भारतीय क्रिकेट के इतिहास में नरी कॉन्ट्रेक्टर के करियर का अंत जिस दुखद ढ़ंग से हुआ शायद ही किसी का हुआ होगा. घायल होकर पवैलियन जाते नरी कांट्रैक्टर. उनके दाहिनी ओर हैं चंदू बोर्डे.


एक सेकंड के भी सौंवे हिस्से में इस 28 वर्षीय कप्तान और बल्लेबाज़ के साथ ऐसी दुर्घटना हुई कि वो इसके बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कभी नहीं खेल पाया.तब तक नरी दस टेस्ट मैचों में भारत का नेतृत्व कर चुके थे, वो न सिर्फ़ टीम के प्रमुख बल्लेबाज़ थे बल्कि पारी की शुरुआत भी करते थे और उनकी तेज़ गेंदबाज़ी खेलने की क्षमता के बारे में किसी को कोई संदेह नहीं था.वर्ष 1962 के वेस्टइंडीज़ दौरे में दूसरे और तीसरे टेस्ट के दौरान भारतीय टीम बारबडोस के साथ एक अभ्यास मैच खेल रही थी.बारबडोस ने पहले बैटिंग करते हुए 390 रन बनाए थे. भारत की ओर से नरी कॉन्ट्रेक्टर और दिलीप सरदेसाई ने पारी की शुरुआत की थी.
आमतौर से नरी पहली स्ट्राइक नहीं लेते थे. लेकिन चूंकि सरदेसाई पहली बार पारी की शुरुआत कर रहे थे, उन्होंने पहली गेंद खेलने का फ़ैसला किया. बारबडोस की तरफ़ से गेंद करने की ज़िम्मेदारी वेस हॉल और चार्ली ग्रिफ़िथ ने संभाली.पवेलियन की खिड़कीनरी ने बीबीसी को बताया, "मैच से एक दिन पहले एक पार्टी में वेस्टइंडीज़ के कप्तान फ़्रैंक वॉरेल ने हमें ग्रिफ़िथ के बारे में आगाह किया था.''


उधर जैसे ही कॉन्ट्रेक्टर गिरे चंदू बोर्डे पवेलियन से उनके लिए पानी की गिलास लिए हुए दौड़े आए.चंदू याद करते हैं, "जब मैं पिच पर पहुंचा तो नरी पूरी तरह होश में थे. उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे सिर में भयानक दर्द हो रहा है. मैं उनका हाथ पकड़ पवेलियन तक लाया. लेकिन मैं महसूस कर पा रहा था कि उनके हाथ का दबाव मेरे हाथ पर बढ़ता ही जा रहा था और उन्हें असहनीय पीड़ा हो रही थी."टीम के मैनेजर ग़ुलाम अहमद और चंदू बोर्डे उन्हें अस्पताल ले कर गए. वहाँ उनका एक्सरे लिया गया. एक्सरे से पता चला कि उनके सिर के पिछले हिस्से में इंटर्नल ब्लीडिंग हो रही है.डॉक्टर ने कहा कि अगर इनका तुरंत ऑपरेशन नहीं किया गया तो इनके साथ कुछ भी हो सकता है. ग़ुलाम अहमद ने मुंबई फ़ोन कर उनकी पत्नी और बोर्ड से सहमति ली और डॉक्टर ने उनका ऑपरेशन करना शुरू किया जबकि वो क्वालिफ़ाइड न्यूरो सर्जन नहीं थे.गेंद की रफ़्तार

चंदू बोर्डे याद करते हैं, "अभी ऑपरेशन चल ही रहा था कि ख़ून से सने हुए विजय मांजरेकर वहाँ पहुंचे. उनको भी ग्रिफ़िथ की गेंद लगी थी. नरी को मैंने, बापू नादकर्णी, पॉली उम्रीगर, क्रिकेट संवाददाता पीएन प्रभु और वेस्टइंडीज़ के कप्तान फ़्रैंक वॉरेल ने अपना ख़ून दिया. जब ऑपरेशन चल ही रहा था कि अस्पताल की बिजली चली गई. ग़ुलाम अहमद इतने नर्वस थे कि उन्होंने दो-दो सिगरेटें सुलगाई हुई थीं."उस टीम के एक और सदस्य सलीम दुर्रानी को अभी तक ख़ून से सने नरी का पवैलियन लौटकर आना याद है.नरी कांट्रैक्टर अपनी पत्नी डॉली के साथनरी एक मज़ेदार क़िस्सा सुनाते हैं, "एक बार दिल्ली हवाई अड्डे पर जब मैं मुंबई जाने के लिए पहुँचा तो तलाशी लेने वाला मेटल डिटेक्टर बार-बार ब्लीप करने लगा और वहाँ मौजूद सुरक्षा कर्मचारी बार-बार मुझसे मेटल डिटेक्टर के सामने से गुज़रने के लिए कहने लगा. अंतत: नरी कॉन्ट्रेक्टर ने अपना परिचय दिया और उस कर्मचारी को पूरी कहानी बताई कि किस तरह धातु की प्लेट उनके सिर में लगाई गई थी."दूसरा मौकानरी कॉन्ट्रेक्टर ने एक बार और ज़बरदस्त जीवटता का परिचय दिया था.1959 में लार्ड्स के मैदान पर ब्रायन स्टेथम के पहले ओवर की एक गेंद उनकी पसलियों में लगी और उनकी दो पसलियाँ टूट गईं. उस समय नरी ने एक भी रन नहीं बनाया था. लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा और 81 रन बनाकर पवेलियन लौटे.
ब्रिजटाउन में गंभीर रूप से चोटिल होने के बावजूद नरी ने दोबारा भारत के लिए खेलने की उम्मीद नहीं छोड़ी. लेकिन लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद भारतीय चयनकर्ता उन्हें दोबारा भारतीय टीम में चुनने की हिम्मत नहीं जुटा पाए.नरी कॉन्ट्रेक्टर ने बताया कि एक बार भारतीय चयनकर्ता गुलाम अहमद ने उनकी पत्नी से सवाल किया था, "आप उन्हें दोबारा खेलने की अनुमति कैसे दे सकतीं हैं?, मेरे चाहने से क्या होता है. मेरे भाग्य में भारत के लिए दोबारा खेलना नहीं लिखा था, सो मैं नहीं खेला."

Posted By: Satyendra Kumar Singh