दीपावली पर चारों ओर रौनक का माहौल है. अब ऐसे में कोई व्‍यस्‍त है खरीदारी करने में तो कोई व्‍यस्‍त है इस दीपावली को स्‍पेशल बनाने में. ऐसे में दीपों के त्‍योहार पर मां लक्ष्‍मी के पूजन को कैसे खास बनाया जाए एक बड़ा सवाल यह भी उठता है. तो जानें क्‍या होगा पूजन का शुभ मुहूर्त और क्‍या होगी पूजन की विधि.

शुभ मुहूर्त पर एक नजर
दीपावली पर कई लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा काफी विधि-विधान और नियम के साथ करते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो करना तो चाहते हैं इसे विधि विधान के साथ लेकिन जानकारी के अभाव में वो इसे नियमपूर्वक नहीं कर पाते. उनके लिए खास है हमारे ज्योतिषाचार्यों की राय. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 23 अक्टूबर 2014 को सुबह 02:34 मिनट से शुरू होगी अमावस्या की तिथि, जो रहेगी 24 अक्टूबर 2014 को 03:26 मिनट तक. इसके साथ ही प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त होगा 17:39 मिनट से 20:14 मिनट तक. वृषभ काल पूजा मुहूर्त होगा 18:57 मिनट से 20:52 मिनट तक. महा नीतीश्ा काल की पूजा का मुहूर्त होगा 23:39 से 24:31 मिनट तक और सिंह लगन पूजा का मुहूर्त होगा 25:31 से 27:49 मिनट तक.
यूं तो दीपावली का पूरा दिन होता है शुभ
मुहूर्त के साथ ज्योतिषाचार्यों का यह भी कहना है कि अगर मुहूर्त पर समय न मिल सके तो दीपावली का पूरा दिन ही लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ होगा. शाम होते ही दीपों से रोशनी करने के साथ किसी भी समय पूजा करना शुभ ही होगा. बस उसके लिए जरूरी होगी पूजा के लिए आपकी सच्ची श्रद़धा.  
एक साथ रख लें पूजन की सामग्री को
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन में रोली, मौली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, दीपक, रुई, कलावा (मौली), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहुं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवित, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, मिष्ठान, 11 दीपक जैसी वस्तुओं को पूजन के समय के लिए पहले से ही एक साथ रख लें.
पूजन की विधि संक्षेप में
दीपावली पर पूजन के लिए सबसे पहले पूजा के स्थान का पवित्रीकरण कर लें. आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे भगवान की सभी मूर्तियों के ऊपर छिड़क दें. साथ में पूजन मंत्र पढ़ें. इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पूजा के लिए पवित्र कर लें.
'ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।'

आगे बढ़ाएं पूजन को
सबसे पहले गणेश जी व मां गौरी का पूजन कीजिए. उसके बाद कलश पूजन करना चाहिए. हाथ में थोड़ा सा जल ले लें और आह्वान व पूजन मंत्र बोलकर पूजा सामग्री चढ़ाइए. इसके बाद नवग्रहों का पूजन कीजिए. हाथ में चावल और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र बोलिए. इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें.
दीप जलाने से पहले करें पूजन
दीपक जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है. दीपावली के दिन पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करने का विधान है. उपरोक्त पूजन के बाद घर की महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण इत्यादि सुहाग की संपूर्ण सामग्रियां लेकर मां लक्ष्मी को अर्पित करें. अगले दिन स्नान आदि के बाद विधि-विधान से पूजन के बाद आभूषण एवं सुहाग की सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर खुद इस्तेमाल करें.

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Posted By: Ruchi D Sharma