Patna: घर में दूधिया रोशनी फैले और बिजली की भी बचत हो ताकि पॉकेट का बोझ कुछ हल्का हो इसलिए लोगों में एलईडी बल्ब लगाने की होड़-सी है. लेकिन जरा ठहरिए बिजली की बचत तो काफी हद तक ठीक है. इस चक्कर में कितना बड़ा लॉस उठाना पड़ रहा है यह कभी आपने सोचा है.


नॉर्मल केस बनता जा रहा जी हां, एलईडी लाइट आपके बच्चों की आंखों का दुश्मन है। इन दिनों अचानक आंखों से पानी आना और सिर में दर्द रहना नॉर्मल केस बनता जा रहा है। पीएमसीएच से लेकर तमाम गवर्नमेंट और प्राइवेट आई हॉस्पीटल के ओपीडी में इस तरह के केस काफी बढ़े हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि आई प्राब्लम की वजह वायरल तो है ही रोशनी की कमी भी है। आंखें हो जाती हैं ड्राई


राजेंद्र नगर अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट डॉ। नरेश कुमार भीमसरिया ने बताया कि बच्चों की आंखों में घर की रोशनी का सीधा असर पड़ता है। चूंकि इस रोशनी में बुक्स को पढऩे में काफी स्ट्रेस पड़ता है। इस वजह से ड्राइ आई होने का चांस रहता है। यह आंखों के अंदर का पानी धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इससे पहले सिर दर्द की कंप्लेन होती है। इसेइग्नोर करने के बाद यह आंखों की रोशनी को हार्म पहुंचाने लगता है। आई स्पेशलिस्ट ने बताया कि अगर आप एलईडी की रोशनी में पढ़ते हैं तो उसकी रोशनी आपकी बुक्स पर पड़ते ही रिफ्लेक्ट करती है, जो आंखों के लिए प्रॉब्लम क्रिएट करती है। आंख बुक्स पर टिक नहीं पाती है। इसलिए जरूरी है कि ट्यूब लाइट या फिर टेबल लैंप के सहारे ही पढऩी चाहिए।


30 मीटर की दूरी और छन कर आए रोशनी
आई स्पेशलिस्ट डॉ। सुनील कुमार सिंह की मानें तो लोग एक ही तरह की रोशनी का एक यूज करते हैं, जबकि घर के लिए अलग और पढ़ाई के लिए अलग रोशनी का यूज होना चाहिए। उसमें भी प्रिंट और कंप्यूटर मेटेरियल के लिए अलग-अलग रोशनी की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस पर ध्यान कम दिया जाता है। इससे खासकर बच्चों की आंखों पर बैड इफक्ट पड़ता है। शुरुआती दौर में गार्जियन बच्चों को डांट-फटकार कर इसे इग्नोर करते हैं, जबकि आगे चलकर यह आंखों की रोशनी पर असर डालने लगता है। हर मिनट पलक झपकना चाहिएपढ़ाई के दौरान इसका ख्याल रखना चाहिए कि आप पलक को झपका रहे हैं या नहीं, क्योंकि इससे काफी हद तक ड्राई आई से बचा जा सकता है। अगर ड्राई आई पर कंट्रोल हो गया तो इंफेक्शन का खतरा भी काफी कम रहता है और रेफ्रेक्टिव एरर की प्रॉब्लम भी नहीं के बराबर आती है।हर एक घंटे पर आंखों को धोएं
पढ़ाई के दौरान अगर आंखों में स्ट्रेस पड़ रहा है या फिर पॉजिटिव लाइट सपोर्ट नहीं मिल रहा है तो इसके लिए जरूरी है कि आप हर एक घंटे पर आंखों को साफ पानी से धोएं, इससे काफी हद तक आंखों की थकान को कम किया जा सकता है।(आई स्पेशलिस्ट डॉ। राजीव प्रसाद से बातचीत पर आधारित) इनका रखें ख्याल - कभी भी एलईडी की रोशनी में पढ़ाई न करें। - प्रिंट मेटेरियल पढऩे के लिए ट्यूब लाइट की रोशनी आइडियल है। इसकी लाइट रिप्लेक्ट नहीं करती है। - नेट प्रिंट पेपर को पढऩे के लिए रोशनी की बेहतर व्यवस्था होने पर ही पढ़ें। - बुक्स पर रोशनी सामने से ना आकर कंधे के पीछे से आनी चाहिए।- इसका ख्याल रखना चाहिए कि रोशनी रिफ्लेक्ट न होने पाए।- बुक्स के अलावा नेट एडीशन पढऩे के दौरान कंट्रास का ध्यान रखना चाहिए।- प्रिंटेड मेटेरियल के चारों तरफ एक सा कंट्रास रहता है, जबकि नेट एडीशन में सेंटर और पेरीफेरी ही कंट्रास रहती है।(आई स्पेशलिस्ट डॉ। सुनील कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)

Posted By: Inextlive