राहुल गांधी रविवार को देहरादून में चुनावी रैली करने वाले हैं. यह रैली ऐसे समय में हो रही है जब राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस के मंत्रियों और अफसरों के कथित भ्रष्टाचार की ख़बरें सुर्खियां बनी हुई हैं. दूसरी ओर पार्टी में अंदरूनी खींचतान का आलम यह है कि हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने के 20 दिन बाद भी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है.


भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी दिसंबर में देहरादून में एक बड़ी रैली कर चुके हैं. उसके मुकाबले राहुल की रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है.कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि, "रैली अभूतपूर्व होगी. रैली में शामिल होने के लिए नेपाल सीमा से सटे धारचूला से लेकर चीन सीमा से सटे नीती-माणा जैसे दूरस्थ इलाकों से हजारों की संख्या में लोग देहरादून आएंगे."विभाग बंटवारे की दिक़्क़तइस बीच देहरादून में जिस मंच से आमतौर पर राजनैतिक दलों के बड़े लीडर रैलियों को संबोधित करते हैं, उसे  राहुल गांधी की सुरक्षा में लगे एसपीजी के दस्ते ने खारिज कर दिया है.


राहुल हेलीकॉप्टर से सीधे परेड मैदान पर उतरेंगे जहां उनके लिए नया मंच तैयार किया गया है. पहले यह रैली एक दिन पहले यानी शनिवार को होनी थी लेकिन ख़राब मौसम की भविष्यवाणी की वजह से इसे एक दिन बढ़ा दिया गया.उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए भी यह रैली एक कड़ी परीक्षा होगी. उन्हें खुद को कई मोर्चों पर साबित करना होगा. उनके सामने पहले से ही चुनौतियों का अंबार है.

कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश में मुख्यमंत्री को बदल दिया, लेकिन कैबिनेट नहीं. सबके हित साधना हरीश के लिए टेढ़ी खीर होगा.सूत्रों के मुताबिक हरीश ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद रैली से पहले विभाग बांट देने का दावा किया है.आचार संहिता की बंदिशहरीश रावत की एक और चुनौती है आपदा प्रभावित इलाकों में हालात को जल्द से जल्द सामान्य बनाना. राहुल से उन्होंने एक साल का समय मांगा है.हो सकता है कि राहुल अपनी रैली में उन्हें इस बात की याद दिलाएं.प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव भी होने वाले हैं और एक तरह से आगामी तीन महीनों तक हरीश रावत को चुनाव आचार संहिता के तहत काम करना है.लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र ये बहुत महत्त्वपूर्ण है कि राहुल गांधी इस रैली में किन मुद्दों को उठाते हैं और क्या कहते हैं. इस पर सबकी निगाहें होंगी.उन्हें न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के बारे में लोगों को आश्वस्त करना है बल्कि राज्य स्तर पर  मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद, अस्थिरता और आपदा प्रबंधन के कार्यों के बारे में भी जनता को भरोसा दिलाना होगा.

Posted By: Subhesh Sharma