बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रहा मतभेद अब दूर होने के कगार पर आ गया है. इसकी मुख्‍य वजह शिवसेना द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रस्‍तावित विस्‍तार के लिये अपने राज्‍यसभा सदस्‍य अनिल देसाई का नाम सुझाने का फैसला अहम माना जा रहा है.

खत्म होगा गिले-शिकवे का दौर
पिछले कुछ दिनों तक गिले-शिकवे का सिलसिला चलने के बाद अब शिवेसेना महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे पर भी सहमति बनती दिख रही है. हालांकि एक शिवसेना सांसद ने नाम जाहिर नहीं किये जाने की शर्त पर कहा, 'शुरुआत में उद्धव जी ने फैसला किया था कि जब तक राज्य स्तर पर किसी नतीजे पर नहीं पहुचें. हम मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिये किसी नाम की सिफारिश नहीं करेंगे.' इसके अलावा शिवसेना सांसद ने  यह भी कहा कि, चूंकि बातचीत निर्णायक मोड़ पर है, हमने अपना रुख बदल दिया है. हमारे नेता ने अनिल देसाई के नाम की सिफारिश करने का डिसीजन किया है, ताकि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के लिये दूसरे नाम का फैसला शाम तक करेगा.

फडणवीस और उद्धव की मुलाकात

शिवसेना सांसद ने यह भी बताया कि, 'मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव से मुलाकात की और कहा कि वे चाहते हैं कि हम नई सरकार का हिस्सा बनें और उन्हें एनसीपी से समर्थन लेने में रुचि नहीं है. हमें 12 मंत्रिमंडलीय पदों की पेशकश की गई है, जिनमें से 5 कैबिनेट और 7 राज्यमंत्री हैं. बहरहाल, अभी यह साफ नहीं हो सका है कि क्या शिवसेना ने उप मुख्यमंत्री के पद की अपनी मांग छोड़ दी है. इससे पहले बीजेपी ने 1995 का फॉर्मूला खारिज कर दिया था जब उसे जूनियर पार्टनर होने पर उप मुख्यमंत्री का पद मिला था.  
पीएमओ ने मांगा था नाम
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने गुरुवार को शिवसेना से कहा था कि वह केंद्र सरकार में शामिल करने के लिये दो नामों की सिफारिश करे. पीएमओ के संदेश पर तब शिवसेना ने कहा था कि वह अगले दिन ये नाम भेज देगी. लेकिन महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे पर दोनों पार्टियों के बीच के मुद्दे इस बारे में हुई बातचीत में हल नहीं होने पर ऐसा प्रतीत हुआ कि उद्धव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के लिये किसी नाम का प्रस्ताव नहीं करने का फैसला करेंगे.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari