- नया मकान बनाने का झांसा देकर तोड़ दिया गरीब का घर

- बच्चों को किराए के मकान में रहने को मजबूर गरीब महिला

-साहूकार से उठाया कर्ज और मकान का किराया बन रहा जान पर आफत

Meerut: बाबू जी तीन साल पहले तक सब ठीक चल रहा था। घर का खर्च भी सही चल रहा था और बच्चे भी पढ़ने जाते थे। यहां तक कि दो पैसे बचा कर एक बिटिया की शादी भी कर दी थी, लेकिन सरकारी योजना के लालच ने सब कुछ तबाह कर दिया। आज न अपना मकान है, न घर का खर्च चल रहा है, बच्चे स्कूल से बैठ गए हैं। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि घर में कुंवारी बेटी की शादी के लिए भी मोहल्ले वाले से चंदा करना पड़ा। इतना कहते ही गरीब महिला फफक-फफक कर रोने लगी। मकान की नाम पर अपना सब कुछ गंवा बैठी महिला ने जब पूरी कहानी बताई तो सुनने वालों की भी आंख भर आई।

निर्माण निगम ने लिखी दर्द की दास्तां

भोला रोड स्थित शेखपुरा में रहने वाली गीता पत्नी नगेन्द्र अपने बच्चों को लेकर एक किराए के मकान में रहती है। उसके परिवार की रोजी रोटी लकड़ी की गिट्टी बनाने का काम से चलती है। इस काम में उसके दो छोटे-छोटे बेटे और एक जवान बेटी भी हाथ बटाती है। नगेन्द्र पल्लेदारी कर कुछ पैसे कमा लाता है तो मकान का किराया चला जाता है। हालात इतने खराब हैं कि आज खाना मिल गया तो कल को कोई खबर नहीं है। पति अब बीमार रहने लगा है। पैसों के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा। इसलिए कभी-कभार काम के लिए निकलता है। परिवार की पूरी जिम्मेदारी अब गीता के कंधों पर है।

कर्ज लेकर कटवाई रसीद

दरअसल, गीता के परिवार की दुर्दशा की कहानी तीन साल पूर्व उस समय लिखी गई थी। जब जिला नगरीय विकास अभिकरण यानी डूडा की बीएसयूपी योजना मार्केट में उतरी थी। योजना के अंतर्गत सरकारी मकान की चाह में गीता ने साहुकार से ख्भ् हजार का कर्ज उठाकर मकान की रसीद कटवा ली। हालांकि ब्याज की दर पांच रुपए सैकड़ा थी, लेकिन गीता ने सोचा खाते कमाते सब उतर जाएगा। उधर, नया मकान बनाने का झांसा देकर कांट्रेक्टर ने पुश्तैनी मकान तोड़ दिया, लेकिन नया मकान नहीं बनाया।

कर्ज बढ़कर हो गया ढाई लाख

विभाग और कांट्रेक्टर के झूठे आश्वासन के चलते कई माह बीत गई, लेकिन मकान नहीं बना। अब रहने को घर नहीं थी तो विपदा की मारी गीता ने दो हजार रुपए महीने का एक मकान किराए पर ले लिया। अब पति की कमाई का पैसा किराए और खुद की कमाई का पैसा ब्याज उतारने में चलने लगा। तीनों बच्चे भी स्कूल से बैठ गए। पति बीमार हुआ तो ब्याज उतरना बंद हो गया। कर्ज ख्भ् हजार से बढ़कर ढाई लाख पहुंच गया। मदद की उम्मीद भी कहीं से नहीं है। आज गुरवत की मारी गीता स्यानी हो चुकी बेटी की शादी के लिए चंदा इकठ्ठा होने के मजबूर है।

गिट्टी से चलता है घर

गीता ने बताया कि घर चलाने के लिए वह फर्नीचर कारखानों से गिट्टी बनाने का काम ले लेती है। कारखाना उसको सौ गिट्टी बनाने पर सवा रुपए के हिसाब से पेमेंट करती है। इस हिसाब से एक दिन में पूरा परिवार पचास से साठ रुपया कमा लेता है। उसी पैसे मकान का किराया और घर का खर्च चलता है।

एक नहीं बस्ती में ऐसी तीन सौ गीता

निर्माण निगम के हाथों ठगी गई गीता की कहानी तो बस एक बानगी भर है। इस बस्ती में तकरीबन तीन सौ ऐसे परिवार हैं, जिनका पैसा और मकान दोनों की निर्माण निगम की ठगी की भेंट चढ़ गए हैं। कुल साढ़े चार सौ मकानों में से निगम ने यहां केवल डेढ़ सौ मकान ही पूर्ण किए गए हैं, जबकि शेष आज तक सरकारी मकान के चक्कर में अपना जीवन नरक बना चुके हैं।

अधिकारी नहीं लेते सुध

यहां के लोगों का कहना है कि इस मामले में तहसील दिवस से लेकर थाना दिवस और एसएसपी ऑफिस तक कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनने को तैयार नहीं है। एक आवंटी ईश्वर ने बताया कि निर्माण निगम के अधिकारियों ने यहां आना भी छोड़ दिया है। दफ्तर जाते हैं तो कोई नहीं मिलता। ऐसे में उम्मीद का कोई रास्ता नहीं बचा।

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ये हैं गरीबों के गुनाहगार

मौके पर नहीं जाते

नगर आयुक्त जो योजना के परियोजना निदेशक भी हैं। प्रशासन ने इनकों बीएसयूपी योजना को वॉच करने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन पीडी कभी अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आते। ऐसा कोई दिन ही आया होगा जब पीडी कभी मलिन बस्तियों के दौरे पर निकले होंगे।

नहीं करते कार्रवाई

डीएम सभी विभागों के अध्यक्ष हैं। शिकायत मिलने पर पत्राचार भी करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर बामुश्किल ही कोई कार्रवाई दिखाई देती है। हालांकि बीएसयूपी योजना में धांधली के किस्से जग जाहिर हैं, लेकिन डीएम ने दोषियों पर कार्रवाई करने का कभी साहस नहीं दिखाया।

सरकारी बैठकों में व्यस्त

यूं तो बीएसयूपी योजना ने डूडा के कई परियोजना अधिकारी देखें हैं, लेकिन इस समय पीओ का पद आरपी सिंह संभाल रहे हैं। हालांकि यह पद ग्रहण किए हुए उनको अभी दो माह भी नहीं बीते फिर भी उनकी टेबल से कोई कार्रवाई होती दिखाई नहीं पड़ी। पीओ अक्सर सरकारी बैठकों को लेकर लखनऊ में दिखाई देते हैं।

पुराने मकान तोड़ कर नए मकान न बनाने का मामला गंभीर है। मैं अभी लखनऊ मीटिंग में आया हूं। वापस आकर खुद मलिन बस्तियों का सर्वे करूंगा।

-आरपी सिंह, परियोजना अधिकारी डूडा

Posted By: Inextlive