अपने ​फ़ेसबुक अकाउंट पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को पब्लिक न करें। सेटिंग्स ऐसे रखें कि आपकी फ़ोटो आपके दोस्त या आपसे जुड़े हुए लोग ही देख पाएं। अनजान लोग उन तक न पहुंचे।

 

अपने नाम के बारे में गूगल पर हमेशा सर्च करते रहें ताकि आपको पता रहे कि आपका नाम कहां पर और किस-किस वेबसाइट पर आ रहा है।

अगर किसी ग़लत जगह पर या ऐसी जगह पर आपको नाम दिखाई देता है जिसकी अनुमति आपने नहीं दी है, तो उसे तुरंत हटाने के लिए कह सकते हैं।

अनजान लोगों को फ़ेसबुक पर न जोड़ें। कई बार ऐसा करने से नुकसान भी हो सकता है। प्रोफेशनल लोगों को लिंकडइन पर जोड़ें, फ़ेसबुक पर उनके साथ न जुड़ें।

वहीं, ट्विटर के ऊपर बिल्कुल भी निजी तस्वीरें न डालें। यह एक सोशल नेटवर्किंग साइट नहीं है, यह एक ट्विटिंग प्लेटफॉर्म है।

ट्विटर पर ऐसी सेटिंग्स की जा सकती हैं कि आपकी अनुमति के बिना लोग आपको फॉलो न कर सकें। लेकिन, अमूमन लोग ऐसा करते नहीं हैं। सेटिंग्स को ज़्यादा निजी करके आपका अकाउंट ज़्यादा सुरक्षित रह सकता है।

आप कई बार किसी का अकाउंट ब्लॉक कर देते हैं या उसकी रिपोर्ट कर देते हैं। इसके बाद ब्लॉक किया हुआ शख़्स आपके अकाउंट तक नहीं पहुंच सकता लेकिन ध्यान रखें कि वो दूसरे अकाउंट से आप तक पहुंच सकता है।

ऐसे में किसी दूसरे अनजान प्रोफ़ाइल की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकारने से पहले इस बात को दिमाग में रखें।

अगर आप किसी समस्या में फंस भी जाते हैं तो घबराएं नहीं बल्कि पुलिस को इसकी जानकारी दें।

 

 

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लाइक्स की चाह
सोशल स्पेस पर महिलाओं के साथ अपराध की घटनाओं पर क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट अनुजा त्रेहन कपूर कहती हैं, "महिलाओं को जब असल ज़िंदगी में उम्मीद के मुताबिक महत्व नहीं मिलता तो उसका झुकाव वचुर्अल की दुनिया की ओर ज़्यादा होता है जहां उनकी तारीफ़ करते लोग थकते नहीं हैं। सेल्फी की ही बात करें तो इसने हमें ऐसी जगह ला दिया है कि वर्चुअल दुनिया में तो आपको लाइक मिलेंगे लेकिन असल दुनिया में आपको कोई पूछेगा भी नहीं।"

अनुजा कपूर कहती हैं, "लाइक्स और प्रशंसा की यही चाह लोगों को तस्वीरें डालने के प्रोत्साहित करती हैं और आप अपनी निजी जानकारियां व तस्वीरें डालने का सिलसिला बढ़ा देते हैं। महिलाओं के साथ यही स्थिति होती है। उस वक्त वो ये नहीं सोच पाती हैं कि इनका दुरुपयोग भी किया जा सकता है।"

अनुजा कपूर बताती हैं, "लड़कियों के साथ हो रही घटनाएं साइबर क्राइम बढ़ने का भी हिस्सा हैं। साइबर क्राइम आपको पहचान छुपाने का मौका देता है। ये लोगों के लिए अपराध करना और आसान बना देता है। वहीं, अक्सर लोग सार्वजनिक रूप से अपनी दिनचर्या बता देते हैं। घर कहां है, कहां गए हैं और कहां जाने वाले हैं ये सब बता देते हैं। ये सामने वाले को अपराध के लिए न्यौता देने जैसा है।"

अनुजा कहती हैं कि लोगों को वर्चुअल से ज़्यादा असल ज़िंदगी पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन, इसे पूरी तरह भी नहीं छोड़ा जा सकता तो सुरक्षा के लिए आ रहे नए तरीकों को अपनाएं। फिर भी कोई समस्या हो तो क़ानून का सहारा लेना चाहिए।

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Posted By: Chandramohan Mishra