कौन बैठेगा दिल्ली की गद्दी पर, फ़ैसला आज
मसलन क्या शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस चौथी बार सत्ता में लौटेगी? या फिर डॉक्टर हर्षवर्धन को दिल्ली की सेहत सुधारने का ज़िम्मा मिल जाएगा.एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी सरकार बना पाएगी?इन सवालों के जवाब दिल्ली के एक करोड़ 12 लाख मतदाता देंगे.ये मतदाता दिल्ली के 11,992 मतदान केंद्रों पर मत डालेंगे. चार लाख पांच हज़ार मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.साल 2008 के विधानसभा चुनाव में 58.6% मतदान हुआ था. इस बार उम्मीद की जा रही है कि मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा.69 महिला उम्मीदवारदिल्ली के मतदाताओं के सामने पहली बार ईवीएम मशीन में नोटा (इनमें से कोई नहीं) चुनने का विकल्प भी होगा.
70 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए इस बार 810 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इनमें 108 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स के आकलन के मुताबिक़ चुनाव में हिस्सा ले रहे तमाम राजनीतिक दलों ने जो 796 उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें महज़ 69 महिला उम्मीदवार हैं यानी महज नौ फ़ीसदी.संसद में लंबित 33% महिला आरक्षण विधेयक को किसी भी पार्टी ने व्यावहारिक तौर पर नहीं अपनाया है.
बहरहाल, राज्य में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिए करीब 70 हज़ार पुलिसकर्मी तैनात होंगे.
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है.चुनावी वादेइस चुनाव में तीनों दलों ने आम जनता से वादे भी खूब किए हैं. एक नजर इन पार्टियों के चुनावी वादों पर.शीला दीक्षित, कांग्रेसशीला दीक्षित ने लाडली योजना को कॉलेज जाने वाली लड़कियों तक बढ़ाने का वादा किया है.1. दिल्ली विश्वविद्यालय में सांध्य कॉलेजों की संख्या 30% तक बढ़ाएंगे