। एक पेड़ को शिफ्ट करने का खर्च आता- करीब 10 हजार रुपया

। एक पौधे को पेड़ बनने में लगता समय- करीब 15 साल

। विश्व का सबसे प्रदूषित शहरों में पटना का स्थान- 6वां

PATNA (3 July): राजधानी सहित पूरे प्रदेश में विकास के नाम पर वृक्षों की बलि दी जा रही है। खासकर शहर की सड़क का चौड़ीकरण करना हो या फोरलेन बनाना हो या ओवर ब्रिज का निर्माण। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। ताजा मामला राजधानी में बोरिंग रोड स्थित विश्वेश्वरैया भवन के सामने का है, जहां सड़क की चौड़ीकरण के नाम पर दर्जनों वृक्षों को काटा जा रहा है। यह तो एक बानगी है, ऐसे सैकड़ों पेड़ विकास के नाम पर काटे जा चुके हैं या कट सकते हैं। जबकि देखा जाए तो हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में पटना का स्थान छठवां है। पर्यावरणविदों का कहना है कि एक पौधे को पूर्ण रूप से वृक्ष बनने में सालों लग जाते हैं। इसलिए उसे काटने की बजाए उसके दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

पेड़ों की शिफ्टिंग है विकल्प

पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो पेड़ों को काटने की बजाए इसे दूसरे स्थान पर शिफ्ट करना एक विकल्प है। क्योंकि शिफ्टिंग से एक ओर जहां पेड़ कटने से बच जाएंगे, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा। और फिर यह कोई नई विद्या नहीं है, बल्कि भोपाल जैसे शहरों में अब तक कई पेड़ों की शिफ्टिंग हो चुकी है।

ऐसे होती है शिफ्टिंग

पेड़ को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने के दौरान काफी सावधानी रखनी होती है। पेड़ के चारों और करीब पांच फीट चौड़ाई में म्-7 फीट तक गड्ढा खोदा जाता है। इसके बाद पेड़ को निकालकर किसी वाहन की मदद से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है, जहां उसे पुन: लगाना है। नए स्थान पर पेड़ को लगाने के लिए करीब म्-7 फीट गड्ढा खोदकर उसमें पेड़ लगाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में दो-तीन दिन लगते हैं। इस दौरान मजदूर और मशीनों का खर्चा करीब क्0 हजार रुपए आता है।

पौधा को पेड़ बनने में लगते क्भ् वर्ष

नर्सरी चलाने वाले प्रवीण की मानें तो एक पौधा विकसित होकर पूर्ण पेड़ बनने में क्भ् वर्षो से अधिक का समय लेता है। इसलिए, काटे गए पेड़ों की भरपाई में उसे काफी लम्बा समय लगता है। इसलिए पेड़ को काटकर शहर का विकास करना कोई समझदारी का काम नहीं है। अगर नए पौधे लगे भी तो वे इन पुराने पेड़ों की तुलना में कम कार्बनडाइ ऑक्साइड सोख सकेंगे। अर्थात हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने वाली नहीं है।

क्भ् फीसदी प्राप्ति का है लक्ष्य

सीएम ने एक कार्यक्रम में कहा है कि राज्य में वर्तमान समय में 9 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जिसे बढ़ाकर क्भ् प्रतिशत करने की योजना है। इसके लिए एक उद्यान प्रमंडल बनाया जाएगा, जिसका काम पटना व दूसरे शहरों की हरियाली को बढ़ाना और शहर के पार्को की देखभाल करना होगा। लेकिन दूसरी ओर सड़क चौड़ीकरण और दूसरे कारणों से पुराने और परिपक्व पेड़ों को काटने का ध्वंस यज्ञ चल रहा है।

पटना में प्रदूषण का स्तर

विश्व के सबसे प्रदूषित शहर में पटना का स्थान छठा है। यहां की हवा में मिले धूल व दूसरे जहरीले कणों की मात्रा, पीएम का स्तर म्ख्क्.भ् माइक्रोंस प्रति घन मीटर है, जो सामान्य स्तर ब्0 माइक्रोंस से कई गुना अधिक है। असल में पटना की हवा में क्0 प्रकार के पार्टिकुलेट मैटर ख्0क्ब्-क्भ् में ख्क्ब् माइक्रोन्स प्रति घनमीटर आंका गया था। तब से इसकी मात्रा लगातार और तेजी से बढ़ती गई है। देखा जाए तो पटना की हवा के खतरनाक ढं़ग से प्रदूषित होने की चेतावनी राज्य प्रदूषण बोर्ड ने बीती दिवाली के फौरन बाद दे दिया था।

वर्जन

यह सही नहीं है कि जीवन के विकास को दिखाने के लिए प्राकृतिक रिसोर्सेस को खत्म कर दिया जाए। ऐसे में जीवन पर ही संकट छा जाएगा।

- फैजान इकबाल, प्रोग्रामर ऑफिसर, सीड्स

Posted By: Inextlive