‘रामजी लंदन वाले’ तो सिर्फ फिल्म का नाम था लेकिन मथुरा-वृंदावन में अब ‘कृष्णजी चीन वाले’ हकीकत में आ गए हैं. विदेश से आए कन्हैया का रंग-रूप भी बदला हुआ है. न सांवला रंग है और ना ही तन पर नंदगांव की धूल. चीन से आए हैं इसलिए ये कान्हा सजे-संवरे और चमकते-दमकते से नजर आते हैं.


मोहक रंग-रूप ने किया लट्टूचीन से आए हों या कहीं और से, कान्हा तो कान्हा हैं. कान्हा ने इस मोहक रंग-रूप से भक्तों को लट्टू कर दिया है. चीन बाजार में आकर जम गया है. इस बार जन्माष्टमी पर बाजार में चाइनीज लड्डू गोपाल और राधा-कृष्ण की मूर्तियां उतारी गई हैं. बेहतर साज-सज्जा और पीतल के लड्डू गोपाल से कम मूल्य होने के कारण ये श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं. ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानदारों ने इन्हें आकर्षक ढंग से सजा कर रखा है. इन चीनी मूर्तियों का लगभग 10 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है.रेडियम के ठाकुर जी की भी मांग
चाइनीज के साथ ही इस बार बाजार में रेडियम के ठाकुर जी की भी जबरदस्त मांग है. इन मूर्तियों की चमक को देख श्रद्धालु आकर्षित हुए बिना नहीं रह पा रहे हैं. रात में तो इनकी आभा में चार चांद लग जाते हैं. अंधेरा होते ही इनकी चमक भक्तों को मोहित करती है. भक्त यही कहते हैं कि ठाकुरजी तो अब घर में अंधेरा ही नहीं होने दे रहे हैं. इनकी कीमत 20 रुपये से लेकर हजारों रुपये तक है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh