- तालनदोर की जमीन के टुकड़े-टुकड़े कर लगा दी बोली

- आरटीआई के तहत मांगे गए 1922 के नक्शे में आज भी ताल बरकरार

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GORAKHPUR: गोरखपुर-वाराणसी रोड पर स्थित 513 एकड़ ताल की जमीन के टुकड़े-टुकड़े कर बेच दिए गए। इस बात की गवाही ताल के आस-पास के रहने वाले देते रहते हैं। तत्कालीन जिम्मेदार ताल के सूखने के बाद इस खाली जमीन को जो मिला उसे ही बेहद कम रेट में लिखकर चलते बने। इस इलाके के रहने वाले लोगों ने भी कम दाम में मिल रही जमीन खरीदने में खूब इंट्रेस्ट दिखाया जिसका उन्हें बिल्डरों से कई गुना ज्यादा फायदा मिला। वहीं बिल्डरों के लिए ये जमीन सोने से कम न थी इसलिए उन्होंने किसी भी कीमत पर इस जमीन को हथियाने के लिए इलाके के लोगों को मोटी रकम देकर जमीन लिखाई। इसके बाद प्लॉटिंग कर इसे कई गुना ज्यादा रेट पर बेच रहे हैं। इस तरह से एक ताल की जमीन का बंदरबाट किया गया और शासन को जरा भी भनक नहीं लगी।

कई अधिकारियों ने पहले भी पकड़ा था घपला

शिकायतकर्ता संजय सिंह के अनुसार तालनदोर के मामले में पहले भी कई घपले पकड़े गए हैं। सबसे पहले 1971 में तत्कालीन गोरखपुर डीएम कालिका प्रसाद ने चकबंदी अधिकारियों की आख्या के आधार पर और अपने स्तर से जांच की तो इसमें कई खामियां पाई। जिसकी सूचना राजस्व परिषद लखनऊ एवं चकबंदी आयुक्त लखनऊ को दी गई। जिसमें प्रथम जांच में ही 155.39 एकड़ भूमि का घपला प्रकाश में आया। इसके बाद कालिका प्रसाद का ट्रांसफर हो गया जिससे जांच भी प्रभावित हो गई।

सील की भी हो चुकी है कार्रवाई

शिकायतकर्ता संजय ने बताया कि तालनदोर में पहले दो बार रिकॉर्ड ऑपरेशन की कार्रवाई हुई। पहली बार 1971 में तथा दूसरी बार 1978 में। गलत बन्दोबस्त के आधार पर 1971 में रिकॉर्ड ऑपरेशन जिल्द बन्दोबस्त गलत पाया गया और उसे सील कर दिया गया। 1978 में जब दोबारा बन्दोबस्त हुआ तो उसमें खुलकर खेल किया गया। इसमें लोकेशन को बदलकर मनमानी करते हुए तत्कालीन अधिकारी ने 185 एकड़ फर्जी मुकदमा नंबर देकर फर्जी इन्द्राज दर्ज कर दिया। जबकि ये करने का उन्हें अधिकार ही नहीं था।

आरटीआई के तहत मांगा नक्शा

संजय सिंह ने आरटीआई के तहत राजस्व परिषद लखनऊ से तालनदोर की जमीन का 1922 का नक्शा निकलवाया है। जिस नक्शे में भी तालनदोर में ताल ही शो कर रहा है।

अब गहनता से हो रही जांच

संजय सिंह की शिकायत के बाद अब इस ताल की जमीन की हकीकत जानने के लिए प्रशासन भी शिद्दत से लग गया है। मामला बेहद पुराना है इसलिए इसकी गहनता से जांच की जा रही है। शिकायतकर्ता ने इसकी सीए से भी कंप्लेन की है। ये माना जा रहा है कि इसके बाद बहुत जल्द इसमें सच्चाई का खुलासा हो सकता है।

वर्जन

ताल की जमीन के कागजातों की पड़ताल की जा रही है। बहुत जल्द जांच पूरी कर जो सही होगा वो कार्रवाई की जाएगी।

- सोमनाथ मिश्रा, बन्दोबस्त अधिकारी चकबंदी

Posted By: Inextlive