भारी बारिश के चलते जम्‍मू-कश्‍मीर में हर जगह सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. घरों तक घुसे पानी ने लोगों को छतों पर चढ़ने पर मजबूर कर दिया है लेकिन इस पूरी जलप्रलय में भारतीय सेना के जवानों ने बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकालने में जो साहस दिखाया है उसकी तुलना संभव नही है.


कैसे हैं घाटी में हालातकश्मीर में जारी जलप्रलय के बींच केंद्र सरकार ने नौसेना के कमांडोज को तैनात कर दिया है. इसके साथ ही कश्मीर घाटी में 3जी टेलीकॉम सर्विसेज के 90 टॉवर्स ने काम करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा सरकार ने जरूरी टॉवर्स को दुबारा शुरू करने के लिए 10 वीसेट सिस्टम सेंड किया हैं जिनसे टेलिकॉस सर्विसेज फिर से बहाल हो सकती हैं. अगर घाटी में ट्रांसपोर्ट सिस्टम के हालातों पर नजर डाली जाए जो कश्मीर में सड़कों पर यातायात बहाल होने में 5 से 7 दिन लग सकते हैं. क्या कहना है मौसम विभाग का


कश्मीर में बदलते मौसम के बारे में मौसम विज्ञानियों का कहना है कि आने वाले पांच दिनों में हल्की बारिश होती रहेगी. इसके साथ ही मौसम विज्ञानियों ने घाटी में कहीं भी भारी बारिश के आसार नही बताए हैं. इस बारिश के बींच में रेस्क्यू ऑपरेशंस चलाए जा सकते हैं. सेना ने बचाया हजारों लोगों को

जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों के लिए सेना के जवान जीवन रक्षक बनकर जमीन और पानी के बींच उतर आए. सेना ने अबतक 22 हजार से ज्यादा लोगों की जान बचाई है. इन लोगों में से 2000 लोग श्रीनगर और आसपास के इलाकों के रहने वाले लोग हैं. गौरतलब है कि वायूसेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 45 विमान और हैलीकॉप्टर तैनात किए हैं. इसके साथ ही सेना ने श्रीनगर स्थित बादामीबाग कैंड स्थित मुख्यालय से 1400 सैन्यसेवकों और उनके परिजनों को भी निकाला गया है. लेह के रास्ते से जाएंगे कंबल और खाने का सामानसरकार ने बाढ़ पीढि़तों के लिए मनाली और लेह के रास्ते से कंबल, रसद और दवांए श्रीनगर भेजीं हैं. गौरतलब है कि मनाली-रोहतांग दर्रा-लेह-श्रीनगर के रास्ते उत्तर-भारत से भी यह सब चीजें भेजी जाएंगी. इसके साथ ही सोशल मीडिया साइट्स पर इस नेचुरल डिजास्टर से प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने के प्रयास शुरू हो गए हैं.

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Posted By: Prabha Punj Mishra