युवाओं में बढ़ते डिप्रेशन और सुसाइड के मामलों को देखते हुए फेसबुक एक नया फीचर लेकर आई है। यह फीचर फेसबुक पोस्‍ट के जरिए यूजर्स के इमोशनल और मेंटल हेल्‍थ पर नजर रखेगा। ताकि यदि कोई सुसाइड जैसा बड़ा कदम उठाने का विचार कर रहा है तो उसे बचाया जा सके।


सुसाइड में लगाएगा लगामसोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने लाइव आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के प्रयास में नया टूल लांच किया है। इस टूल की मदद से उन यूजर्स पर नजर रखी जा सकती है जिनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति दिखती है। हालांकि फेसबुक ने इसे पिछले साल ही यूएस और यूके में लॉन्च किया था। अब यह सभी देशों में आ गया है। फेसबुक ने अपने सुसाइड प्रोटेक्शन टूल का विस्तार किया है। इसमें परेशान दिखने वाले यूजर की मदद के लिए आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआइ) और प्रवृत्ति पहचान का उपयोग किया गया है। कैसे मदद करेगा फेसबुकखबरों की मानें तो सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर जब कोई यूजर्स डिप्रेशन से जुड़ी कोई पोस्ट करेगा। तो फेसबुक टीम की ओर से उसे खास काउंसलिंग दी जाएगी। इसका मकसद यूजर्स के मेंटल सिचुएशन को तनाव मुक्त रखना है। ताकि कोई सुसाइड जैसा कदम न उठा सके।


ऐसे करें सुसाइड प्रिवेंशन एप्लीकेशन का इस्तेमाल
(1) फेसबुक पर कोई भी दोस्त डिप्रेशन और सुसाइड के संकेत दे रहा है तो आप उसकी पोस्ट को रिपोर्ट कर सकते है। ऐसी पोस्ट के टॉप पर जाकर आपको दाईं तरफ दिए गए एक चिन्ह को क्लिक करना है।

(2) इसे क्लिक करते ही ये पोस्ट रिपोर्ट हो जाएगी। जैसे ही आप किसी दोस्त की पोस्ट रिपोर्ट करेंगे वैसे ही इसका नोटिफिकेशन फेसबुक को भेजा जाएगा। फेसबुक की सुसाइड प्रिवेंशन टीम उस यूजर की मदद करेगी। एनजीओ का सहाराफेसबुक अपने सुसाइड प्रिवेंशन के लिए भारत के दो एनजीओ के साथ भी समझौता कर रहा है। इसमें आसरा और द लिव लव फाउंडेशन को जोड़ा जाएगा। ये दोनों एनजीओ फेसबुक पर तनावग्रस्त युवाओं के लिए हेल्पलाइन का काम करेंगी।14.8 करोड़ फेसबुक यूजर्स को मिलेगी मददभारत में करीब 14 करोड़ 80 लाख लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इस नए फीचर की मदद से तनाव से जूझ रहे लोगों को इससे बाहर निकाला जा सकता है। आंकडों के अनुसार 2014 में भारत के अंदर 1,31,666 लोगों ने आत्महत्या की। इस हिसाब से हर घंटे देश में करीब 15 लोग सुसाइड कर रहे हैं। आत्महत्या के सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में सामने आए हैं। शहरों में गांवों की तुलना में कहीं ज्यादा सुसाइड हो रही हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार ज्यादातर सुसाइड केसेज का कारण घर से जुड़ी समस्या है। वहीं पढ़ाई और नौकरी के तनाव की वजह से भी भारतीय यूथ ये कदम उठा रहा है।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari